यह रोग स्त्रियों को अधिक होता है। इसमें सिर के दाहिने या बाएं आधे भाग में बेचैन कर देने वाला दर्द होता है, इसीलिए इसे आधासीसी कहते हैं। सूर्य के बढ़ने के साथ-साथ दर्द बढ़ने के कारण इसे सूर्यावर्त भी कहते हैं। दर्द दोपहर में तीव्रता के साथ और सूर्य ढलने के साथ-साथ कम होता चला जाता है।
लक्षण : इस रोग में सिर के आधे भाग दाहिने या बाएं भाग में सुबह से दर्द होना, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छाना, कनपटी में चुभने वाला दर्द शुरू होकर धीरे-धीरे बढ़ते जाना, भोजन में अरुचि, शोरगुल, प्रकाश, रोशनी, हिलने-डुलने में दर्द और भी अधिक बढ़ना, जी मिचलाहट, उलटी होने के बाद या नींद आने से दर्द में आराम मिलना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।
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क्या खाएं
- हलका, सुपाच्य, पौष्टिक आहार खाएं।
- दही, चावल और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम के भोजन में सेवन करें।
- सूर्योदय के पूर्व गर्म दूध के साथ शुद्ध घी की जलेबी या रबड़ी खाएं।
- नाश्ते में गुलाब-जामुन, मिठाई सेवन करें।
- नीबू का रस, चीनी और शहद मिलाकर बनी शिकंजी भोजन के बाद पिएं।
- भोजन के पूर्व सुबह-शाम एक कप की मात्रा में अंगूर का रस पिएं।
क्या न खाएं
- भारी, गरिष्ठ, मिर्च-मसालेदार चीजें न खाएं।
- तेल या घी में तली, अधिक तीखी, नमकीन, खटाई युक्त चीजें भी न खाएं।
- मांसाहार सेवन न करें।
- शराब, कड़क चाय, कॉफी का अधिक सेवन न करें
रोग निवारण में सहायक उपाय
क्या करें :
- सूर्योदय से काफी पहले उठकर पानी पिएं, शौच जाएं और स्नान करें।
- नियमित हलका व्यायाम और शरीर की मालिश करें।
- दौरा पड़ने पर शांत, अंधेरे कमरे में, सिर पर कपड़ा बांध कर आराम करें।
- इच्छानुसार एक कप चाय या कॉफी पिएं।
- सिर की मालिश करें।
- हींग को पानी में घोलकर या शुद्ध घी को बार-बार।
- अपनी हीनभावनाएं, मानसिक तनाव, चिंता को दूर करें।
- घी और कपूर मिलाकर नाक के नथुनों में 2-3 बूंदें टपकाएं।
- निश्चिंत होकर गहरी नींद लें।
क्या न करें :
- अधिक शारीरिक एवं मानसिक परिश्रम और व्यायाम न करें।
- अजीर्ण/कब्ज की शिकायत न होने दें।
- आंखों पर अधिक जोर पड़े, ऐसे कार्य न करें।
- मल, मूत्र, आंसू व के वेगों को न रोकें।
- अधिक स्त्री-प्रसंग में लीन न रहें।
- रात्रि में जागरण न करें।
- दिन में सोने से परहेज करें।