प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख समस्याएं


किसी युवती के लिये पहली बार माँ बनना एक अनोखी और चुनौतीपूर्ण क्रिया होती है ! गर्भावस्था के दौरान हार्मोंस बदलने के कारण समस्याएं होना आम बात है, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां होना जिससे स्‍वास्‍थ्‍य अधिक बिगड़ जाएं तो ये बीमारियां गर्भावस्था को खतरे में डाल सकती हैं। बच्चा एक ऐसी चीज़ है जिसे आप नौ महीने तक अपने अंदर रखती हैं, परंतु इस वरदान के साथ कुछ असुविधाएं भी जुड़ी हुई हैं तथा मां बनने के पहले प्रत्येक महिला को इन समस्याओं से जूझना पड़ता है। महानगरों में जहॉं लोग एकल परिवारों में रहते हैं वहाँ किसी अनुभवी महिला के न होने से दिक्कते पेश आती हैं । ऐसे में स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सलाह लेते रहना चाहिये । नीचे गर्भावस्था से संबंधित कुछ सामान्य समस्याएं बताई जा रही हैं!

इसके अलावा गर्भावस्था में आने वाली अन्य कई सामान्य समस्याएं जैसे सिरदर्द, उच्च रक्तदाब, कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ खाने की इच्छा होना और गले में खराश होना हैं। आपके लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर ऐसी कौन-कौन सी बीमारियां हैं जिनका गर्भावस्था के दौरान होने की संभावना रहती है। जैसे गर्भावस्था के दौरान बच्चे का मूवमेंट कम होना, हाथ-पैरों में सूजन, कोई इंफैक्शन व एनीमिया आदि। ऐसे में आप हमेशा अपनी चिंताओं के बारे में डॉक्टर से सलाह लेते रहे

आइये गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाली इन और इन्हीं जैसी अन्य समस्याओं पर विस्तार से बात करते हैं।

गर्भावस्था में एनीमिया: एनीमिया का मतलब है खून की कमी होना! एनीमिया से हिमोग्लोबिन कम होता है । हिमोग्लोबिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सब उतकों, नाल को ऑक्सीजन ले जाने और भ्रूण के लिए है । अगर आरबीसी में हिमोग्लोबिन का स्तर कम होता है तो नाल, उतक और गर्भ में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है! इसका कारण यह है की भ्रूण को पर्याप्त पोषण नही मिल पता हैI थकान महसूस होना, चिडचिडापन, चीजों पर ध्यान न लगा पाना, साँस लेने में तकलीफ होना आदि एनीमिया की तरफ इशारा करते हैं!

मॉर्निंग सिकनेस (सुबह होने वाली मतली): हार्मोंस में परिवर्तन होने के कारण मॉर्निंग सिकनेस की समस्या आती है जो पूरे दिन रहती है। मॉर्निंग सिकनेस को रोकने का एक उपाय यह है कि थोड़ी थोड़ी देर में थोड़ा थोड़ा खाएं, भोजन के साथ तरल पदार्थ न लें तथा घर में वेंटिलेशन (हवा का प्रवाह) अच्छा बना रहने दें।

उल्टी आना: गर्भावस्था में स्त्री को उल्टी की दिक्कत आती है । यह गर्भावस्था में होने वाली एक बहुत आम समस्या है जिसका सामना प्रत्येक महिला को करना पड़ता है यह पेट में भोजन आगे न बढ़पाने के कारण होता है । इस वजह से पेट का फूलना, गैस बनना, हाजमा कमजोर होना, एसिडिटी, कब्ज इत्यादि की समस्या आती है । ऐसे में खाना थोड़ा थोड़ा करके खाना चाहिये । परंतु यदि यह समस्या बहुत अधिक बढ़ जाए तो ऐसी स्थिति में चिकित्सीय परामर्श लेना आवश्यक होता है।

हाथ और पैर मैं सूजन: गर्भवती महिलाओं की यह एक अन्य सामान्य समस्या है हालाँकि सूजन का स्तर प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग अलग होता है। तीसरे चौथे महीने तक पहुंचते-पहुंचते गर्भवती महिलाओं को हाथ-पैरों में सूजन की समस्या बढ़ जाती हैं, जो कि कई बार स्वाभाविक होता है और कई बार किसी कमी के कारण होता है। इसलिए इस बदलाव को भी हल्के में न लें और सूजन ज्यादा होने पर डॉक्टरी सहायता लें। गर्भावस्था में करवट लेने में अकसर समस्याएं आती हैं, जिससे कमर दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। आमतौर पर वजन बढ़ने से भी ये समस्या हो जाती है। बहुत लंबे समय तक खडें न रहें और ऐसे जूते पहनें जो विशेष रूप से इस समस्या से निपटने के लिए बनाए गए हों।

वज़न बढ़ना: गर्भावस्था में प्रत्येक महिला का वज़न बढ़ता है! इस बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है और इसके कारण खाना न छोड़ें। अपने डॉक्टर से बात करते रहें तथा रिकॉर्ड रखें.!

अनिद्रा (नींद न आना): गर्भावस्था के दौरान हार्मोंस में परिवर्तन और असुविधा के कारण अनिद्रा की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। गर्भावस्था में होने वाले तनाव या फिर समस्याओं से महिला को नींद न आने की समस्या होने लगती है जिससे अनिंद्रा की शिकायत होने लगती है। इस समस्या से निपटने के लिए कैफीन, शराब और चर्बी युक्त पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।

पेट दर्द: दूसरे और तीसरे तिमाही के दौरान पेट दर्द एक सामान्य समस्या है क्योंकि इस दौरान श्रोणि बच्चे के लिए जगह बना रही होती है। परंतु यदि दर्द लगातार रहे तो मेडिकल जांच आवश्यक होती है।

थकान: गर्भावस्था के दौरान थकान से बचने के लिए उचित नींद लें तथा आराम करें। एनीमिया से बचने के लिए आयरन (लौह तत्व) से समृद्ध आहार लें क्योंकि एनीमिया के कारण ही थकान महसूस होती है।

पीठ दर्द: पेट के आसपास वज़न बढ़ने के कारण महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द का सामना करना पड़ सकता है। आरामदायक जूते पहनें तथा भारी वस्तुएं न उठायें क्योंकि इसके कारण आपकी समस्या बढ़ सकती है।

पैरों में ऐंठन: रात में सोने से पहले पैरों की उँगलियों को गोल घुमाने की कसरत करें। हलकी मालिश करना भी इस समस्या से निजात दिला सकता है!। मैग्नीशियम और पौटेशियम से युक्त आहार लें।

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