काली खांसी, कुकर खांसी के लिये चमत्कारी घरेलु नुस्खा, जरुर पढ़ें


काली खांसी 5 से 15 वर्ष आयु तक के बच्चों को होने वाला कष्टदायक रोग है। काली (कुकुर) खांसी को जनसाधारण में ``कुत्ता खांसी``, ``कुकर खांसी`` तथा एलोपैथी में `हूपिंग कफ` कहा जाता है। काली खांसी में निरन्तर खांसते हुए रोगी के मुंह से `हुप-हुप` ध्वनि निकलने लगती है। कुकुर खांसी बच्चों में होने वाली एक संक्रामक तथा खतरनाक बीमारी है। यह मुख्यत: श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है जो विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों के लिए बहुत ही चिन्ता का विषय है। 
भारत जैसे विकासशील देश में प्रत्येक एक लाख की आबादी पर 578 बच्चे प्रत्येक वर्ष इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। यह एक संक्रामक रोग है जो कि लड़कों की तुलना में लड़कियों को ज्यादा होता है। 6 महीने से कम उम्र के बच्चों में इस बीमारी से मृत्यु दर अधिक होती है। हालांकि यह बीमारी साल के किसी भी महीने में हो सकती है किंतु सर्दी के मौसम में काली (कुकुर) खांसी होने की बहुत अधिक संभावना रहती है। 

कारण : 

काली (कुकुर) खांसी की उत्पत्ति हिमोफाइलस परटुसिस जीवाणुओं के संक्रमण से होती है। रोग के जीवाणु रोगी बच्चे की नाक और मुंह में छिपे रहते हैं। जब रोगी बच्चे जोर से खांसते और छींकते हैं तो रोग के सूक्ष्म जीवाणु वायु में फैलकर दूसरे स्वस्थ बच्चे तक पहुंच जाते हैं। रोगी बच्चे से बातचीत करने, उसके साथ उठने-बैठने से यह रोग दूसरे बच्चों में भी फैल जाता है। काली खांसी संक्रामक रोग है। घर में किसी एक व्यक्ति को काली खांसी हो जाने पर धीरे-धीरे पूरे घर में खांसी फैल जाती है। छोटे बच्चों में काली खांसी की उत्पत्ति सर्दी-जुकाम के कारण होती है। अधिक सर्दी लगने, पानी में अधिक भीगने व सर्दी के दिनों में नंगे पांव घूमने से सर्दी-जुकाम होता है। ऐसे में कुछ बच्चे मूंगफली, अखरोट व अन्य कोई मेवा और घी, तेल मक्खन से बनी चीजें खाकर ठंड़ा पानी पीते हैं तो उन्हें खांसी हो जाती है और फिर सर्दी के प्रकोप से काली (कुकुर) खांसी में परिवर्तित हो जाती है। 

लक्षण : 

काली (कुकुर) खांसी में रोगी का खांसते-खांसते गला रुंध सा जाता है तथा बुखार, जुकाम, आंखों से पानी बहना, घबराहट, सांस बन्द हो जाना, हवा के लिए छटपटाना, चेहरा लाल पीला पड़ जाना, गले की नसें फूल जाना आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कुछ समय बाद घर्र-घर्र करती आवाज से सांस ऊपर से नीचे होने लगती है। थोडे़ समय के बाद ही काली खांसी प्राणघातक रूप धारण कर लेती है तथा यह बच्चों की जानलेवा बीमारी होती है। कुछ बच्चों को काली खांसी का रोग एलर्जी के कारण होता है। एलर्जिक वस्तु के संपर्क में आने पर सांस लेने में परेशानी होती है। गले में जलन व खुजली होती है। गले में सूजन होने से खांसी का प्रकोप बढ़ने के कारण रोगी को बहुत पीड़ा होती है। खांसते हुए रोगी का मुंह लाल पड़ जाता है। मुंह से लार गिरने लगती है। आंखों में से आंसू बहने लगते हैं। रोगी बच्चे भयभीत होकर रोने लगते हैं। अन्त में वमन (उल्टी) होने पर खांसी का प्रकोप कुछ कम हो जाता है। बार-बार खांसी होने और उल्टी होने से बच्चे शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो जाते हैं। कुछ भी खाते-पीते समय खांसी का दौरा प्रारंभ हो जाता है। लगातार खांसी का दौरा चलने पर वमन (उल्टी) होती है। बार-बार वमन (उल्टी) होने पर खाया हुआ भोजन पेट से बाहर निकल जाता है। कई बार औषधि खिलाते समय भी खांसी शुरू हो जाती है और वमन (उल्टी) होने जाने के कारण औषधि भी निकल जाती है। खांसी के रोगी बच्चे को बिस्तर पर जाने के बाद थोड़ी देर बाद खांसी का प्रकोप अधिक होता है। बच्चे के जोर-जोर से बोलने और क्रोध करने पर खांसी का दौरा प्रारंभ हो जाता है। 

