दालों के नाम और फायदे, शेयर करें


दाले हमारे शरीर के लिए आयरन और प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं। गौरतलब है कि 2016 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दालों के वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। ऐसे में यह मालूम होना चाहिए कि दालों का हमारे जीवन मे क्या महत्व है? दालों का उपयोग उन लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प है, जो कि स्वास्थ्य और पर्यावरण की वजह से मांस के उपयोग से परहेज करते हैं। दालों को भोजन के तौर पर उपयोग में लाने पर पाचन क्रिया सही रहती है। इसके साथ ही कोलेस्ट्राल की मात्रा संतुलित रहती है। वहीं बल्ड शुगर भी नियंत्रित रहता है। कुछ दालें है जिनकों दैनिक खाने में उपयोग लाना बेहतर होता है।

लाल फलियां –

भारत मे इसे बाकला और बीन्स के नाम से भी जाना जाता है। इनमें घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो कि पाचन क्रिया और कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम के तत्व भी पाए जाते हैं, जो कि ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ ही शरीर में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाता है।

ब्लैक बीन्स-

भारत मे ब्लैक बींस को काले सेम के नाम से जाना जाता है। इसमें मॉलिब्डेनम और आयरन दोनों का मिश्रण होता है। आयरन शरीर में लाल रक्त कणिकाओं को ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है और हीमोग्लोबिन बनने के लिए जिम्मेदार होता है, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कणिकाओं को प्राथमिक अवयव है। मॉलिब्लडेनम की उपस्थिति में शरीर में रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप आयरन रिलीजी होता है।

बटर बीन्स-

यह एक तरह की हरी सेम होती है। इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन होता है, जो कि शरीर के टिश्यू की मरमम्त में सहायता करता है। इसके साथ ही इसमें भी घुलनशील फाइबर पाया जाता है।

चना-

यह हड्डियों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। इसमें काफी मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो कि हड्डियों संरचना के लिए जिम्मेदार होता है। इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम पाया जाता है। यह सभी हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं.

राजमा-

इसे किडनी बींस के नाम से भी जाना जाता है। इसे पानी में भिगोकर खाने से दांतों और हड्डियों को मजबूती मिलती है। इसमें भी फास्फोरस की उचित मात्रा पायी जाती है। जो कि शरीर के लिए काफी अच्छी होती है।

मसूर की दाल-

मसूर की दाल में सबसे ज्यादा मात्रा में आयरन और मॉलिब्डेनम पाया जाता है। जो कि शरीर को सेलुसर एनर्जी और ब्लड को ऑक्सीजन देने का काम करता है। वहीं इसमें पाये जाने वाले फाइबर से कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रण में रहती है। इसमें विटामिन बी-1 होता है, जो कि तंत्रिका तंत्र और दिल की धड़कन को नियंत्रित रखता है।

मूंग की दाल-

भारत और चीन जैसे देशों में हरी मूंग की दाल को दवा के रुप में काफी पुराने समय से प्रयोग किया जाता था। मूंग की साबुत हो या धुली, पोषक तत्वों से भरपूर होती है। अंकुरित होने के बाद तो इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों केल्शियम, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन्स की मात्रा दोगुनी हो जाती है। मूँग शक्तिवर्द्धक होती है। ज्वर और कब्ज के रोगियों के लिए इसका सेवन करना लाभदायक होता है। 

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