जाने क्यों पूजा में जरुरी है पान का पत्ता, इसके बिना अधूरी है हर पूजा


प्रत्येक धर्म की अपनी अपनी मान्यताएं होती है और उस धर्म को मानने वाले लोग उस धर्म की रीति रिवांजो के तरीकों से अपना जीवन जीते हैं। हर धर्म में अपने ईष्ट पूजने की अलग अलग पूजा पद्धति है आज हम आपको हिन्दू धर्म के पूजा पद्धति में उपयोग में आने वाले एक ऐसे ही वस्तु से अवगत कराने जा रहें है। जिसका उपयोग हर देवी देवता के पूजा में किया जाता है, और वो वास्तु है “पान ” पान जिसे संस्कृत में ताम्बुल कहा जाता है। पान का नाम ताम्बुल ताम्र शब्द से बना है भारत में बहुत से लोग पान खाना पसंद करतें हैं हिंदुओ के धर्मों और शाश्त्रों में भी पान का उल्लेख मिलता है।

पान का महत्व केवल यहीं खत्म नहीं होता, पान तो धर्म एवं हवन पूजा से जुड़ी एक अहम सामग्री है। विभिन्न कर्म-कांडों में किसी ना किसी रूप से पान का प्रयोग किया जाता है। केवल पूर्वी ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारत में भी प्रत्येक शुभ कार्य से पहले पान के पत्ते के जरिये भगवान का नमन किया जाता है।
सनातन धर्म में विशेष माने जाने वाले ‘स्कंद पुराण’ में भी पान का ज़िक्र किया गया है। आपको बता दें कि देवताओं द्वारा समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का प्रयोग किया गया था। इस दौरान पान के पत्ते पर दिया को जलकर समस्त संसार में रोशनी फैलाने के लिए प्रयोग में लाया गया था, लेकिन पान के पत्ते की आध्यात्मिक महत्ता तो इससे भी काफी अधिक है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पान के पत्ते में विभिन्न देवी-देवताओं का वास है। जी हां, इस एक पत्ते में ब्रह्मांड के देवी-देवता वास करते हैं। यह भी एक कारण है कि क्यों हिन्दुओं द्वारा पूजा में पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं कि इस पत्ते के विभिन्न कोनों अथवा स्थानों पर देवी-देवता मौजूद हैं।
माना जाता है कि पान के पत्ते के ठीक ऊपरी हिस्से पर इन्द्र एवं शुक्र देव विराजमान हैं। मध्य के एक हिस्से में मां सरस्वती व दूसरे हिस्से में महालक्ष्मी विराजती है, जो अंत में तिकोना आकार लेता है।

इसके अलावा ज्येष्ठा लक्ष्मी पान के पत्ते के जुड़े हुए भाग पर बैठी हैं। यह वह भाग है जो पत्ते के दो हिस्सों को एक नली से जोड़ता है। विश्व के पालनहार भगवान शिव पान के पत्ते के भीतर वास करते हैं। भगवान शिव एवं कामदेव जी का स्थान इस पत्ते के बाहरी हिस्से पर है।

मां पार्वती एवं मंगल्या देवी पान के पत्ते के बाईं ओर रहती हैं तथा भूमि देवी पत्ते के दाहिनी ओर विराजमान हैं। अंत में भगवान सूर्य नारायण पान के पत्ते के सभी जगह पर उपस्थित होते हैं।

केवल एक ही पत्ते में संसार के सम्पूर्ण देवी-देवताओं का वास होने के कारण इसे पूजा सामग्री में इस्तेमाल किया जाता हिन्दू मान्यता के अनुसार छिद्रों से भरपूर, सूखा हुआ एवं मध्य हिस्से से फटा हुआ पान का पत्ता सामग्री के लिए कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पान का पत्ता हमेशा सही सलामत रूप में, चमकदार एवं कहीं से भी सूखा नहीं होना चाहिए। नहीं तो इससे व्यक्ति की पूजा साकार नहीं होती।

ऐसी मान्यता है कि यदि आप किसी अच्छे काम के लिए रविवार को घर से निकल रहे हों तो, पान का पत्ता साथ रखकर घर से बाहर कदम रखना चाहिए। यह व्यक्ति के सभी रुके हुए कार्यों को सम्पन्न करने में उपयोगी साबित होता है। मन की कामना पूर्ण करने के लिए भगवान को पान का पत्ता चढ़ाने के अलावा, भारतीयों में अपने घर आए मेहमान को खाने के पश्चात् पान खिलाने के भी संस्कार शामिल हैं।

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