Man boobs को नॉर्मल साइज में लाने के लिए करें ये इलाज


पुुरूषों को बड़ा ब्रेस्ट होने का प्रॉबल्म कितनी शर्मिंदगी का होता है ये जिसको होता है उसी को पता होता है।  यानि  वक्षस्थल में दो उभार, यानी स्तन वृद्धि के कारण अब युवकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। एक आसान सर्जरी से इसका इलाज संभव है।

20 वर्षीय समीर पूरी तरह स्वस्थ है और वह एक बड़ी आईटी कंपनी में काम करता है। वह एक साल से अपनी गर्लफ्रेंड को प्रोपोज करना चाहता था, लेकिन उसके वक्षस्थल में हो रहे उभार को लेकर वह परेशान था। इसके चलते उसने कसरत के लिए जिम और तैराकी करने जाना छोड़ दिया और भारोत्तोलन करने लगा। लेकिन कोई फर्क नहीं दिखा। उसे दोस्तों के साथ बाहर जाने में भी शर्मिदगी महसूस होती थी।


उसकी गर्ल्डफ्रेंड भी उसके वक्षस्थल के उभरों को लेकर चिंतित थी। उसने समीर को डॉक्टर के पास जाने के लिए प्रेरित किया। डॉक्टर ने उसके वक्षस्थल के उभारों को ‘गाइनेकोमैस्टिया’ मतलब स्तन वृद्धि से संबंधित शारीरिक लक्षण बताया और उसे कॉस्मेटिक सर्जन के पास जाने की सलाह दी। उसने गाइनेकोमैस्टिया सर्जरी करवाई, जिसके बाद वह अब सामान्य स्थिति में है और फिर उसकी जिंदगी वापस पटरी पर लौट आई है।

एक अनुमान के मुताबिक, 50 फीसदी पुरुष अपने जीवन में गाइनेकोमैस्टिया से पीड़ित हो सकते हैं। दरअसल, पुरुषों के वक्षस्थल में उभार शरीर में हार्मोन की मात्रा असंतुलित होने के कारण होता है और किशोरावस्था में इसकी शिकायत ज्यादा होती है। शरीर का वजन बढ़ने से ज्यादा उभार हो सकता है। आमतौर पर यह घातक नहीं होता, लेकिन असाधारण मामलों में पुरुषों में स्तन कैंसर के मामले भी सामने आए हैं।


इसलिए यह बात बहुत अहम है कि किशोरों में स्तनों का उभार सामान्य हो। असामान्य होने पर इसके चिकित्सकीय उपचार के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। अगर उससे कोई फायदा नहीं मिलता है तो सर्जरी करवानी चाहिए।

‘गाइनेकोमैस्टिया’ का इलाज क्यों जरूरी है?

दरअसल, युवाओं में ‘गाइनेकोमैस्टिया’ से गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि पीड़ित के शरीर की छवि नकारात्मक बन जाती है, जिससे उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है। इससे पेशेवर जीवन और सामाजिक रिश्तों पर भी असर पड़ता है। इसकी शल्य चिकित्सा दशकों से उपलब्ध है, लेकिन बहुत सारे मरीज इलाज से घबराते हैं।

स्तनों के छोटे उभार का इलाज बिना सर्जरी भी संभव है। इसे क्रियोलिपोलाइसिस कहते हैं। इसमें शरीर के वसा नॉन-इनवेसिव यानी ज्यादा खतरा पैदा नहीं होने के स्तर तक ठंडा करके वसा कोशिका में विखंडित किया जाता है। इसका असर दो से चार महीने में दिखने लगता है।

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