आसान नुस्खो को अपनाये सिजेरियन डीलेवरी से बचने के लिए

गर्भावस्था के दौरान हर महिला की पहली चिंता ये होती हैं कि उसका बच्चा स्वस्थ है या नहीं, उसकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या नहीं, ऐसी बहुत सी बातें गर्भवती मां के दिमाग में चलती रहती हैं, लगभग हर औरत चाहती है कि उसी डिलीवरी नॉर्मल हो लेकिन कई बार परिस्थ‍ितियां ऐसी हो जाती हैं कि नॉर्मल डिलीवरी की जगह ऑपरेशन ही करना पड़ता है|

गर्भावस्था एक खुशखबरी भरा लेकिन साथ हीं चुनौतियों भरा समय होता है, ऑपरेशन से बच्चे के जन्म के बाद जहाँ माँ को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है, तो साथ हीं माँ को बहुत सारी बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है, सिजेरियन डिलिवरी के बाद निर्देशों का पालन न करना माँ के लिए खतरा भी बन जाता है, जबकि नॉर्मल डिलीवरी से स्त्री का शरीर भी ठीक रहता है, और माँ को कम खतरों का सामना करना पड़ता है, और नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिलाएँ जल्दी हीं ठीक हो जाती है, साथ हीं अगली बार गर्भवती होने पर भी बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है|

अपनी सेहत  का ध्‍यान रखें
डीलेवरी से पहले आपको ये सुनिश्चित कर लेना होगा कि आप पूरी तरह से स्वस्थ रहें और किसी भी प्रकार की कोई कमजोरी आपको न हो क्युकी बच्‍चे को जन्‍म देते वक्‍त आपको बेहद पीड़ा सहनी होती है और यह आसान नहीं होता, अगर आप कमजोर हैं और आप में खून की कमी है तो आपके लिए यह काफी मुशकिल होगा, इसलिए अपने स्‍वास्‍थ्‍य का पूरा-पूरा ध्‍यान रखें, ताकि आपको उस वक्‍त कम से कम तकलिफ हो, गर्भवती महिला को खुद को मानसिक रूप से इस बात के लिए तैयार रखना चाहिए कि डिलीवरी के समय उसे बहुत तकलीफ होने वाली है, ऐसे में खुद को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है|

 पर्याप्त भोजन करे
  • गर्भवती महिलाओं  को अपने खाने-पीने का पूरा ध्यान रखना चाहिए, ऐसे समय में केवल भूख को शांत करना जरूरी नहीं है,
  •  गर्भवती महिला काे ऐसा खाना खाना चाहिए जिससे उन्हें  संपूर्ण आहार मिले, प्रेग्नेंसी में आयरन और कैल्शियम लेना बहुत जरूरी है,
  • सामान्य डिलीवरी में काफी ब्लड लॉस होता है लेकिन सिजेरियन में और भी ज्यादा, ऐसे में शरीर में खून की कमी नहीं होनी चाहिए, ताजे फल, विटामिन तथा प्रोटीन युक्त भोजन करें, समय पर खाना खाएँ, ताजे फल, साग-सब्जियाँ इत्यादि का प्रयोग अपने भोजन में जरुर करें|
  • गर्भ में बच्चा एक थैली में रहता है, इस थैली को एमनियोटिक फ्लूड कहते हैं, इसी से बच्चे को ऊर्जा मिलती है, ऐसे में मां के लिए ये जरूरी है कि वो हर रोज आठ से दस गिलास पानी पिए|
  • हर दिन पर्याप्त नींद लें, नियमित रूप से अपने शरीर की मालिश करते रहें|
  • तनाव से बचने की हर सम्भव कोशिश करें, तथा इधर-उधर के बेकार की बातों के कारण चिंतित न हों|
  • पैदल चलना और टहलना एक गर्भवती महिला के लिए बहुत फायदेमंद होता है, अतः आसपास कहीं आने-जाने के लिए पैदल आना-जाना करें|
डॉक्टर के निर्देश के अनुसार उन व्यायामों को करें जो एक गर्भवती महिला को करने चाहिए, याद रखिए अपने मन से व्यायाम करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है, नियमित व्यायाम करने से आपकी मांसपेशियाँ मजबूत और लचीली हो जाती है, साथ हीं व्यायाम आपके दर्द सहने की क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे आपके नॉर्मल डिलेवरी की सम्भावनाएँ बढ़ जाती है|

