ब्रैन अटैक के बाद हर सैकंड 32 हजार कोशिकाओं की डेथ हो जाती है कुछ मिनटों के बाद यह संख्या अनगिनत होने से जीवन व मृत्यु के बीच फासला कुछ देर का ही रह जाता है।
ब्रेन अटैक मरीज को घर से जल्द अस्पताल पहुंचाना एक ऐसी मेडिकल इमरजेंसी है जिसके बारे में लोगों को पता ही नहीं है। अटैक आने के 30 मिनट बाद इलाज शुरू करना सबसे सही निर्णय होता है।
ब्रेन अटैक के दो कारण
– 85 प्रतिशत मरीजों में ब्रेन के अंदर धमनी में खून की गांठ जमना।
– 15 प्रतिशत मरीजो में ब्रेन हेमरेज की वजह से।
क्लॉट निकालने के तीन तरीके के इलाज
आईवी- थ्रंबोलिसिस मेडिसिन की डोज दी जाती है। पहले 1 घंटे का असर मरीज के लिए ठीक रहता है, फिर 3 से साढे़ तीन घंटे का असर उतना कारगर नहीं रहता। यह इलाज 40-60 प्रतिशत असरकारी होता है।
ट्राआर्टिफिशियल- धमनी के अंदर सोलिटेर डिवाइस के जरिये कैथेटर डाल कर खून के क्लॉट निकालने का यह 60 से 80 प्रतिशत कारगर तरीका है। यह एक तरह से माइनर सर्जरी है।
सर्जरी- इसमें ब्रेन पूरा खोल देते हैं। उसके बाद अटैक वाली नली में से क्लॉट निकालते हैं। ये मरीज की जिंदगी बचाने के लिए अंतिम उपाय है जिससे उसे फिर अटैक आने की आशंका नहीं रहती।
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