ककड़ी के औषधीय प्रयोग:आतों के घाव और अल्सर

- सब्जी के रूप में इस्तेमाल करने पर पथरी होने की संभावना नहीं रहती. गर्मियों में ठंडक देती है .
- छौंक लगाना यानी संस्कृत में संस्कारित करना है . यह एक वैज्ञानिक पद्धति है जिससे उसके गुण बढ़ते है और दोष कम होते हैं . इसलिए इतना मसाला भी नहीं डालना चाहिए की इसके मूल गुण समाप्त हो जाए .
- इसकी सब्जी पेट की समस्याओं में लाभदायक हैं
- जब खाना हो तुरंत काट कर खाए. ज़्यादा देर काट के रखा हुआ सलाद खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं .
- पहले से इस पर नमक डाल के रखने से इसके स्वाभाविक गुण नष्ट हो जाते है . इसलिए अलग से नमक ले और काटी हुई ककड़ी को लगा कर खाए .
- जले हुए पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है .
- त्वचा पर लगाने से झाइयाँ समाप्त होती है .
- इसका बीज पौष्टिक होता है और ठंडाई में भी डलता है .
- इसका सेवन सुबह धुप चढ़ने से पहले करना चाहिए .तब ये किडनी की सफाई कर देती है .
- रात में या शाम को इसका सेवन करने से वायु बनती है और कफ़, अफारा हो सकता है .
- १ ग्रा . ककड़ी के बीज और ४ ग्रा . मुलेठी पावडर रात में मिटटी के पात्र में आधा ली . पानी में भिगो के रखे . इसका सुबह सेवन करने से आतों के घाव और अल्सर तक ठीक हो जाता है .
- इसकी जड़ को गर्भवती माताएं पेट दर्द में इस्तेमाल कर सकती हैं .यह शीतल और सौम्य है .
- सुबह सुबह बिना नमक ककड़ी चबा चबा कर खाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है .
- कच्चा -पका एक साथ नहीं खाना चाहिए . इसलिए सलाद खाने के साथ नहीं पहले खाना चाहिए . इससे वजन भी कम होगा .
- सलाद या रायता खाने के बाद तुरंत पानी या दूध नहीं पीना चाहिए .

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