विभिन्न औषधियों से उपचार- 

1. सुहागा : सुहागा, कलमीशोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। फिर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद को मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी दूर हो जाती है। तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से कालीखांसी दूर हो जाती है।
2. पीपल : पीपल, काकड़ासिंगी, अतीस और बहेड़ा सभी औषधियों को 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी को बारीक कूट-पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। इसमें 10 ग्राम नौसादर, 10 ग्राम भुना हुआ सुहागा मिलाकर खरल में पीस लें। इसके 3 ग्राम चूर्ण को दिन में 2-3 बार चाटने से काली खांसी दूर हो जाती है। 1 भाग पीपल और 2 भाग बहेड़ा का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से कुकुर खांसी तथा अन्य सभी प्रकार की खांसी दूर हो जाती हैं। 
3. अड़ूसा : अड़ूसा के सूखे पत्तों को मिट्टी के बर्तन में रखकर, आग पर गर्म करके उसकी राख को तैयार कर लें। उस राख को 24 से 36 ग्राम तक की मात्रा में लेकर शहद के साथ रोगी को चटाने से कालीखांसी दूर हो जाती है।
4. गन्ना : 50 मिलीलीटर कच्ची मूली का रस गन्ने के रस में मिलाकर दिन में 2 बार पिलाने से कुकर खांसी में लाभ मिलता है। 
5. नारियल : 3 मिलीलीटर नारियल का तेल हल्का गर्म करके रोगी बच्चे को पिलाने से खांसी का प्रकोप कम हो जाता है। नारियल की जटा की भस्म करके लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शहद से या पानी से खाएं। इससे 2-3 बार में ही खांसी का वेग व खांसी खत्म हो जाती है। नारियल का तेल छोटे बच्चों को पिलाने से काली खांसी में बहुत लाभ मिलता है। 
6. मोर के पंख : मोर के पंख के ऊपर के ``चन्द्र`` भाग को काटकर, किसी मिट्टी के बर्तन में भरकर रख दें, फिर उस बर्तन का मुंह बन्द करके उसे तेज आग पर गर्म करें। आग पर गर्म करने से मोर के पंख जलकर भस्म (राख) बन जाते हैं। इसके बाद उस बर्तन को आग से निकालकर, भस्म में भुना हुआ सुहागा मिलाकर उसे खरल में पीस लें। लगभग एक चौथाई ग्राम से कम मात्रा में शहद मिलाकर दिन में कई बार चाटने से काली खांसी शीघ्र ही नष्ट हो जाती है। 
7. अदरक : अदरक के रस को शहद में मिलाकर 2-3 बार चाटने से काली खांसी का असर खत्म हो जाता है। 
8. बादाम : 3 बादाम रात को पानी में डालकर रख दें। सुबह उठकर बादाम के छिलके उतारकर लहसुन की एक कली और मिश्री मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को रोगी बच्चों को खिलाने से काली खांसी दूर हो जाती है। 
9. लहसुन : बच्चों की कुकर खांसी में लहसुन की माला पहनाते हैं जिससे इसकी गंध खांसने के साथ-साथ अन्दर चली जाती है और इसी का रस आधा चम्मच शहद के साथ भी पिलायें। इससे काली खांसी दूर हो जाती है। लहसुन का रस दस बूंद या एक चम्मच की मात्रा में (उम्र के अनुसार) शहद मिलाकर प्रतिदिन दो-तीन बार सेवन करने से खूब लाभ मिलता है। बच्चों को लहसुन की पोटी को अलग करके धागे में पिरोकर गले में पहना दें। 
