वज्रासन के चमत्कारिक लाभ


बहुत हेवी डाइट के बाद तुरंत सोने या बैठकर टीवी देखने से हमें डाइजेशन संबंधी समस्याएं हो ही जाती हैं। ऐसे में अगर आप रोज खाने के बाद टीवी देखने या तुरंत सोने के बजाय वज्रासन को अपने रुटीन में शामिल करेंगे तो यकीनन आप डाइजेशन से संबंधित समस्याओं से दूर रहेंगे।
वज्रासन को आप दिन में कभी भी कर सकते हैं लेकिन यह अकेला ऐसा आसन है जो खाने के तुरंत बाद यह आसन बहुत अधिक प्रभावी होता है। यह न सिर्फ पाचन की प्रक्रिया ठीक रखता है बल्कि लोवर बैकपेन से भी आराम दिलाता है।
वज्रासन के लाभ :
वज्रासन के अभ्यास से शरीर का मध्यभाग सीधा रहता है। श्वास की गति मन्द पड़ने से वायु बढती है। आँखों की ज्योति तेज होती है। वज्रनाड़ी अर्थात वीर्यधारा नाड़ी मजबूत बनती है। वीर्य की ऊध्र्वगति होने से शरीर वज्र जैसा बनता है। लम्बे समय तक सरलता से यह आसन कर सकते हैं। इससे मन की चंचलता दूर होकर व्यक्ति स्थिर बुद्धिवाला बनता है। शरीर में रक्ताभिसरण ठीक से होकर शरीर निरोगी एवं सुन्दर बनता है। भोजन के बाद इस आसन में बैठने से पाचन शक्ति तेज होती है। कब्ज दूर होता है। भोजन जल्दी हज्म होता है। पेट की वायु का नाश होता है। कब्ज दूर होकर पेट के तमाम रोग नष्ट होते हैं। पाण्डुरोग से मुक्ति मिलती है। रीढ , कमर, जाँघ, घुटने और पैरों में शक्ति बढती है। कमर और पैर का वायु रोग दूर होता है। स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है। स्त्रियों के मासिक धर्म की अनियमित्ता जैसे रोग दूर होते हैं। शुक्रदोष, वीर्यदोष, घुटनों का दर्द आदि का नाश होता है। स्नायु पुष्ट होते हैं। स्फूर्ति बढने के लिए मानसिक निराशा दूर करने के लिए यह आसन उपयोगी है। ध्यान के लिये भी यह आसन उत्तम है। इसके अभ्यास से शारीरिक स्फूर्ति एवं मानसिक प्रसन्नता प्रकट होती है। दिन-प्रतिदिन शक्ति का संचार होता है इसलिए शारीरिक बल में खूब वृद्धि होती है। काग का गिरना अर्थात गले के टान्सिल्स, हड्डियों के पोल आदि स्थानों में उत्पन्न होने वाले श्वेतकण की संख्या में वृद्धि होने से आरोग्य का साम्राज्य स्थापित होता है। फिर व्यक्ति बुखार से सिरदर्द से, कब्ज से, मंदाग्नि से या अजीर्ण जैसे छोट-मोटे किसी भी रोग से पीडि़त नहीं रहता, क्योंकि रोग आरोग्य के साम्राज्य में प्रविष्ट होने का सााहस ही नहीं कर पाते।
●शरीर को सुडौल बनाए रखता है और वजन कम करने में मददगार हैं।
●महिलाओ में मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती हैं।
●रीढ़ की हड्डी मजबूत होती हैं और मन की चंचलता को दूर कर एकाग्रता बढ़ाता हैं।
●अपचन, गैस, कब्ज इत्यादि विकारो को दूर करता हैं और पाचन शक्ति बढ़ाता हैं।
●यह प्रजनन प्रणाली को सशक्त बनाता हैं।
●सायटिका से पीड़ित व्यक्तिओ में लाभकर हैं।
●इस आसन को नियमित करने से घुटनो में दर्द, गठिया होने से बचा जा सकता हैं।
●पैरो के मांसपेशियों से जुडी समस्याओ में यह आसन मददगार हैं।
●इस आसान में धीरे-धीरे लम्बी गहरी साँसे लेने से फेफड़े मजबूत होते हैं।
●वज्रासन से नितम्ब, कमर और जांघ पर जमी हुई अनचाही चर्बी कम हो जाती हैं और उच्च रक्तचाप कम होता हैं।
वज्रासन योग करने की विधि :
भोजन करने के 5 मिनिट बाद एक समान, सपाट और स्वच्छ जगह पर कम्बल या अन्य कोई आसन बिछाए। दोनों पैर सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाए।
इसके बाद बाए पैर का घुटने को मोड़कर इस तरह बैठे के पैरो के पंजे पीछे और ऊपर की और हो जाए।
अब दाए पैर का घुटना भी मोड़कर इस तरह बैठे के पैरो के पंजे पीछे और ऊपर की और हो जाए और नितम्ब दोनों एड़ियों के बीच आ जाए।
दोनों पैर के अंगूठे एक दूसरे से मिलाकर रखे।दोनों एड़ियो में अंतर बनाकर रखे और शरीर को सीधा रखे।
अपने दोनों हाथो को घुटने पर रखे और धीरे-धीरे शरीर को ढीला छोड़े।
आँखे बंद कर रखे और धीरे-धीरे लम्बी गहरी साँसे ले और छोड़े।
इस आसन को आप जब तक आरामदायक महसूस करे तब तक कर सकते हैं। शुरुआत में केवल 2 से 5 मिनिट तक ही करे।
वज्रासन से जुडी सावधानिया :
जोड़ो में दर्द से पीड़ित व्यक्ति वज्रासन न करे।
एड़ी के रोग से पीड़ित व्यक्ति वज्रासन न करे।
अगर वज्रासन करने पर आपको कमर दर्द, कमजोरी या चक्कर आने जैसे कोई समस्या हो तो आसन बंद कर अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले।

एक टिप्पणी भेजें

यहाँ पर आपको मिलती है हेल्थ न्यूज, डेली हेल्थ टिप्स और ताजा स्वास्थ्य जानकारियां। इसके साथ ही जीवनशैली और चिकित्सा जगत में होने वाली नयी खोजों से अवगत भी कराते हैं हम।