कान में दर्द से निज़ात का ये है रामबाण इलाज़


कान का दर्द ज़्यादातर बच्चों और जवानों को हो जाता है। इस रोग मे रोगी को बहुत तकलीफ़ होती है। कान मे सुई छेदने की तरह रह रहकर पीड़ा होती है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है। जब कान के परदे या अन्दर की तरफ़ कोई कीटाणु चला जाता है या ठंडी वायु का प्रकोप हो जाता है। इससे कान के परदे पर सूजन आ जाती है। यही सूजन दर्द का कारण बनती है। कई बार बैठे-बैठे अचानक कान मे दर्द होने लगता है। यह दर्द कान के अन्दर खून की रुकावट या परदे पर लगने के कारण होता है।

कुछ स्त्री-पुरुषों की आदत होती है कि वे चिमटी, पेन्सिल या सलाई से जब-तब कान कुरेदने बैठ जाते ऐसा करने से कान का भीतरी भाग छिल जाता है जो वायु के वेग से प्रभावित होकर दर्द करने लगता है। इसलिए कान को हर समय कुरेदने से बचना चाहिए।
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कान दर्द होने के कारण :

1. कान मे ठंड लगने से।
2. कान को बार-बार कुरेदने से।
3. पानी का अचानक परदे पर चले जाने से।
4. चोट लगने से।
5. कान मे मैल भर जाने से।
6. कान मे फुन्सी हो जाने से।
7. सूजन आने से।
8. चर्म रोग होने से।
9. कान बहने के कारण।
10. तपेदिक, पुराने जुकाम के कारण।
11. कान मे किडा जाने से।
12. ख़सरा हो जाने से।

" कान के दर्द के लक्षण "

1. कान दर्द के कारण बेचैनी बढ जाती है।
2. कान मे भारी पन लगता है।
3. कान मे शूल जैसे चुभता है।
4. सिर मे दर्द होता है।
5. पलकों पर भारीपन व सूजन आ जाती है।
6. कान के अन्दर व बाहर सूजन आ जाती है।
7. बुखार आता है।
8. कान मे धूं-धूं के शब्द सुनाई देते है।
9. रोगी की सुनने की शक्ति कम हो जाती है।
10. कई बार कान से रक्त बहने लगता है।
11. कान से श्लेष्मा व पीव आदि निकलने लगते है।
12. दिमाग़ मे कमज़ोरी आ जाती है।
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" कान दर्द के घरेलू उपचार "

कान के दर्द को देसी और घरेलू तरीक़े द्वारा पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है। घरेलू उपायों से इलाज के बहुत से फायदे है। एक तो इनका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता और ये ज़्यादा ख़र्चीले भी नहीं होते है।

1. 25 ग्राम सरसो के तेल मे 5 ग्राम फूली फिटकरी तथा 5 ग्राम पिसी हल्दी मिलाकर आँच पर अच्छी तरह पका ले। फिर उसे छानकर कान मे बूँद- बूँद टपकाए। तीन-चार दिनों मे कान के सभी रोग दूर हो जाएँगे।
2. बच्चों के कान मे दर्द तथा घाव हो जाने पर माँ का दूध बच्चे के कान मे डालने से जल्दी आराम मिलता है।
3. मिट्टी के बर्तन को गोबर के कंडे की आँच मे गरम करे। फिर उसमें गोमूत्र डाले। इससे गोमूत्र गरम हो जाएगा। इसको सहता-सहता कान मे डाले।
4. 50 ग्राम सरसो के तेल मे 2 चम्मच मूली का रस मिला ले। फिर इसे आग पर पकाए। रस जलने के बाद जब तेल शेष रह जाए तो इसे नीचे उतारकर सहता-सहता कान मे डाले।
5. कान मे अदरक का रस गुनगुना करके डालने से दर्द कम हो जाता है। 

" कान मे दर्द होने पर क्या खाए और क्या करे "

भोजन सादा, हल्का तथा जल्दी पचने वाला करे। दालों मे अरहर, उरद, मलका आदि का प्रयोग न करे। तरोई, लौकी, सेम, टमाटर, पालक, मूली आदि की सब्ज़ियाँ बहुत लाभदायक़ है। घी,दूध तथा मौसमी फलो का सेवन करते रहे। पेट मे क़ब्ज़ न बनने दे।

यदि किसी कारणवश क़ब्ज़ की शिकायत हो तो उसे दूर करने के लिए पपीता, एरंड का तेल या छोटी हरड़ का चूर्ण उचित मात्रा मे ले। पेट को साफ करने वाली कोई भी तेज़ दवा न ले। कान मे सलाई सा सींक से सफ़ाई न करे। पिचकारी से कान को धोकर दवा डालने से काफ़ी लाभ होता है।

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