पसलियों में दर्द होने पर इन नुस्खो को अपनाये


यह रोग तब होता है, जब व्यक्ति अधिक ठंडी चीजों तथा फ्रिज में रखे पानी का इस्तेमाल हर समय करता है| वैसे यह खतरनाक रोग नहीं है लेकिन दर्द शुरू होने पर रोगी को अपार कष्ट का सामना करना पड़ता है| फेफड़ों में कफ जाने से या फेफड़ों में सर्दी का प्रकोप होने से वायु का उभार तेज हो जाता है और सांस की गति गड़बड़ा जाती है| वायु बार-बार पसलियों से टकराती हैं तथा कफ उसके निकलने के मार्ग को रोकता है, अत: पसलियों में हड़कन होने लगती है| यही पसलियों का दर्द है|

कारण :

  • पसलियों में वायु का प्रकोप, बर्फ, ठंडा पानी, लौकी, तरबूज, खीरा, सेब, नारंगी, संतरा, केला एवं अनार मात्रा में खाने तथा बासी और ठंडा दूध अधिक मात्रा में पीने से पसलियों में दर्द होने लगता है| 
  • यह रोग बच्चों को अधिक होता है, क्योंकि उनके नाजुक शरीर को ठंड बड़ी जल्दी लगती है| 
  • मौसम में अचानक बदलने तथा धूप में काम करने के बाद बर्फ का पानी पी लेने से भी फेफड़ों को ठंड लग जाती है| 
  • यही ठंड पसलियों की पीड़ा के रूप में परिवर्तित हो जाती है|

पहचान :

रोगी का हाथ बार-बार पसलियों पर जाता है| सांस धौंकनी की तरह चलने लगती है| भूख-प्यास बिलकुल नहीं लगती| हाथ-पैर ढीले पड़ जाते हैं|कभी-कभी बुखार भी आ जाता है| बेचैनी बढ़ जाती है| उठते-बैठते, लेटते अथवा करवट लेते - किसी भी प्रकार चैन नहीं मिलता| यदि बच्चा है तो वह बार-बार उठकर भागता है| माथे पर पसीना, गले में खुश्की तथा शरीर की हरकत बढ़ जाती है|

नुस्खे :

  • रोगी की पसलियों की सेंकाई रुई के फाहे से करनी चाहिए| 
  • सरसों के तेल में तारपीन का तेल मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद रोगी की पसलियों पर मालिश करनी चाहिए|सरसों के तेल में जरा-सा कपूर तथा एक चुटकी नमक मिलाकर गरम करके सहता-सहता मलें|
  • पीपल के पत्तों को जलाकर इसका चौथाई चम्मच भस्म शहद के साथ चाटने से पसलियों में गरमी भरने लगती है|
  • नीम की पत्तियों को जलाकर उसकी दो चुटकी राख शहद या गरम पानी के साथ रोगी को दें|गाय या नीलगाय के सींग का भस्म 4-4 रत्ती सुबह-शाम शहद के साथ चाटें| पसलियों का दर्द गायब हो जाएगा|
  • गाय के सींग को पानी में घिसकर चंदन की तरह बच्चे या बड़े की पसलियों पर मलें|
  • चार पत्ते तुलसी, दो कालीमिर्च तथा दो लौंग का काढ़ा पिएं|अदरक, तुलसी तथा कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर उसमें एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें|
  • लहसुन की पूती को भूनकर चूर्ण के रूप में शहद के साथ चाटें|चौलाई को पीसकर उअका रस निकाल लें| फिर उसे सरसों के तेल में मिलाकर छाती तथा पसलियों पर मलें| नाक के नथुनों एवं माथे पर भी इस तेल को मलें|
  • तारपीन के सफेद तेल में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद पसलियों को मलें|
  • सीने तथा पसलियों पर शुद्ध शहद का लेप लगाएं|एक गिलास पानी में थोड़ा-सा शहद घोलकर रोगी को दिन में तीन बार पिलाएं|
  • पानी में हींग घोलकर बच्चे को पिलाएं| अदरक की गांठ छीलकर उसमें नमक लगा लें| फिर इसे रोगी को चूसने के लिए दें|
  • पानी में पुदीना की पांच पत्तियां तथा पांच कालीमिर्च डालकर चाय बनाकर पिएं| पानी में लहसुन तथा चार लौंगें डालकर काढ़ा बनाकर सेवन करें|
  • अमरूद के पत्तों का भस्म 4 ग्राम शहद या गरम पानी से सेवन करें|पानी में बादाम घिसकर छाती तथा पसलियों पर लगाएं| 
  • बादाम और कालीमिर्च का छौंका पिएं| सेब के छिलकों को पानी में उबाल-छानकर पिएं|गाय के घी में जायफल घिसकर पसलियों पर तीन-चार बार लेप करें|रीठे के काले बीजों को पानी में घिसकर छाती पर लेप करें|
  • सोंठ तथा गुड़ (6-6 ग्राम) का काढ़ा बनाकर पिएं| 
  • कालीमिर्च 6 ग्राम, लौंग 3 ग्राम, हल्दी 6 ग्राम एवं सेंधा नमक 4 ग्राम - सबको पीसकर एक गिलास पानी में उबालें| जब पानी आधा कप रह जाए तो सहता-सहता पिएं|
  • राई को शहद में मिलाकर छाती पर मलें तथा चाटें भी|चिरायता, सोंठ एवं कटेरी की जड़ - सब 10-10 ग्राम लेकर काढ़ा बना लें| फिर इसमें शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिएं|
  • तुलसी के बीज 3 ग्राम, कालीमिर्च 3 ग्राम, लौंग 2 ग्राम, यूकिलिप्टस के पत्ते दो नग तथा अदरक एक गांठ - सबकी चटनी बनाकर उसे गुनगुने पानी के साथ दिनभर में तीन बार खाएं|
  • सोंठ, पीपल, कालीमिर्च तथा लौंग - सभी 5-5 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें| इसमें से 4 ग्राम चूर्ण शहद के साथ दिनभर में दो-चार बार चाटें|

क्या खाएं क्या नहीं :

  • यदि बच्चे की पसली चलती हो तो उसे गाय या बकरी का दूध, चपाती, मूंग की दाल, तरोई, पालक, चौलाई, मेथी एवं शलजम की सब्जियां खिलाएं| 
  • बर्फ, फ्रिज का पानी, आइसक्रीम, कोकाकोला आदि भूलकर भी न दें| भोजन करने के बाद बच्चे को थोड़ी देर धूप में बैठने का निर्देश दें| 
  • बड़ों की पसली चलने पर वे ठंडी सब्जियों तथा ठंडी तासीर वाले पदार्थों से दूर रहें| 
  • अरहर तथा मलका की दाल, छोले, चावल, पुलाव आदि का सेवन न करें|
  • दही, केला, अनार, मछली तथा अंडे से परहेज करें| 
  • दोपहर को शरीर में सरसों के तेल की मालिश करने के बाद स्नान करें| 
  • जाड़े के दिनों में थोड़ी देर तक धूप में बैठें| धूप शरीर को खाद्य और उर्जा प्रदान करती है| 
  • पेट तथा त्वचा में पनपने वाले जीवाणु मर जाते हैं| 
  • कफ बनाने वाले पदार्थ जैसे - दूध, मलाई, मिठाई, दालमोठ, बेसन की पकौड़ी आदि नहीं खानी चाहिए|

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