अक्षय तृतीया पर दान का होता है विशेष महत्व, सालों बाद बना ऐसा महाशुभ योग, ये है शुभ मुहूर्त


बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है इस बार यह तृतीया 18 अप्रैल को है। हिन्दू धर्म में इस तिथि को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग नए-नए सामान खरीदते है और शुभ काम की शुरुआत करते है। माना जाता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में धरती पर 6वीं बार जन्म लिया था। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी मां की पूजा भी जाती है। साथ ही माना जाता है कि इस दिन अन्न की देवी अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन रसोई की सफाई कर देवी अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। इस दिन दान का भी विशेष महत्व होता है। आइए जानते है

अक्षय तृतीया पर दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान का कई गुना फल मिलता है। 

महाभारत कथा के अनुसार जिस दिन दु:शासन ने द्रोपदी का चीर हरण किया था, उस दिन अक्षय तृतीया तिथि थी। तब भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को कभी न खत्म होनेवाली साड़ी वरदान स्वरूप दी थी। 

माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर ही युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी। इस पात्र की खूबी यह थी कि इसका भोजन कभी समाप्त नहीं होता था। इसी पात्र की सहायता से युधिष्ठिर अपने राज्य के भूखे और गरीब लोगों को भोजन उपलब्ध कराते थे। 

कहा जाता है कि जिस दिन सुदामा अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने गए थे, उस दिन अक्षय तृतीया ही थी। सुदामा के पास कृष्ण को भेंट करने के लिए चावल के मात्र 4 दानें ही थे, जिन्हें उन्होंने श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया। उनके इस भाव के कारण कान्हा ने उनकी झोंपड़ी को महल में बदल दिया। 

सालों बाद बना ऐसा महाशुभ योग, ये है शुभ मुहूर्त
बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। इस बार यह तृतीया 18 अप्रैल को है।  अक्षय का अर्थ होता है कि जिसका कभी क्षय न हो। यानी इस दिन अपने धर सोना आदि लाने से उसकी कभी कमी नहीं होती। अक्षय तृतीया को अक्षय तीज या आखा तीज या तीजा भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार कई सालों बाद अक्षय तृतीया पर सर्वार्थसिद्धि का योग बन है जो कि इस दौरान पूरे एक दिन के लिए होगा। इस कोई भी शुभ कार्य व मांगलिक कार्य करने विशेष लाभ मिलेगा।

अक्षय तृतीया के आसपास यदि कोई शादी- विवाह जैसे मांगलिक कार्य करना चाहता तो अक्षय तृतीया के दिन बिना किसी विचार और ज्योतिषीय गणना के ही इस दिन शादी- विवाह जैसे शुभ कार्य किया जा सकते हैं। अगली स्लाइड में पढ़ें शुभ मूहूर्त और और इसका महत्व-

अक्षय तृतीया का महाशुभ योग 18 अप्रैल को सुबह 4:47 मिनट से शुरू होकर अगले दिन शुबह 3:03 बजे तक रहेगा। करीब 24 घंटे का ऐसा महाशुभ योग सालों बाद बन रहा है। खबरों के अनुसार यह महा शुभ योग 11 साल बाद आया है। इस दौरान सोना, वाहन, मकान आदि खरीदने का विशेष लाभ मिलेगा। दिन शादी-विवाह व मुंडन कार्य भी विशेष लाभ मिलेगा।

पूजा में चढ़ाते हैं घट जल-
अक्षय तृतीया के मौके पर उत्तर प्रदेश समेत देश के कई इलाकों में नदी या तालाब में स्नान करके लोग नया घड़ा भरते हैं और फिर उसके जल से मंदिर के तेवताओं को स्नान कराते हैं। या कहें तो लोग इस दिन घड़े से देवताओं में जल चढ़ाते हैं। इस सत्तू खाने भी काफी शुभ माना जाता है। इसके साथ ही ब्राह्मणों को चने की दाल, ककड़ी, तरबूज और सत्तू-घी-शक्कर भी दान किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन दान करने का विशेष लाभ प्राप्त होता है।

माना जाता है कि इस सोना खरीदना या खासकर सोने या चांदी के मां लक्ष्मी के चरण पादुका खरीदकर लाने और फिर रोज उनकी पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा आती है।

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