पीरियड्स में आये इन बदलाव को नजरअंदाज ना करें, लक्षण हैं गम्भीर रोगों के


पीरियड महिलाओं के जीवन की महत्वपूर्ण शारीरिक अवस्था है… हर महीने आने वाले पीरियड शरीर में कुछ खास किस्म का बदलाव लेकर आते हैं। इनमें बहुत तेज दर्द, जी मिचलाना, चिड़चिड़ापन और बेचैनी जैसे सामान्य अनुभव शामिल हैं। पीरियड्स में थोड़ी-बहुत तकलीफ़ होना नॉर्मल है, लेकिन तकलीफ़ ज़्यादा और बार-बार हो तो ये किसी हेल्थ प्रॉब्लम का संकेत हो सकता है इसकी वजह से संक्रमण, बीमारी, ट्यूमर से लेकर इन्फर्टिलिटी जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं। लेकिन वहीं, अगर आपको पीरियड हमेशा 35 दिन पर आता हो और अचानक 20 दिनों पर आने लगे तो आपको गाइनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेने की जरूरत है। इस तरह के अनियमित पीरियड के पीछे तनाव, खानपान या व्यायाम में बदलाव या थायरॉयड की समस्या जैसे कारण हो सकते हैं।

इसलिए ये जानना ज़रूरी है कि पीरियड्स में क्या नॉर्मल है और क्या ऐब्नॉर्मल, ताकि सही समय पर ज़रूरी क़दम उठाया जा सके। आइए जानते हैं पूरी बात

अनियमित पीरियड्स..
ये बॉयोलाजिकल पैमाना है कि पीरियड हर 28 दिन बाद आते हैं हालांकि ये बात पूरी तरह व्यवहारिक नहीं है .. अगर आपको 21 से 45 दिन के बीच में पीरियड आता है तो भी यह पूरी तरह सामान्य स्थिति है।

असहनीय दर्द और मरोड़
पीरियड में होने वाले दर्द व मरोड़ का सामना लगभग हर महिला को करना पड़ता है..लेकिन जब यह दर्द असहनीय हो जाए तो यह सामान्य नहीं है। इस तरह के दर्द के पीछे एंडोमेट्रियॉसिस, गर्भाशय में फाइब्रॉयड, पेल्विस में संक्रमण, या गर्भाशय के सिकुड़न जैसे कारण हो सकते हैं। अगर सही समय पर इनका इलाज न कराया जाए तो ये समस्याएं बेहद गंभीर हो सकती हैं।

बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
पीरियड के शुरुआती दो दिनों में ज्यादा ब्लीडिंग होना सामान्य बात है, लेकिन अगर आपको हर घंटे पैड बदलना पड़ रहा हो तो कुछ समस्या जरूर है।ज्यादा ब्लीडिंग के पीछे का एक कारण मेनोरेजिया हो सकता है। इसके अलावा गर्भाशय में गांठ, पोलिप्स, एंडोमेट्रियॉसिस, पेल्विस में सूजन, गर्भाशय का कैंसर, हाइपोथायरॉयड या फिर गर्भनिरोधक उपकरण (आईयूडी) में कुछ गड़बड़ी के कारण भी ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।

हल्की ब्लीडिंग
पीरियड के दौरान बहुत कम ब्लीडिंग होना भी किसी समस्या की ओर इशारा करता है। अगर आपको बहुत कम ब्लीडिंग होती है तो समझ जाएं कि आपके शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम है और आपकी बॉडी दूसरे कामों को पीरियड की तुलना में ज्यादा तवज्जो दे रही है।

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