रामफल रक्त और वीर्य शोधन से कैंसर तक लाभकारी.

रामफल के फायदे

रामफल एक मध्य म श्रेणी का वृक्ष होता है। इसका तना अधिक मोटा नहीं होता। यह पर्याप्त काष्ठीय एवं भूरे वर्ण का होता है। इसकी शाखायें भी पतली एवं भूरे वर्ण की होती है। शाखाओ पर सीताफल की पतियों की भांति पते लगे होते है। रामफल का बाहरी आवरण चिकना होता है, बेल की तरह। बाकी पेड़, पत्ता और फल के अंदर का बीज लगभग एक जैसा होता है। पतों पर विन्यास आम की पतियों के समान होता है। पत्तियां सलंग किनारे वाली होती है। इसके पुष्प छोटे हरे-सफ़ेद तथा फल आलू के समान वर्ण वाले और गूदेदार होते है। इसका गुदा खट्टा मीठा और कषैला होता है। जब यह वृक्ष अपना पर्याप्त आकार ले लेता है, तब इसका छत्रक काफी सुन्दर दिखाई देता है और वृक्ष के नीचे काफी शीतलता रहती है।

रामफल खून के दोषों को दूर करने वाला, कफ-वात का बढ़ाने वाला, जलनकारी, प्यास लगाने वाला, पित्त को कम करने वाला और संकोचक है। रामफल के फल का रस भारी तथा कीटाणु को मारने वाला है। अतिसार रोग तथा पेचिश के रोग में इसके रस को पिलाने से बहुत लाभ मिलता है। इसके फल को खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। रामफल की जड़ को अपस्मार (मिर्गी) से पीड़ित व्यक्ति को सुंघाने पर रोगी के मिर्गी का दौड़ा पड़ना रुक जाता है। रामफल की छाल एक प्रभावशाली संकोचक (सिकुड़न वाले) पदार्थ होते हैं।

आइये जाने रामफल के औषधीय महत्त्व
रक्तशोधन में

रक्त विकार से शरीर में अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। फोड़े फुंसी आदि की समस्या भी इसी कारण से हो सकती है। इससे मुक्ति पानी के लिए रक्तशोधन की आवश्यकता होती है। नित्य रामफल का सेवन रक्त का उत्तम शोधन करता है। नित्य एक रामफल का सेवन करने वाला अपने आपको काफी स्फूर्तिदायक अनुभव करता है। इसका मिश्री मिलाकर शरबत भी बनाया जा सकता है।
आमतिसार में

रामफल को एक मिक्सर में टुकड़े करके डाल दें तथा भली प्रकार उसका जूस बना लें। इस जूस को २ से ३ दिन तक पीने से आमतिसार रोग में लाभ होता है।
पेट के कृमि मारने में

पेट में कीड़े होने से खाया पिया SHARIR को लगता नहीं। और बेचैनी का भी अनुभव होता है। बच्चे पेट के कीड़ों के कारण से अधिक परेशान होते हैं। इस समस्या के उपचारार्थ रामफल को काले नमक के साथ खाना लाभदायक होता है। इस हेतु रामफल के छोटे छोटे टुकड़े कर उन पर काले नमक को बुरक दें तथा रूचि अनुसार ग्रहण करें। इससे पेट के कीड़े मर कर मल द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
पौष्टिकता और वीर्य वृद्धि हेतु
रामफल खाकर ऊपर से मिश्री मिला हुआ एवं औटाया हुआ दूध पीना हितकर होता है। इस प्रयोग से जहाँ एक और पौष्टिकता में वृद्धि होती है, वहीँ दूसरी और वीर्य भी पुष्ट होता है।
शुक्र स्तम्भन हेतु

रामफल की परिपक्व (पूर्ण रूप से पकी हुयी) छाल का चूर्ण लगभग एक माशा मिश्री के साथ लेने से शुक्र स्तम्भन होता है। इस प्रयोग से लिंगोथान में भी धनात्मक परिणाम मिलते हैं।
कैंसर में.

अनेक विदेशी अध्ययनों में यह साबित हुआ है के रामफल कैंसर से लड़ने में बहुत  ही प्रभावशाली है. कुछ अध्ययन तो इसको कैंसर से 10000 गुणा अधिक प्रभावशाली मानते हैं

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