अकरकरा के आयुर्वेदिक उपाय गुणों से भरपूर है


अकरकरा नाम के हर्ब से बहुत कम लोग प्र‍चलित है। लेकिन यह हर्ब प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर रोजमर्रा में होने वाले संक्रमण का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करता है। आइए इससे जुड़े औषधीय एवं आयुर्वेदिक गुण के बारे में जानते हैं।

1. औषधीय एवं आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर अकरकरा :

अकरकरा नाम के हर्ब से बहुत कम लोग प्र‍चलित है। अकरकरा कड़वा, तीखा, प्रकृति में गर्म तथा कफ और वातनाशक है। इसका प्रयोग दंतमंजनों और पेस्ट में होता है। ये पाचक और रुचिवर्धक होता है। इसमें खून साफ करने, सूजन को कम करने, मुंह की बदबू को नष्ट करने, दन्त रोग, दिल की कमजोरी, बच्चों के दांत निकलने के समय के रोग, तुतलाहट, हकलाहट, रक्तसंचार को बढ़ाने के गुण होते हैं। अकरकरा चयापचय को ठीक रखता है और विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर रोजमर्रा में होने वाले संक्रमण का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करता है। आइए इससे जुड़े औषधीय एवं आयुर्वेदिक गुण के बारे में इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से जानकारी लेते हैं।

2. आम सर्दी जुकाम और अस्‍थमा में लाभकारी :

अकरकरा में मौजूद एंटी-वायरल गुणों के कारण ये फ्लू और सांस संबंधी सभी समस्‍याओं में लाभकारी होता है। समस्‍या होने पर अकरकरा की जड़ के पाउडर को काली मिर्च के साथ मिलाकर लेना चाहिए। साथ ही अकरकरा के कपड़े से छानकर इस चूर्ण को सूंघने से सांस संबंधी अवरोध दूर होते है। इसके अलावा लगभग 20 ग्राम अकरकरा को 200 मिलीलीटर जल में उबालकर काढ़ा बनायें और जब यह काढ़ा 50 मिलीलीटर की मात्रा जाये तो इसमें शहद मिलाकर अस्थमा के रोगी को सेवन कराने से अस्थमा रोग ठीक हो जाता है।

3. हृदय रोग में फायदेमंद :

अकरकरा के औषधीय प्रभाव के कारण इसका इस्‍तेमाल कभी-कभी हृदय प्रणाली के लिए भी किया जाता है। अर्जुन की छाल और अकरकरा का चूर्ण दोनों को बराबर मिलाकर पीसकर दिन में सुबह और शाम आधा-आधा चम्मच की मात्रा में खाने से घबराहट, हृदय की धड़कन, पीड़ा, कम्पन और कमजोरी में लाभ होता है। या कुलंजन, सोंठ और अकरकरा की लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग मात्रा को 4 कप पानी में उबालें, जब यह 1 कप रह जाये तो इसे उतारकर ठंडा कर लें। फिर इसे पीने से हृदय रोग मिटता है।

4. दांतों के रोग दूर करें :

अकरकरा दांत के रोगों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। अकरकरा को सिरके में घिसकर दुखते दांत पर रखकर दबाने से दर्द में लाभ होता है। साथ ही अकरकरा और कपूर को बराबर की मात्रा में पीसकर नियमित रूप से सुबह-शाम मंजन करते रहने से सभी प्रकार के दांतों की पीड़ा दूर हो जाती है। इसके अलावा अकरकरा, माजूफल, नागरमोथा, फिटकिरी, कालीमिर्च, सेंधा नमक को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इससे नियमित मंजन करते रहने से दांत और मसूढ़ों के समस्त विकार दूर होकर मुंह से आने वाली दुर्गंध भी दूर हो जाती है।

5. हकलाहट और तुतलाहट दूर करें :

अकरकरा हर्ब जीभ की मोटाई के कारण उत्पन्न तुतलापन को दूर करने में मदद करता है। अकरकरा और कालीमिर्च बराबर लेकर पीस लें। इसकी एक ग्राम की मात्रा को शहद में मिलाकर सुबह-शाम जीभ पर 4-6 हफ्ते तक नियमित प्रयोग करने से पूरा लाभ मिलता है। या अकरकरा 12 ग्राम, तेजपता 12 ग्राम तथा कालीमिर्च 6 ग्राम पीसकर रख लें। इसमें से 1 चुटकी चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम जीभ पर रखकर जीभ को मलने से भी लाभ होता है। साथ ही यह खांसी और आवाज के बैठने पर भी उपयोगी होता है।

6. सिर दर्द में उपयोगी :

यदि सर्दी के कारण आपके सिर में दर्द हो रहा हैं तो अकरकरा आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। सिर में दर्द होने पर थोड़ी मात्रा में अकरकरा की जड़ को लेकर दांतों के नीचे दबायें रखें। इससे शीघ्र लाभ होगा। या बादाम के हलवे के साथ आधा ग्राम अकरकरा का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से लगातार एक समान बने रहने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा अकरकरा को पानी में पीसकर गर्म करके माथे पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

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