10. लौंग : तवे को आग पर रखकर लौंग को भून लें, फिर उस लौंग को पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है। थोड़ी-सी लौंग तवे पर भूनकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रखें। इस लौंग के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से कालीखांसी दूर हो जाती है। बच्चों को काली खांसी में एक चौथाई ग्राम से कम गोलोचन को सुबह-शाम शहद के साथ चटाने से लाभ मिलता है। गोलोचन शुद्ध होना चाहिए क्योंकि यह मार्केट में बहुत अधिक मात्रा में नकली पाये जाते हैं। 
11. तुलसी : तुलसी के पत्तों के 3 ग्राम रस में शहद मिलाकर चाटने से कालीखांसी में बहुत अधिक लाभ मिलता है। तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च समान मात्रा में पीस लें। इसकी मूंग के बराबर की गोलियां बना लें। एक-एक गोली को चार बार देना चाहिए। इससे कुकर (काली) खांसी नष्ट हो जाती है। 
12. कपूर : काली खांसी होने पर बच्चों को बिस्तर पर सुलाने से पहले उसके सीने और कमर पर कपूर को तेल में मिलाकर मालिश करने से काली खांसी बन्द हो जाती है। 
13. गठिवन : गठिवन (बन तुलसी) के पंचांग का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से कफ और खांसी दूर हो जाती है। 
14. पान : 3 ग्राम पान के पत्तों के रस में शहद मिलाकर 1-1 बार चाटने से काली खांसी में बहुत अधिक लाभ मिलता है। 
15. हल्दी : हल्दी की 3-4 गांठों को तोड़कर तवे पर भूनकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लेने से कालीखांसी में आराम आता है। 
16. फिटकरी : फिटकरी को दरदरा (मोटा-मोटा) पीसकर तवे पर भूनते समय केले के पेड़ के गूदे का पानी 100 मिलीलीटर थोड़ा-2 कर गेरते जाएं फिर इसे उतारकर ठंड़ा करके पीस लें। इसे एक चौथाई ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चटाएं। इससे काली खांसी का प्रकोप शान्त हो जाता है। लगभग आधा ग्राम भुनी हुई फिटकरी तथा आधा ग्राम चीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को खिलाने से पांच दिनों में ही कालीखांसी दूर हो जाती है। वयस्कों (बालिग व्यक्तियों) को काली (कुकुर) खांसी होने पर उन्हें दुगुनी मात्रा में देना चाहिए। यदि बिना पानी के निगल न सके तो एक-दो घूंट गर्म पानी ऊपर से पिलाना चाहिए। थोड़ी सी भुनी हुई फिटकरी लेकर इसमें थोड़ी सी शक्कर मिलाकर दिन में 3 बार खाने से 5 दिन में ही खांसी ठीक हो जाती है। एक चौथाई ग्राम से कम मात्रा में फिटकरी की भस्म को सुबह-शाम लगभग आधा ग्राम काकड़ासिंगी के चूर्ण और शहद को मिलाकर देने से बहुत अच्छा लाभ मिलता है। चने की दाल के बराबर पिसी हुई फिटकरी को गर्म पानी से रोजाना 3 बार लेने से कुकुर खांसी ठीक हो जाती है। 
17. अमरूद : एक कच्चे अमरूद को लेकर चाकू से कुरेदकर उसका थोड़ा-सा गूदा निकाल लें। फिर इस अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर भर दें। इसके बाद अमरूद पर कपड़ा लपेटकर उसमें गीली मिट्टी का लेप चढ़ाकर आग में भून लें। इसके बाद इसके ऊपर से मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद को पीस लें। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से कालीखांसी में लाभ होता है। एक अमरूद को गर्म बालू या राख में सेंककर सुबह-शाम दो बार खाने से काली खांसी ठीक हो जाती है। 
18. बकरी का दूध : 100 से 250 मिलीलीटर काली बकरी का दूध दो सप्ताह तक पिलाने से काली खांसी दूर हो जाती है। 
19. अजवायन : जंगली अजवायन का रस, सिरका और शहद तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच रोजाना 2-3 बार सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है। 
20. घी : आधा ग्राम से 1 ग्राम घी में भुनी हुई हींग पानी में घोलकर 2 बार पिलाने से काली खांसी (कुकुर खांसी) ठीक हो जाती है। 
