आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में ये समस्या आम सी हो गयी हैं, और अलोपथी में इसका कोई इलाज भी नहीं हैं, बस जीवन भर दवाई लेते रहो, और आराम कोई नहीं। तितली के आकार की थॉयराइड ग्रंथि गले में पायी जाती है। थायराइड ग्रंथि ऊर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है, यह मास्टर लीवर है। अखरोट और बादाम का सेवन करने से थॉयराइड ग्रंथि सुचारु हो जाती है। इसमें सेलेनियम नामक तत्व होता है जो थॉयरइड में प्रभावी है।
》 क्या है थॉयराइड समस्या :-
थॉयराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, क्योंकि इसके लक्षण व्यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर चिकित्सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो-इम्युनिटी दिखाई देती है।
》 थॉयराइड की समस्या दो प्रकार की होती है :-
हाइपोथॉयराइडिज्म और हाइपरथॉयराइडिज्म। थॉयराइड ग्रंन्थि से अधिक हॉर्मोन बनने लगे तो हाइपरथॉयरॉइडिज्म और कम बनने लगे तो हाइपोथायरॉइडिज्म होता है। थॉयराइड की समस्या होने पर थकान, आलस, कब्ज का होना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक ठंड लगना, भूलने की समस्या, वजन कम होना, तनाव और अवसाद जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
》 अखरोट और बादाम है फायदेमंद :-
अखरोट और बादाम में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्या के उपचार में फायदेमंद है। 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है। अखरोट के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। अखरोट और बादाम सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्म (थॉयराइड ग्रंथि का कम एक्टिव होना) में करता है।
》 क्या हैं सेलीनियम :-
थॉयराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है इसे थायराइड-सुपर-न्युट्रीएंट भी कहा जाता है। यह थॉयराइड से सम्बंधित अधिकांश एंजाइम्स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है, इसके सेवन से थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करने लगता है। यह ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता सहित प्रजनन आदि अनेक क्षमतायें भी निर्भर करती है। यानी अगर शरीर में इस तत्व की कमी हो गई तो रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए खाने में पर्याप्त मात्रा में सेलेनियम के सेवन की सलाह दी जाती है।