1. उल्टी :
बार-बार उल्टी होने पर बर्फ चूसने से उल्टी होना बंद हो जाती है। हैजे की उल्टियों में भी यह प्रयोग लाभदायक है।
बार-बार उल्टी होने पर बर्फ चूसने से उल्टी होना बंद हो जाती है। हैजे की उल्टियों में भी यह प्रयोग लाभदायक है।
2. भूख न लगना :
गर्मी के कारण भूख न लगने पर खाना-खाने के 1 घंटे पहले बर्फ का पानी पीने से भूख खुलकर लगती है।
गर्मी के कारण भूख न लगने पर खाना-खाने के 1 घंटे पहले बर्फ का पानी पीने से भूख खुलकर लगती है।
3. लू लगना :
लू से परेशान रोगी के कपड़े उतारकर हवा करें। ठंडक पहुंचायें। बर्फ के पानी से स्पन्ज (स्नान) करें। बर्फ के पानी में चादर भिगोकर शरीर पर लपेट दें। यह क्रिया बुखार के 102 डिग्री फारेनहाईट आने तक करते करते रहें। बर्फ के पानी से रोगी के शरीर पर मालिश करने से लू में बहुत लाभ मिलता है। रोगी के सिर पर बर्फ की थैली भी रख सकते हैं। बर्फ का चूरा सिर पर रखने तथा बर्फ का पानी सिर पर डालने से लू से राहत मिलती है। बर्फ के पानी में चीनी को मिलाकर शर्बत बना लें, इसमें थोड़ा सा नमक डालकर पीने से आन्तरिक जलन और प्यास का लगना आदि से राहत मिलती है।
4. चोट लगने और खून बहने पर :
बर्फ के पानी की पट्टी बांधे और बर्फ का टुकड़ा रखे। इस प्रयोग से खून का बहना बंद हो जाता है।
5. प्रसव के समय शिशु का सांस लेना या न लेना :
जन्म के बाद यदि बच्चा न रोता हो और सांस ही न ले रहा हो तो मगर वह ज़िंदा हो तो उसके गुदाद्वार पर बर्फ का टुकड़ा रख दें तो बच्चे की सांस चलने लगेगी और वह रोने लगेगा।
6. गैस्ट्रिक अल्सर :
बर्फ के छोटे टुकड़ों को चूसने से मुंह में खून के आने और अधिक प्यास लगने में लाभ मिलता है।
7. हिचकी का रोग :
गर्मी के मौसम में हिचकी की बीमारी होने पर रोगी के मुंह में पानी के बर्फ का टुकड़ा डालें और उसे चूसने दें। इससे हिचकी का आना बंद हो जाता है। नाभि पर बर्फ रखने से भी हिचकी में आराम मिलता है। बर्फ को चूसने से हिचकी बंद हो जाती है।
8. चोट लगने पर :
चोट लगने पर खून अगर ज्यादा बहे तो बर्फ मले खून तुरंत जमकर रुक जायेगा।
9. नाक के रोग :
नकसीर (नाक से खून बहना) आने पर बर्फ के टुकड़ों को सिर पर रखने से आराम आता है।
12. लिंगोद्रेक (चोरदी) :
अगर किसी का लिंग उत्तेजना से भर रहा हो तो उसके लिंग को बर्फ के टुकड़ों से ढक दें। इससे जल्द ही लिंग की उत्तेजना दूर हो जायेगी।