प्लास्टिक के चावल चीन में बनते हैं, जो कि दिखने में बिल्कुल असली चावल की तरह लगते हैं। पकने के बाद आप इन चावलों में एक भी अंतर नहीं ढूंढ पाएंगे। चीन से आने वाला यह प्लास्टिक चावल अब भारत में धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा है। इन चावलों को बाजार में असली चावल के साथ मिला कर बेचा जाता है। इनका स्वाद, रंग और आकार देख कर आप कह ही नहीं पाएंगे कि ये चावल प्लास्टिक के बने हुए हैं।
यह पोस्ट आप जितना शेयर कर सकते है जरूर करे क्योंकि प्लास्टिक के चावल कैंसर की वो दुकान है जो आपके पुरे शरीर में कई अन्य गम्भीर रोगों को न्यौता दे सकती है। जानिए कैसे करे प्लास्टिक के चावल की पहचान-
यह पोस्ट आप जितना शेयर कर सकते है जरूर करे क्योंकि प्लास्टिक के चावल कैंसर की वो दुकान है जो आपके पुरे शरीर में कई अन्य गम्भीर रोगों को न्यौता दे सकती है। जानिए कैसे करे प्लास्टिक के चावल की पहचान-
कैसे बनता है प्लास्टिक राइस :
प्लास्टिक चावल को बनाने के लिये आलू, शकरकंद और प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है। जो इसे असली चावल का आकार देने में सहायक होता है।
प्लास्टिक की तरह जलता है :
प्लास्टिक चावल पकने के बाद कठोर ही रहता है। इसमें से निकला चावल का पानी (माड़) जब गाढ़ा हो जाता है तब, देखने में प्लास्टिक जैसा लगता है और अगर इसे सुखा कर जलाया जाए तो यह प्लास्टिक की तरह जलना शुरु हो जाता है।
चावल नहीं यह है पॉलीथीन बैग :
3 कटोरा प्लास्टिक चावल खाने का मतलब है कि आपने एक बड़ा पॉलीथीन बैग खाया है। यह चावल पेट में जा कर ना तो पचता है और ना ही सड़ता है।
दे सकता है कैंसर :
इसे खाने से पहले तो पेट की बीमारियां होंगी और अगर नियमित तौर पर खाया गया तो, कैंसर तक होने की भी संभावना है।
कैसे करें पहचान
प्लास्टिक चावल की तुलना जब भी साधारण राइस से की जाती है, तो देखने में आता है कि प्लास्टिक चावल काफी चमकदार, वजन में हल्के, बिना टूटे-फूटे और साफ-सुथरे होते हैं। यह पकने में भी काफी समय लेते हैं।
एक खास पहचान
यह भी भिगोते वक्त ध्यान रखें, प्लास्टिक चावल पानी में नहीं तैरता क्योंकि यह सौ फीसदी प्लास्टिक नहीं होता, इसमें आलू और शकरकंद भी मिला होता है। जबकि कुछ असली चावल पानी में तैरते हैं।