21. हींग : काली खांसी (कुकुर खांसी) में बच्चों के सीने पर हींग का लेप करने से लाभ मिलता है। 
22. सिगरेट : 1 ग्राम सिगरेट की राख को 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है। इसे 1 ग्राम से लेकर 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 सेवन करने से काली खांसी में आराम आता है। 
23. मक्का : मक्का के बीज निकाले हुए भुट्टे को जलाकर राख कर लें। इस 1-2 ग्राम राख को शहद के साथ दिन में 2 बार रोगी को देने से काली खांसी दूर हो जाती है। 
24. कुलिंजन : एक चौथाई ग्राम से भी कम मात्रा में कुलिंजन का चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम रोगी को चटाने से काली खांसी (कुकुर खांसी) बन्द हो जाती है। 
25. दही : 2 चम्मच दही, 1 चम्मच चीनी तथा आधा ग्राम कालीमिर्च को शहद में मिलाकर बच्चे को चटाने से बच्चों की काली खांसी मिट जाती है। 
26. काकड़ासिंगी : 10-10 ग्राम काकड़ासिंगी, सोंठ और बड़ी पीपल को पीसकर और छानकर लगभग 1 ग्राम तक शहद के साथ दिन में 3 बार रोगी को चटाने से सूखी काली खांसी दूर हो जाती है। 10-10 ग्राम काकड़ासिंगी, पीपल की जड़, सेंधानमक, बहेड़े का छिल्का, गोंद और बबूल को पीसकर छान लें, फिर इसे पानी में मिलाकर चने के आकार की गोलियां बना लें। इन गोलियों को छाया में सुखाकर दिन में 3-4 बार चूसने से सभी प्रकार की खांसी ठीक हो जाती है। 10-10 काकड़ासिगी, बहेड़े का छिलका, कबाबचीनी और मुलहठी को पीसकर छान लें, फिर इसमें अदरक के रस को मिलाकर चने के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इसकी 1-2 गोली को दिन में 3 बार चूसने से काली खांसी में लाभ होता है। 
27. करंज : 15 ग्राम करंज के बीजों की गिरी को पानी के साथ पीसकर, आधी कालीमिर्च के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रख लें। इसकी एक-एक गोली को सुबह-शाम सेवन करने से काली खांसी में आराम आता है। आधा ग्राम करंज के बीजों के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम चाटने से कुकुर खांसी मिट जाती है। करंज की फलियों की माला बनाकर गले में पहनने से कुकर खांसी दूर हो जाती है। 
28. आंवला : 10-10 ग्राम आंवला, छोटी पीपल, सेंधानमक, बहेड़े का छिलका और बबूल का गोंद को पानी के साथ पीसकर और छानकर आधा ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 3 बार प्रयोग करने से गले की खराबी से उठने वाली खांसी ठीक हो जाती है। 
29. तालीसपत्र: 2 से साढे़ 3 ग्राम की मात्रा में तालीसपत्र को गर्म पानी में भिगोकर रोगी को पिलाने से कुत्ता खांसी (कुकुर खांसी) मिट जाती है। 
30. कस्तूरी : सरसों के दाने भर कस्तूरी को मक्खन के साथ खिलाने से कुत्ता खांसी (कुकुर खांसी) मिट जाती है। 
31. नागफनी : नागफनी और थूहर के फल को भूनकर उसका रस निकालकर एक चौथाई ग्राम शहद के साथ बच्चों को चटाने से कुकर खांसी मिट जाती है। 
32. चकोतरा : आधा से 1 चम्मच महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस सुबह-शाम शहद के साथ रोगी को देने से आक्षेप (बेहोशी) युक्त खांसी, कुकुर खांसी मिट जाती है। यह महानींबू (बिजौरा नींबू) से भी बड़ा, 6 से 8 इंच के व्यास वाला होता है। 
33. थूहर : थूहर के लाल फल को हल्का सा गर्म करके उसका रस निकाल लें, फिर उस रस में शहद मिलाकर रोगी को चटाने से काली खांसी में बहुत जल्दी आराम आता है। 
34. कसौंदी : 5 से 10 मिलीलीटर कसौंदी का रस सुबह-शाम पीने से कालीखांसी ठीक हो जाती है। 
