निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure) : 40-50 वर्ष की आयु को पार करते-करते अधिकांश स्त्री-पुरुष रक्तचाप से पीड़ित दिखाई देते है। कुछ स्त्री-पुरुष को उच्च रक्तचाप होता है तो कुछ को निम्न रक्तचाप से पीड़ित होते है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार निम्न रक्तचाप के कारण भी रोगी को बहुत अधिक हानि होने की संभावना बनी रहती है।
उत्पत्ति :
रक्ताल्पता की विकृति के कारण अधिक निम्न रक्तचाप की विकृति होती है। शारीरिक निर्बलता किसी भी कारण से हो निम्न रक्तचाप की उत्पत्ति होती है। भोजन में पौष्टिक तत्त्वों के अभाव से निर्बलता के साथ निम्न रक्तचाप भी होता है। शारीरिक निर्बलता किसी दुर्घटना में अधिक रक्त निकल जाने के कारण भी हो सकती है। अधिक मानसिक तनाव में रहने वाले स्त्री-पुरुष भी निम्न रक्तचाप के शिकार हो सकते है। अधिक समय तक क्षय रोग, मधुमेह, आंत्रिक ज्वर, अतिसार, आंत्रों में कृमि होने के कारण भी निम्न रक्तचाप की उत्पत्ति होती है। स्त्रियां गर्भावस्था में पौष्टिक आहार नहीं लेने के कारण निम्न रक्तचाप से पीड़ित होती है।
लक्षण :
- निम्न रक्तचाप में शारीरिक निर्बलता का अधिक अनुभव होता है।
- रक्त की अत्यधिक कमी के कारण निम्न रक्तचाप की उत्पत्ति होती है, इसलिए रोगी चलने-फिरने में बहुत कठिनाई अनुभव करता है।
- सीढ़ियां चढ़ने में बहुत परेशानी होती है।
- हृदय जोरों से धड़कता है और सारा शरीर पसीने से भीग जाता है।
- मधुमेह रोग में स्त्री-पुरुष में निर्बलता के कई लक्षण दिखाई देते है।
- पुरुषों में नपुंसकता के लक्षण उत्पन्न होते है। जबकि स्त्रियों में काम-इच्छा की उत्पत्ति नहीं होती है। ऐसे में स्त्री-पुरुष का यौन आनंद नष्ट हो जाता है।
- निम्न रक्तचाप के कारण रोगी को भूख नहीं लगती, क्योंकि भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है।
- स्वादिष्ट पकवानों की सुगंध भी रोगी को आकर्षित नहीं कर पाती। भूख नष्ट हो जाती है।
- सोफे या बिस्तर से उठाकर खड़े होने पर नेत्रों के आगे अंधेरा छा जाता है और सिर चकराने लगता है।
- थोड़ा-सा भी शारीरिक श्रम करने पर हृदय जोरों से धड़कने लगता है।
- सिरदर्द भी होता है।
- रोगी को अधिक प्यास लगती हैं।
- निम्न रक्तचाप की विकृति पर पड़े रहना चाहता है। किसी काम को करने की इच्छा नहीं होती है।
क्या खाएं?
* रक्ताल्पता के कारण निम्न रक्तचाप होने पर रोगी को अधिक फल-सब्जियों और पौष्टिक खाद्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए।
* प्रतिदिन भोजन के साथ गाजर, मूली, खीरा, ककड़ी का सलाद बनाकर खाएं।
* हरी सब्जियों का सूप बनाकर प्रतिदिन सेवन करें।
* अंकुरित अनाज व दालों का खूब सेवन करें। अनार, संतरे, अंगूर, सेब, गाजर, चुकंदर, अनन्नास आदि फल खाएं या इन फलों का रस पिएं।
* अदरक और नमक मिलाकर खाएं। आंवले, सेब व गाजर का मुरब्बा सेवन करें।
* प्रतिदिन खजूर खाने से रक्ताल्पता नष्ट होने से निम्न रक्तचाप नष्ट होता है।
* दूध में दो-तीन छुहारे देर तक उबलकर सेवन करने से शक्ति बढ़ने पर निम्न रक्तचाप का निवारण हाता है।
* गाजर के 200 ग्राम रस में पालक का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।
* आंवले के 25 ग्राम रस में मधु 10 ग्राम मिलाकर सेवन करें।
* रात को बादाम की तीन-चार गिरी जल में डालकर रखें। प्रातः उठकर गिरी को पीसकर खाने और दूध पीने से निम्न रक्तचाप नष्ट होता है।
क्या न खाएं?
* अधिक गरिष्ठ, घी, तेल से बने पकवान सेवन न करें।
* उष्ण मिर्च-मसालों और खट्टे खाद्य पदार्थो का सेवन न करें।
* निम्न रक्तचाप के रोगी को अधिक परिश्रम के कार्य, सीढियों पर चढ़ने व धूप में अधिक चलने-फिरने से बचना चाहिए।
* रोगी का एक साथ अधिक मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में कई बार भोजन करना चाहिए।