पिपली के गुण
पिपली एक औषधीय पौधा है जो भारत में सड़क के किनारे बहुतायत में पाया जाता है| पिपली को संस्कृत में पिप्पली , वैदेही और मागधी भी कहते हैं| यह हर जगह उग सकता है लेकिन हम ने कभी इनके गुण दोष को कभी समझा ही नहीं | आपके शरीर में किसी भी तरह का बुखार हो यह उसमे रामबाण औषधी की तरह काम करता है किसी का लिवर ख़राब हो गया हो, भूख खुल कर ना लगती हो, मोटापा हो या किसी भी तरह का दर्द हो यह अपना काम बड़ी तत्परता से करता है |
पिपली के फायदे
पिपली कल्प स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है| पहले दिन एक पिप्पली को एक गिलास दूध में पकाएं | पहले पिपली खाकर उसके उपर से दूध पी लें | अगले दिन दो पिपली दूध में पकाकर लें | 11 पिपली तक इसी तरह करें | फिर वापिस घटाते जाएँ | दिन में कुछ न खाएं या कुछ हल्का खाएं | किसी भी तरह का नशा न करें| इस कल्प को करने में लगभग 21 दिन लग जाते हैं | इस कल्प को करने से चेहरे पर चमक आती है, हर प्रकार का दर्द खत्म हो जाता हैं, अस्थमा में आराम आता है और शरीर की स्फूर्ति बढ़ जाती है|
पिपली एक औषधीय पौधा है जो भारत में सड़क के किनारे बहुतायत में पाया जाता है| पिपली को संस्कृत में पिप्पली , वैदेही और मागधी भी कहते हैं| यह हर जगह उग सकता है लेकिन हम ने कभी इनके गुण दोष को कभी समझा ही नहीं | आपके शरीर में किसी भी तरह का बुखार हो यह उसमे रामबाण औषधी की तरह काम करता है किसी का लिवर ख़राब हो गया हो, भूख खुल कर ना लगती हो, मोटापा हो या किसी भी तरह का दर्द हो यह अपना काम बड़ी तत्परता से करता है |
पिपली के फायदे
- पीपल, पीपलामूल, चित्रक, चव्य, सौंठ का काढ़ा बना कर पीने से thyroid की बीमारी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है |
- पिपली का लगातार सेवन करने से मोटापा भी कम होता है |
- स्त्रियों की माहवारी यदि कम हो तो पिपली + पीपलामूल (पिप्पली की जड़) डेढ़- डेढ़ ग्राम मिलाकर उसका काढ़ा बनाकर पीयें ये लेने से दर्द भी कम होता है और माहवारी भी नियमित हो जाती हैं यह थोडा गर्म होने की वजेह से गर्मी में कुछ कम मात्रा में लें|
- पिप्पली का पावडर भूनकर नस्य लेने से सिरदर्द. नजला, जुकाम में आराम मिलता है|
- कफ वाली हर दवाई में पिप्पली का प्रयोग होता है | एक ग्राम पिप्पली के पावडर को दूध के साथ रात को सोते समय लेने से नींद अच्छी आती है और कफ में भी आराम मिलता है |अस्थमा में दो ग्राम पिप्पली का पावडर शहद के साथ लेंने से कुछ ही समय में कफ बनना बंद हो जाता है |
- पिप्पली को बारीक़ पीसकर उसमे देसी गौ का शुद्ध घी मिलाकर धूप की बत्ती की तरह बना लें और उसके धुआं को किसी मीती के बर्तन पर ले कर काजल बना लें उस काजल को रतौंधी के मरीज को लगाने से कुछ ही समय में रोग समाप्त हो जाता है और आँखें भी ठीक रहती हैं ।
- पिप्पली के पाउडर को शहद के साथ चाटने से स्वरभंग से छुटकारा मिलता है|
- हृदय रोग में पिप्पली + हरी इलायची एक एक ग्राम दूध के साथ लें या दूध में उबालकर लें यदि अर्जुन की छाल का पावडर भी मिला लें तो और भी फायदा है |
- बच्चों का दांत निकलते समय पिपली घिसकर शहद के साथ चाटने से दांत आराम से निकल आते हैं|
- नवप्रसूता माताएं तीन ग्राम शतावर +एक ग्राम पिप्पली का पावडर दूध बढ़ाने के लिए सुबह शाम ले सकती हैं . इससे शरीर भी जल्द ही सामान्य स्थिति में आ जाएगा |
- पेट दर्द के लिए पिप्पली का एक ग्राम पावडर शहद के साथ चाटें |
- 5 ग्राम पिपली + 1 ग्राम पीपला मूल के काढ़े से मोटापा भी ठीक होता है |
- लीवर बढ़ा हुआ हो या लिवर में सोजिश हो तो 5 ग्राम पिपली + एक ग्राम पीपलामूल मिलाकर लें . यह दर्द के लिए भी अच्छा है |
पिपली कल्प स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है| पहले दिन एक पिप्पली को एक गिलास दूध में पकाएं | पहले पिपली खाकर उसके उपर से दूध पी लें | अगले दिन दो पिपली दूध में पकाकर लें | 11 पिपली तक इसी तरह करें | फिर वापिस घटाते जाएँ | दिन में कुछ न खाएं या कुछ हल्का खाएं | किसी भी तरह का नशा न करें| इस कल्प को करने में लगभग 21 दिन लग जाते हैं | इस कल्प को करने से चेहरे पर चमक आती है, हर प्रकार का दर्द खत्म हो जाता हैं, अस्थमा में आराम आता है और शरीर की स्फूर्ति बढ़ जाती है|