इस भाग-दौड़ जिदंगी में हम इतना व्यस्त हो चुके हैं कि हम अपने ऊपर भी ध्यान नहीं दे पा रहे हैं कि हमारे बॉडी में क्या हो रहा हैं क्या नहीं आपने देखा होगा कि हमारे बॉडी पर कई जगह काले निशान पड़ जाते है। तो आप सोचते हैं कि ऐसे ही हो गया होगा अपने आप ठीक हो जाएगा। लेकिन हम गलत होते हैं और कई बार वो निशान महिनों तक भी नहीं जाते है। आप इस दाग को इगनोर ना करें ये खतरनाक साबित हो सकते है।
इस कारण बनते हैं काले निशान:-
स्किन पर चोट लगने के बाद रक्त धमनियों को नुकसान पहुंचने से नील पड़ जाते हैं। इस तरह की चोट से खून रिसता हैं और आसपास की कोशिकाओं में फैल जाता हैं, जिससे कि नील जैसा निशान पड़ जाता है।
बुढ़ापा- बुढ़े लोगों के हाथों के पीछे नील पडऩा एक सामान्य बात है। एक्टिनिक पप्र्युरा कहलाने वाले ये नील के निशान लाल रंग से शुरू होकर, पर्पल, और गहरे रंग के होते हुए फिर हल्के होकर गायब हो जाते हैं।
पोषण की कमी- कुछ विटामिन और मिनरल की कमी के कारण ये समस्या हो जाती हैं, इसलिए प्रोटीन वाली चिजों का सेवन करें।
विटामिन की कमी– इस विटामिन्स की कमी हो जाने के कारण शरीर में काले निशान पड़ जाते हैं, विटामिन के खून को जमने में मदद करता है और ये हड्डियों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण घटक भी है। इस विटामिन की कमी से सामान्य रक्त जमने की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। वहीं विटामिन सी कोलोजन और अन्य घटक जो त्वचा और रक्त धमनियों में अंदरूनी चोट लगने से बचाव करते हैं, उनके संश्लेषण के लिए ये जरूरी है।
थ्रोंबोफिलिआ- ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे कि थ्रोंबोटिक थ्रोंबोसाइटोपेनिया पप्र्यूरा (टीटीपी) या आईडियोपेथिक थ्रोंबोसाइटोपेनिक पप्र्यूरा (आईटीपी) जिनमें कि प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, इनके कारण भी शरीर की ब्लड क्लॉट की क्षमता कम हो जाती है, जिससे कि नील के निशान पड़ते हैं।
हीमोफीलिया- हीमोफीलिया थ्रोम्बोफिलिया की उल्टी प्रक्रिया है। इस समस्या में भी आपके शरी में काले निशान पड़ जाते है। इस बीमारी में भी अधिक रक्तस्राव की आशंका रहती है।