जानिए मंगली की शादी मंगली से ही क्यों होना चाहिए



क्या आप जानते हैं मंगली शब्द किन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है। किन कारणों से कोई स्त्री या पुरुष मंगली होते हैं। मंगली होने के क्या-क्या प्रभाव होते हैं? यदि आप इन प्रश्नों के उत्तर नहीं जानते हैं तो यहां जानिए मंगली शब्द से जुड़ी खास बातें...

ज्योतिष के अनुसार मंगली लोगों पर मंगल ग्रह की विशेष कृपा होने से व्यक्ति मालामाल हो जाता है। जो लोग मंगली होते हैं वे अपनी पत्नी से कुछ विशेष इच्छाएं रखते हैं, जो कि कोई मंगली जीवन साथी ही पूरी कर सकता है। इसी वजह से मंगली लोगों का विवाह मंगली लोगों से ही किया जाता है।

ये लोग उच्च पद, व्यवसायी, अभिभाषक, तांत्रिक, राजनीतिज्ञ, डॉक्टर, इंजीनियर सभी क्षेत्रों में यह विशेष योग्यता प्राप्त करते हैं। विपरित लिंग के लिए यह विशेष संवेदनशील रहते हैं। मंगल से प्रभाव से मंगली लोगों में कामुकता अधिक होती है और इसी वजह से ये लोग अपने जीवन साथी प्रेम-प्रसंग की क्रियाओं में कुछ विशेष आशा रखते हैं। इसी कारण मंगली कुंडली वालों का विवाह मंगली से ही किया जाता है।
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कौन होते हैं मंगली?

कुंडली में कई प्रकार के दोष बताए गए हैं। इन्हीं दोषों में से एक है मंगल दोष। यह दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह मंगली कहलाता है। जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के 1, 4, 7, 8, 12 वें स्थान या भाव में मंगल स्थित हो तो वह व्यक्ति मंगली होता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित अजय दुबे, जबलपुर बताते हैं कि मंगल ग्रह को पाप ग्रह माना जाता है। ज्योतिष में मंगल को अनुशासन प्रिय, घोर स्वाभिमानी, अत्यधिक कठोर माना गया है। सामान्यत: कठोरता दुख देने वाली ही होती है। मंगल की कठोरता के कारण ही इसे पाप ग्रह माना जाता है। मंगलदेव भूमि पुत्र हैं और यह परम मातृ भक्त हैं। इसी वजह से माता का सम्मान करने वाले सभी पुत्रों को विशेष फल प्रदान करते हैं। मंगल बुरे कार्य करने वाले लोगों को बहुत बुरे फल प्रदान करता है।
मंगल के प्रभाव के कारण ऐसे लोग क्रोधी स्वभाव के होते हैं। ज्योतिष के अनुसार मंगली व्यक्ति की शादी मंगली से ही होना चाहिए। यदि मंगल अशुभ प्रभाव देने वाला है तो इसके दुष्प्रभाव से कई क्षेत्रों में हानि प्राप्त होती है। भूमि-भवन से संबंधित कार्य करने वालों को मंगल ग्रह की विशेष कृपा की आवश्यकता है। 


मंगल देव की कृपा के बिना कोई व्यक्ति भी भूमि संबंधी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। मंगल से प्रभावित व्यक्ति अपनी धुन का पक्का होता है और किसी भी कार्य को बहुत अच्छे से पूर्ण करता है। हमारे शरीर में सभी ग्रहों का अलग-अलग निवास स्थान बताया गया है। ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह हमारे रक्त में निवास करता है। 

अशुभ मंगल के प्रभाव की वजह से व्यक्ति को रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं। साथ ही मंगल के कारण संतान से दुख मिलता है, वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा होता है, साहस नहीं होता, हमेशा तनाव बना रहता है। मंगल उत्तेजित स्वभाव देता है, वह व्यक्ति हर कार्य उत्तेजना में करता है और अधिकांश समय असफलता ही प्राप्त करता है।

मंगली होने का विशेष गुण यह होता है कि मंगली कुंडली वाला व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण निष्ठा से निभाता है। कठिन से कठिन कार्य वह समय से पूर्व ही कर लेते हैं। नेतृत्व की क्षमता उनमें जन्मजात होती है। ये लोग जल्दी किसी से घुलते-मिलते नहीं परंतु जब मिलते हैं तो पूर्णत: संबंध को निभाते हैं। अति महत्वाकांक्षी होने से इनके स्वभाव में क्रोध पाया जाता है। परंतु यह बहुत दयालु, क्षमा करने वाले तथा मानवतावादी होते हैं। गलत के आगे झुकना इनको पसंद नहीं होता और खुद भी गलती नहीं करते।

ज्योतिष में मंगल मुकदमा, ऋण, झगड़ा, पेट की बीमारी, क्रोध, भूमि, भवन, मकान और माता का कारक होता है। इसके साथ ही देश प्रेम, साहस, सहिष्णुता, धैर्य, कठिन, परिस्थितियों एवं समस्याओं को हल करने की योग्यता तथा खतरों से सामना करने की ताकत देता है।

मंगल के शांति के उपाय: भगवान शिव की स्तुति करें। मूंगे को धारण करें। तांबा, सोना, गेहूं, लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल फूल, केशर, कस्तुरी, लाल बैल, मसूर की दाल, भूमि आदि का दान करें

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