35. इलायची : बड़ी इलायची के दानों को तवे पर भूनकर उसमें बराबर मात्रा में सौंफ, मुलहठी और मुनक्का (बीज निकालकर) पीसकर चूर्ण बना लें। इसके एक चौथाई ग्राम से भी कम चूर्ण को शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से काली खांसी में लाभ मिलता है। 
36. कटेली : छोटी कटेली को पानी में देर तक उबालकर काढ़ा बना लें, फिर उस काढे़ को छानकर उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर रोगी को हल्का गर्म-गर्म पिलाने से काली खांसी ठीक हो जाती है। 
37. भाप : रोगी बच्चे को भाप का बफारा देने से बहुत लाभ होता है। किसी बड़े बर्तन में पानी को उबालकर, उसमें 2-3 बूंदे जैतून या यूकेलिप्टस ऑयल को डालकर बच्चों को उसमें नाक और मुंह से सांस लेने के लिए कहें। इस भाप को लेने से मुंह और नाक में छिपे काली खांसी के विषाणु नष्ट हो जाते हैं। विषाणुओं के नष्ट होने से खांसी भी ठीक हो जाती है। 
38. आक : आक (मदार) के फूल को हण्डिया में भरकर उसका मुंह बन्द करके उसके ऊपर कपड़ा बांधकर उसके ऊपर मिट्टी भरकर उसे भट्टी में रखकर भस्म कर दें। इस राख को शीशी में भरकर रख लें। इस राख को एक चौथाई ग्राम से कम मात्रा में शहद के साथ दिन में 3-4 बार रोगी को देने से कुछ ही दिनों में काली खांसी ठीक हो जाती है। 
39. अरुस : 500 मिलीलीटर अरुस का रस, 10 ग्राम मिर्च, 20 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को पानी मे डालकर पकाना चाहिए। जब यह लगभग 375 मिलीलीटर रह जाए तो इसे उतार लें। इसके 6 मिलीलीटर काढ़े में लगभग 6 ग्राम शहद मिलाकर पीने से काली खांसी, कफ और छई को जिसमें मुंह में कफ के साथ खून गिरता है का रोग दूर हो जाता है। 
40. अफीम : 1 ग्राम अफीम, 10 ग्राम मुलहठी का सत, 10 ग्राम बबूल का गोंद, 10 ग्राम निशास्ता को पीसकर मूंग के आकार की गोलियां बना लें। यह 1 से 2 वर्ष वाले को बच्चे को 1 गोली, 2 से 4 वर्ष वाले को 2 गोली तथा 4 से 8 वर्ष वाले को 3 गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से काली खांसी, कुकर खांसी के रोग में लाभ होता है। 
41. केला : केले के सूखे पत्तों को जलाकर राख बना लें। इस राख को थोड़ी सी मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर रोगी को दिन में 3-4 बार देने से काली खांसी दूर हो जाती है। 
42. भटकटैया : भटकटैया के रेशों को छाया में सुखाकर इसे एक चौथाई ग्राम से भी कम मात्रा में शहद मिलाकर दिन में 5-7 बार चाटने से काली खांसी नष्ट हो जाती है। 
43. कालीमिर्च : 5 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम पिपली और 20 ग्राम अनारदाना को पीसकर इसमें गुड़ मिलाकर चने के आकार की गोलियां बना लें। फिर इन गोलियों को छाया में सुखाकर रख लें। इसकी 1-1 गोली को दिन में 2-3 बार चूसने से काली खांसी दूर हो जाती है। 10-10 ग्राम कालीमिर्च और आखड़े के फूलों को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर खाना खाने से पहले खाने से काली खांसी में लाभ मिलता है। 
44. मकई : काली खांसी दूर करने के लिए मकई को तवे पर जलाकर शहद के साथ दिन में 2-3 बार चाटने से लाभ होता है। 
45. कंजा : 1-1 कंजा, बड़ी पीपल, बड़ी हरड़ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग नमक तथा 3 पत्ते बांस के पीसकर 125 मिलीलीटर पानी में डालकर किसी मिट्टी के बर्तन में आग पर चढ़ा दें, पकने पर जब एक चौथाई पानी शेष रह जाए तो तब उसे उतारकर छान लें। इसके 2-3 ग्राम काढ़े को दिन में 3-4 बार रोगी को पिलाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।

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