कुष्ठ रोग के लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार


कुष्ठ रोग यानि जिसे कोढ भी कहा जाता है। यह किसी तरह का खानदानी रोग नहीं होता है। यह किसी को भी हो सकता है। कुष्ठ रोग दो तरह का होता है। असंक्राम और संक्रामक। इस बीमारी में रोग से ग्रसित अंग सुन्न हो जाता है जिस वजह से रोगी को सर्दी व गर्मी का एहसास नहीं होता है। साथ ही इस रोग में गले, नाक और त्वचा से कोढ़ के कीटाणु बनकर निकलते रहते हैं। इंसान को पांव में चुभने वाली कील व कांच का लगने तक का एहसास नहीं होता है।
टीबी यानि कि क्षय रोग और कोढ के कीटाणु एक दूसरे से मिलत जुलते होते हैं। यही वजह होती है कि कोढ यानि कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान को टीबी की बीमारी भी होती है। यह सच है कि अधिकतर कोढ की बीमारी गरीब लोगों को ही होती है। वैदिक वाटिका आपको बता रही है कोढ़ का आयुवेर्दिक इलाज :

कोढ या कुष्ठ रोग के लक्षण


  • इस रोग में रोगी के शरीर में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं जैसे
  • घावों से हमेशा मवाद व पीप का बहना
  • घाव का ठीक ना हो पाना
  • खून का घावों पर से निकलते रहना
  • इस तरह के घावों के होने व उनके ठीक ना होने के कारण रोगी के अंग धीरे.धीरे गलने लगते हैं और पिघल कर गिरने लगते हैं। जिससे रोगी धीरे.धीरे अपाहिज होने लगता है।

कोढ यानि कुष्ठ रोग के मुख्य कारण क्या हैं


  • उचित और प्रर्याप्त मात्रा में पौष्टिक  भोजन का सेवन ना करना जिस वजह से कुपोषण होता है।
  • शरीर को लंबे समय तक हवा व खुली धूप ना मिलना
  • लंबे समय से गंदा व दूषित पानी पीते रहना
  • अधिक मात्रा में मीठी चीजों का सेवन करते रहना
  • नशे का बहुत अधिक सेवन करना
  • ज्यादा भोग विलास में डूबे हुए रहना आदि।

आयुर्वेद में कोढ का उपचार है लेकिन यह तभी काम करता है जब आप लंबे समय तक इन बाताए जा रहे आयुवेर्दिक उपायों को करते रहें। आइये जानते हैं क्या है कुष्ठ रोग का उपचार।

  • आंवले को सुखाकर उसे पीस कर आप उसका चूर्ण बना लें और राेज आंवले के चूर्ण की एक फंकी को पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से कुछ ही महीनों में कुष्ठ रोग ठीक हो सकता है।
  • चालमोगा तेल और नीम का तेल दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर कोढ से ग्रसित अंग पर नियमित कुछ दिनों तक लगाते रहने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। चालमेगा का तेल आपको किसी आयुर्वेद के पंसारी के पास मिल जाएगा।
  • शंख ध्वनि में बहुत ताकत होती है। कोढ या कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान को रोज शंख ध्वनि सुननी चाहिए। इससे कोढ के जीवाणु खत्म हो जाते हैं।
  • लंबे समय तक परवल की सब्जी को बनाकर खाने से कुष्ठ रोग ठीक हो सकता है।

चनों का सेवन

  • चनों में मौजूद गुण कुष्ठ रोग को खत्म कर देते हैं। इसके लिए आप तरह तरह से चनों का सेवन करें। पानी में उबले हुए चनों को खाते रहने से कुष्ठ रोग ठीक हो सकता है।
  • चने के आटे की रोटी का सेवन करना भी कोढ़ से निजात दे सकता है।
  • उबले हुए चनों का पानी पीते रहने से भी कोढ़ की समस्या ठीक हो जाती है।
  • अंकुरित चनों को लंबे समय तक खाते रहने से कुष्ठ रोग से राहत मिलती है।

तुलसी के पत्ते
तुलसी के दस से पंद्राह पत्तों को चबाते रहने से भी कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
इसके अलावा आप तुलसी के पानी को कोढ से ग्रसित अंग के उपर लगाते रहने से कोढ के कीटाणु बढ़ना बंद हो जाते हैं।

अनार के पत्ते
अनार के पत्तों को पीसकर उसका लेप बना लें और इस लेप को कोढ से ग्रसित घावों पर लगाते रहने से कोढ़ के घाव ठीक होने लगते हैं।

जमीकन्द
नियमित कुछ दिनों तक जमीकन्द की बनी सब्जी का सेवन करते रहने से कोढ या कुष्ठ रोग कुछ ही दिनों में ठीक होने लगता है। लंबे समय तक जमीकन्द की सब्जी खाने से ज्यादा अच्छा असर होगा।

फूलगोभी की सब्जी
लंबे समय तक रोज फूलगोभी से बनी सब्जी का सेवन करते रहने से कुष्ठए चर्म रोग व खुजली आदि की समस्या ठीक हो जाती है।

बथुआ
बथुआ साक खाने से कुष्ठ रोग कुछ ही समय में खत्म हो जाता है। इसके अलावा बथुआ का उबला हुआ पानी पीते रहने कोढ की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है।

हल्दी
पिसी हुई हल्दी एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम फंकी लेने से कुष्ठ रोग जल्दी ठीक होता है। इसके अलावा हल्दी गांठ को पीसकर उसका लेप बना लें और फिर उस लेप का कुष्ठ से प्रभावित जगह पर लगाने से बहुत ही जल्दी इस बीमारी से निजात मिलता है।

नीम का प्रयोग
कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसानों को नीम के पेड़ के नीच बैठना चाहिए और इसके अलाव नीम के तेल से अपने शरीर की मालिश रोज और लंबे समय तक करते रहें।

नीम की पत्तियों का रस बनाकर उसकी तीन से चार चम्मच सुबह व शाम दो बार सेवन करें। इस उपाय को भी लंबे समय तक करें। तभी आपको कोढ से निजात मिल सकता है। नीम की पत्तियों से बने हुए बिस्तर पर भी रोगी को आराम करना चाहिए। नीम की पत्तियों से स्नान व नीम की दातुन से दांत भी साफ करें।

बथुआ के कुछ कच्चे पतों को लें और उन्हें पीसकर उसका रस निकालें ए रस कम से कम दो कप होना चाहिए। इस रस में आधा कप तिलों का तेल मिला लें और हल्की आंच पर गरम कर लें। और बाद में इसे अच्छे से छान लें फिर इसे किसी कांच की बोतल में भरकर रख लें। नियमित इस तेल से कुष्ठ रोग से ग्रसित अंगों पर इसकी मालिश करते रहें।  लेंबे समय तक इस उपाय को करने से कुष्छ रोग से निजात मिलता है।

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