गर्भ ठहरने की बात पक्की होने के बाद से हीं किसी अच्छी महिला डॉक्टर के सम्पर्क में रहें, तथा उन चीजों का पालन करें जो एक गर्भवती महिला को करनी चाहिए, नॉर्मल डिलीवरी एक माँ की स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है, और एक बात बिल्कुल न भूलें कि आप एक बच्चे को जन्म देने जा रही हैं, तो इसके लिए आपको शरीरिक और मानसिक रूप से बिल्कुल मजबूत रहना होगा, अगर आप गर्भ ठहरने के तुरंत बाद से खुद को पूरी तरह से आराम की आदि बना देंगीं, तो नॉर्मल डिलीवरी की सम्भावना काफी हद तक कम हो जाएगी|
 
तितली आसन – लचीलापन बढ़ाये
तितली आसन को गर्भावस्था के तीसरे महीने से कर सकते है, शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए यह आसन किया जाता है, इसे करने से शरीर के निचले हिस्से का तनाव खुलता है, इससे प्रजनन के दौरान गर्भवती महिला को दिक्कत कम होती है, तितली आसन करने के लिए दोनों पैरों को सामने की ओर मोड़कर, तलवे मिला लें, यानी पैरों से नमस्ते की मुद्रा बननी चाहिए, इसके पश्चात दोनों हाथों की उंगलियों को क्रॉस करते हुए पैर के पंजे को पकड़ें और पैरों को ऊपर-नीचे करें, आपकी पीठ और बाजू बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। इस क्रिया को 15 से अधिक बार ना करे|

सावधानी: यदि इस क्रिया को करते वक्त आपको कमर के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता हो तो इसे बिल्कुल भी न करें|

अनुलोम विलोम – रक्त संचार बेहतर बनाये
गर्भावस्था में अनुलोम विलोम आसन करने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है, इसे करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है, प्रेगनेंसी में तनावरहित रहने के लिए इस आसन को जरूर करना चाहिए, इस आसन को करने के लिए सबसे पहले तो सुखासन में बैठे,  इसके बाद दाएं हाथ के अंगूठे से नाक का दाया छिद्र बंद करें और अपनी सांस अंदर की ओर खींचे, फिर उसी हाथ की दो उंगलियों से बाईं ओर का छिद्र बंद कर दें और अंघूटे को हटाकर दाईं ओर से सांस छोड़ें, इस प्रक्रिया को फिर नाक के दूसरे छिद्र से दोहराएँ।

उष्ट्रासन – रीढ़ की हड्डी मजबूत बनाये
इस आसन को नियमित रूप से करने पर रीढ़ की हड्डी में मजबूती आती है, इसे करने से खून का प्रवाह सुचारू होता है और एनर्जी का लेवल भी बढता है, उष्ट्रासन करने के लिये जमीन पर दरी बिछाकर घुटनों के बल खड़े हो जाएं, अब अपने दोनों घुटनो को मिलाकर एवं एड़ी और पंजों को मिलाकर रखें, इसके पश्चात सांस को अंदर खींचते हुए धीरे-धीरे शरीर को पीछे की और झुखाये, अब दोनो हाथों से दोनो एड़ियों को पकड़ने की कोशिश करें, इस स्थिति में ठोड़ी ऊपर की ओर करके रखें और गर्दन को सीधा रखें, आपके दोनो हाथ भी सीधे होने चाहिए, सांस लेते हुए इस स्थिति में 30 सैकेंड से 1 मिनट तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।

पर्वतासन – कमर दर्द दूर करे
गर्भावस्था में पर्वतासन करने से कमर के दर्द से निजाद मिलती है, इसे करने से आगे चलकर शरीर बेडौल नहीं होता है, इस आसन को करने के लिए सर्व प्रथम सुखासन में आराम से बैठे, इस वक्त आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए, अब सांस को भीतर लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और हथेलियों को नमस्ते की मुद्रा में जोड़ लें, कोहनी सीधी रखें, कुछ समय के लिए इसी मुद्रा में रहें और तत्पश्चात सामान्य अवस्था में आ जाएं, इस आसन को दो या तीन से ज्यादा ना करे|


शवासन – मानसिक शांति के लिए
गर्भावस्था के दौरान शवासन करने महिलाओं को मानसिक शांति मिलती है, इस आसन की खासियत यह है की इसे करने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छी तरह होता है, इस आसन को करने के  लिए बिस्तर पर सीधा लेट जाएं और अपने हाथ और पैरो को खुला छोड़ दें, फिर पूरी तनावमुक्त हो जाएं और धीरे-धीरे लंबी सांस ले और छोड़ें।

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