जानें सेहत के लिए कितना फायदेमंद है धतूरा

औषधि गुणों की खान माने जाने वाले धतूरा की जड़, फल, फूल, पत्ते भी औषधि गुणों से युक्त होते हैं। पैर में सूजन हो जाने पर इसके पत्ते को पीसकर लगाना काफी उपयुक्त माना जाता है। सांस के रोगों और जोड़ों के दर्द में भी यह लाभदायक होता है। आइए इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से धतूरे के औषधीय गुणों की जानकारी लेते हैं।

धतूरा के फायदे
यूं तो ईश्वर को अपनी बनाई सभी वनस्पतियां प्रिय हैं, लेकिन धतूरा इसके औषधीय गुणों के कारण शिवजी को विशेष प्रिय है। धतूरा ऐसा पौधा है, जो जड़ से लेकर तना तक औषधि गुणों से परिपूर्ण होता है। आयुर्वेद पद्धति में धतूरा का बहुत महत्व है। औषधि गुणों की खान माने जाने वाले धतूरा की जड़, फल, फूल, पत्ता औषधि गुणों से युक्त हैं। पैर में सूजन हो जाने पर इसके पत्ते को पीसकरलगाना काफी उपयुक्त माना जाता है। सांस के रोगों और जोड़ों के दर्द में भी यह लाभदायक होता है। बुखार, सायटिका, गठिया, पेट में गैस आदि तमाम रोगों में धतूरा का शोधन कर बनाई दवा से रोगों से मुक्ति मिलती है। आइए इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से धतूरे के औषधीय गुणों की जानकारी लेते हैं। 

बालों के लिए लाभकारी
अगर आपके सिर के बाल लगातार झड़ रहे हैं और आप गंजेपन का शिकार हो रहे हैं तो धतूर आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। धतूरे के रस को सिर पर मलने से बाल उगने में सहायता मिलती है। इसका प्रयोग नियमित रूप से कुछ हफ्तों तक करना चाहिए। धतूरे के पत्तों के रस का लेप करने से गंजापन दूर हो जाता है। इसके अलावा बच्‍चों के बालों में अक्‍सर जुएं हो जाती है। अगर आपका बच्‍चा भी जुआं से परेशान हैं तो आधा लीटर सरसों के तेल में ढाई सौ ग्राम धतूरे के पत्तों का रस निकालकर और इतनी ही मात्रा में पत्तियों का कल्क बनाकर धीमी आंच पर पकाकर जब केवल तेल बच जाय तब बोतल में भरकर रख लें यह सिर में पाए जानेवाले जूएं के श्रेष्ठ औषधि है।

दर्द-निवारक गुण
धतूरे का प्रयोग दर्द-निवारक के रूप में भी होता है। इसकी पत्तियों, फूलों व बीजों को पीसकर बनाए गए पेस्ट का लेप बनाकर दर्द वाले स्थान करने पर लगाने से राहत मिलती है। इसके पेस्ट को सरसों या तिल के तेल में पकाकर धतूरे का तेल बनाया जाता है, जो एक अच्छा दर्द-निवारक है। इसका लेप बवासीर के दर्द से भी राहत देती है। यदि शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन हो तो धतूरे के पत्तों को हल्का गुनगुना कर गर्म कर सूजन वाले स्थान पर बांध दें निश्चित लाभ मिलेगा। इसके अलावा यह कान दर्द में भी तुरंत लाभ मिलता है। दर्द होने पर सरसों का तेल 250 मिली, 60 मिलीग्राम गंधक और 500 ग्राम धतूरे के पत्तों का स्वरस, इन सभी को एक साथ धीमी आंच पर पकाएं। जब तेल बचा रहे तब उसे इक्कठा कर कान में एक या दो बूँद टपका दें।

गठिया में लाभकारी
धतूरा गठिया रोग में भी लाभकारी होता है। समस्‍या होने पर धतूरा के पंचांग का रस निकालकर उसको तिल के तेल में पकायें, जब तेल शेष रह जाये तो इस तेल को मालिश करके ऊपर धतूरा के के पत्‍ते बांध देने से गठिया दूर होता है। जोड़ों के दर्द में धतूरा के सत का लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में 3 बार रोगी को देने से लाभ मिलता है। इसके अलावा धतूरा के पत्‍तों के लेप या इसके पत्‍तों की पोटली से गाठिया और हड्डी दर्द में लाभ मिलता है।

अन्‍य लाभ
  •     नेत्र रोगों और श्वसन तंत्र व सांस संबंधी रोगों में यह बेहद लाभकारी है। फेफड़े, छाती आदि में कफ जमा होने पर यह रामबाण की तरह काम करता है।
  •     इसका प्रयोग रक्त संचार सुचारू बनाए रखने के लिए भी किया जाता है।
  •     धतूरा हृदय की गतिविधियों को नियंत्रित रखता है।
  •     यह मासिक धर्म संबंधी गड़बडियों को ठीक करता है।
  •     एक अच्छा कामोद्दीपक धतूरा शरीर के तापमान को संतुलित व प्रतिरक्षा-शक्ति को बढ़ाता है।
  •     प्रतिरक्षा प्रणाली के बढ़ने से मौसम में परिवर्तन का शरीर पर बुरा असर नहीं होता।
सावधानी
धतूरा औषधीय गुणों से भरपूर है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि धतूर विष है और अधिक मात्रा में इसका सेवन शरीर में रुखापन लाता है। मात्रा से अधिक प्रयोग करने पर सिरदर्द, पागलपन और बेहोशी जैसे लक्षण उत्पन्न करता है और आंखे व चेहरा लाल हो जाता है। शरीर का तापमान बढ़ जाता है। चक्कर आने लगता है। आंखों के तारे फैल जाते हैं और व्यक्ति को एक वस्तु देखने पर एक से दिखाई पड़ने लगती है। रोगी रोने लगता है। नाड़ी कमजोर होकर अनियमित चलने लगती है। कई बार तो यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है। इसलिए इसका प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में सावधानीपूर्वक करें तो बेहतर होगा।

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