सर्दी-जुकाम के लोकप्रिय घरेलू नुस्खों को आजमाने से पहले जानिए उनके सच!


सदियों से लोग आम सर्दी जुकाम के लिए प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करते आये हैं। हालांकि कुछ प्राकृतिक कोल्‍ड उपचार को वैज्ञानिक समर्थन भी मिला है लेकिन कुछ पर न तो अच्‍छी तरह से अध्‍ययन हुआ है और न ही शोधों द्वारा समर्थन मिला है।

यहां तक सर्दी जुकाम के उपचार के लिए अपनाने वाले ज्‍यादातर उपाय, समस्‍या का इलाज करने की बजाय सिर्फ लक्षणों को दूर करते है। इसलिए सर्दी जुकाम के लिए लोकप्रिय विकल्‍पों का इस्‍तेमाल करने से पहले इससे होने वाले फायदे या नुकसान के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। आइए ऐसे ही कुछ लोकप्रिय नुस्‍खों की सच्‍चाई के बारे में जानते हैं।

नींबू और शहद :

नींबू और शहद में मौजूद कई प्राकृतिक गुणों के कारण, इसे सामान्‍य सर्दी और जुकाम से लड़ने में मददगार औषधि माना जाता है। शहद और नींबू दोनों में संक्रमण को रोकने और रोगाणुओं के विकास को बाधित करने की महत्वपूर्ण क्षमता होती है। एक ओर नींबू जहां विटामिन सी और एंटीमाइक्रेबिल गुण से भरपूर होता है, वहीं दूसरी ओर शहद अपने मीठा स्‍वाद, मौसमी एलर्जी से लड़ने की क्षमता और एंटीमाइक्रोबिल गुण होते है। और दोनों को एक साथ गर्म पानी या चाय के रूप में उपयोग करने से सर्दी के लक्षणों को दूर किया जा सकता है।

नींबू और शहद से जुड़ा सच :

लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि जंगली शहद में क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम के बीजाणु होते हैं और जब यह शिशुओं द्वारा लिया जाता है तो यह बीजाणु और विषाक्त पदार्थ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते है। इसी कारण से, 12 महीने तक के बच्‍चों को शहद देने से माना किया जाता है। इसके अलावा नींबू के रस की ज्‍यादा मात्रा सिट्रिक एसिड की ज्‍यादा मात्रा प्राप्‍त होती है जिससे मतली या उल्‍टी या आंख या त्‍वचा में जलन जैसी समस्‍याएं हो सकती है। अन्‍यथा, नींबू और शहद का नियमित रूप से उपभोग बच्‍चों और वयस्‍कों दोनों के लिए सुरक्षित माना जाता है।

विटामिन डी और सूरज :

कुछ समुद्री आहार में विटामिन डी प्राकृतिक रूप से पाया जा सकता है। लेकिन अधिकांश लोग अपने शरीर के लिए जरूरी विटामिन डी सूर्य से प्राप्‍त करते हैं। (एनआईएच, 2012) विटामिन डी ह‍ड्डियों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आवश्‍यक होता है और साथ ही यह दिल, त्‍वचा, ओरल, मांसपेशियों और प्रतिरक्षा स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने में मदद करता है। लेकिन लोगों के शरीर में विशेष रूप से सर्दियों के दौरान विटामिन डी का पर्याप्‍त मात्रा नहीं होती है। विटामिन डी की कमी से रिकेट्स और अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं भी हो सकती है।

विटामिन डी से जुडा़ सच :

लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि विटामिन डी की ज्‍यादा खुराक थकान, कमजोरी, मतली और उल्‍टी, सिरदर्द और भूख की कमी का कारण बन सकता है। साथ ही अन्‍य दवाओं जैसे हार्ट, किडनी, ब्‍लड प्रेशर और अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के साथ लेने से इसके नकारात्‍मक प्रभाव भी सकते हैं। इसलिए हमेशा किसी भी अन्‍य दवा के साथ विटामिन डी लेने से पहले अपने चिकित्‍सक से सलाह लें। हालांकि सूरज से प्राप्‍त साइड इफेक्‍ट बहुत कम होते हैं। लेकिन सूरज में बहुत ज्‍यादा रहने से सनबर्न, त्‍वचा को नुकसान, गर्मी से होने वाली थकान, उल्‍टी यहां तक कि त्‍वचा कैंसर जैसे समस्‍याएं भी हो सकती है।

सर्दी जुकाम के लिए लहसुन :

लहसुन लंबे समय से भोजन में स्‍वाद और आम स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के इलाज के लिए इस्‍तेमाल होने वाली एक खाद्य जड़ी-बूटी है। लहसुन खाने या इसके सप्‍लीमेंट लेने से उच्‍च रक्‍तचाप, फंगल स्किन इंफेक्‍शन, टिक बाइट ट्रीटमेंट और कुछ तरह के कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। इसके अलावा इससे कई अन्‍य प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं जैसे डायबिटीज, हाई कोलेस्‍ट्रॉल, और कॉमन कोल्‍ड के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। लहसुन में एलिसिन नामक रसायन में एंटी-बैक्टेरियल, एंटी वायरल और एंटी फंगल गुण के कारण यह सर्दी-जुकाम से लड़ने में काफी मददगार होता है।

लहसुन से जुड़ा सच :

आमतौर पर अपने आहार में लहसुन या लहसुन के सप्‍लीमेंट का नियमित रूप से उपयोग सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसके कुछ संभव दुष्प्रभाव भी होते हैं। लेकिन लहसुन सांस में बदबू, मुंह, पेट या सीने में जलन, गैस, मतली, उल्टी, शरीर में गंध और दस्त का कारण बन सकता है। अक्‍सर कच्चा लहसुन स्थिति को और भी खराब कर देता हैं। लहसुन से रक्तस्राव का खतरा भी बढ़ सकता है। सर्जरी के बाद लहसुन का सेवन से अन्य एलर्जी प्रतिक्रियाओं और ब्‍लीडिंग की शिकायत हो सकती है।

कोल्‍ड के लिए ग्रीन टी :

ग्रीन टी में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यानी इसके नियमित सेवन से वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचा जा सकता है।ग्रीन टी मे कई स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से वजन घटाने, त्वचा को सुंदर बनाने, तेज स्मरण शक्ति, पाचन और शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत बनाने में मदद मिलती है। ये दांतों की सड़न, अर्थराइटिस, किडनी के रोग, दिल के रोग और अनियमित रक्तचाप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही यह आम सर्दी खांसी में बहुत ही मददगार होती है।

ग्रीन टी से जुड़ा सच :

ज्यादातर लोग ग्रीन टी को सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद मानते हैं। इसलिए वे दिन भर में कई बार ग्रीन टी की चुस्कियां लेते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ग्रीन टी का ज्यादा सेवन सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। ग्रीन टी में कैफीन होता है इसलिए इसे ज्यादा पीने से स्लीपींग डिस्‍आर्डर की समस्या हो सकती है। ग्रीन टी में ज्यादा मात्रा में कैफीन नहीं होता है लेकिन एक दिन में ज्यादा ग्रीन टी पीने से बैचेनी, हृदय गति में अनियमितता, अनिद्रा की समस्या, चिंता, चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। ग्रीन टी आयरन को अवशोषित करता है जिससे शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। इसलिए जो लोग एनिमीया के शिकार हैं उन्हें ग्रीन टी पीते समय सावधानी बरतनी चाहिए। 

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