काकजंघा एक हर्बल पौधा है। जो अधिकतर उंचे टीलों, नदी के पास वाली जगहों, जंगलों आदि जगहों में पैदा होता है। आयुर्वेद में इस पौधे को नदीकांता भी कहा जाता है। क्योंकि यह नदी के किनारे होता है।
आयुर्वेद में काकजंघा का प्रयोग कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। काकजंघा पौधे का फूल सर्दियों और बारिश में खिलते हैं। इस पौधे के बारे में अभी तक कम ही लोग जानते हैं।
काकजंघा के फूल सफेद गुलाबी और हरे रंग के होते हैं। और इसका फल काले रंग का होता है।
काकजंघा के कौन कौन से बीमारियां ठीक होती हैं। चलिए जानते हैं।
काकजंघा के औषधिय लाभ
सफेद प्रदर में
सफेद प्रदर की बीमारी से बचने के लिए चावल के पानी के साथ काकजंघा की जड़ के पेस्ट के साथ सेवन किया जाता है।
वात रोग में
वात रोग में घी के साथ दस ग्राम काकजंघा के रस को मिलाकर सेवन करने से वात रोग से निजात मिलता है।
कान की समस्या
यदि कान में कीड़ा चला गया हो तो आप काकजंघा के पत्ते से बने रस की कुछ बूंदे कान में टपकाएं आपको आराम मिलेगा।
खुजली व दाद में
यदि दादए खाज व खुजली की समस्या हो रही हो तो आप काकजंघा के रस से शरीर की मालिश करें। आपको आराम मिलेगा।
खून की गंदगी होने पर
यदि खून में विकार आ गया हो तो आप काकजंघा का काढ़ा बनाकर सेवन करें। यह खून की गंदगी को साफ करता है।
विष व जहरीले कीड़े के काटने पर
यदि शरीर में किसी जहरीले कीड़े ने डंक या काट लिया हो तो आप काकजंघा के पेस्ट को लोहे के चाकू पर लगाकर उस जगह पर मलें जहां पर कीड़े ने काटा है।
इसके अलावा यह औषधिय पौधा फोड़े.फुंसी, गहरे घाव, कुष्ठ आदि रोगों को ठीक करता है। काकजंघा एक शीतल और खुश्क पौधा है। जो त्वचा से संबंधित रोगों को भी ठीक करता है। बुखार, गठिया और कृमि जैसी गंभीर बीमारियों से आपको बचाता है यह पौधा।
आयुर्वेद में काकजंघा का प्रयोग कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। काकजंघा पौधे का फूल सर्दियों और बारिश में खिलते हैं। इस पौधे के बारे में अभी तक कम ही लोग जानते हैं।
काकजंघा के फूल सफेद गुलाबी और हरे रंग के होते हैं। और इसका फल काले रंग का होता है।
काकजंघा के कौन कौन से बीमारियां ठीक होती हैं। चलिए जानते हैं।
काकजंघा के औषधिय लाभ
सफेद प्रदर में
सफेद प्रदर की बीमारी से बचने के लिए चावल के पानी के साथ काकजंघा की जड़ के पेस्ट के साथ सेवन किया जाता है।
वात रोग में
वात रोग में घी के साथ दस ग्राम काकजंघा के रस को मिलाकर सेवन करने से वात रोग से निजात मिलता है।
कान की समस्या
यदि कान में कीड़ा चला गया हो तो आप काकजंघा के पत्ते से बने रस की कुछ बूंदे कान में टपकाएं आपको आराम मिलेगा।
खुजली व दाद में
यदि दादए खाज व खुजली की समस्या हो रही हो तो आप काकजंघा के रस से शरीर की मालिश करें। आपको आराम मिलेगा।
खून की गंदगी होने पर
यदि खून में विकार आ गया हो तो आप काकजंघा का काढ़ा बनाकर सेवन करें। यह खून की गंदगी को साफ करता है।
विष व जहरीले कीड़े के काटने पर
यदि शरीर में किसी जहरीले कीड़े ने डंक या काट लिया हो तो आप काकजंघा के पेस्ट को लोहे के चाकू पर लगाकर उस जगह पर मलें जहां पर कीड़े ने काटा है।
इसके अलावा यह औषधिय पौधा फोड़े.फुंसी, गहरे घाव, कुष्ठ आदि रोगों को ठीक करता है। काकजंघा एक शीतल और खुश्क पौधा है। जो त्वचा से संबंधित रोगों को भी ठीक करता है। बुखार, गठिया और कृमि जैसी गंभीर बीमारियों से आपको बचाता है यह पौधा।