जानिए किस रोग में कौन सा आसन करें, शेयर करें


रोग मुक्त होना है, तो हमें योग की शरण में जाना ही होगा। योग का मतलब है योगासन। इसलिए बच्चों से अनुरोध है कि वे आसन करें, निरोग रहें और खुश रहें 
  1. पेट की बिमारियों में- उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, वज्रासन, योगमुद्रासन, भुजंगासन, मत्स्यासन।
  2. सिर की बिमारियों में- सर्वांगासन, शीर्षासन, चन्द्रासन।
  3. मधुमेह- पश्चिमोत्तानासन, नौकासन, वज्रासन, भुजंगासन, हलासन, शीर्षासन।
  4. वीर्यदोष- सर्वांगासन, वज्रासन, योगमुद्रा।
  5. गला- सुप्तवज्रासन, भुजंगासन, चन्द्रासन।
  6. आंखें- सर्वांगासन, शीर्षासन, भुजंगासन।
  7. गठिया- पवनमुक्तासन, पद्ïमासन, सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, उष्ट्रासन।
  8. नाभि- धनुरासन, नाभि-आसन, भुजंगासन।
  9. गर्भाशय- उत्तानपादासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, ताड़ासन, चन्द्रानमस्कारासन।
  10. कमर दर्द - हलासन, चक्रासन, धनुरासन, भुजंगासन।
  11. फेफड़े- वज्रासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन।
  12. यकृत- लतासन, पवनमुक्तासन, यानासन।
  13. गुदा,बवासीर,भंगदर आदि में- उत्तानपादासन, सर्वांगासन, जानुशिरासन, यानासन।
  14. दमा- सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, भुजंगासन।
  15. अनिद्रा- शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रासन।
  16. गैस- पवनमुक्तासन, जानुशिरासन, योगमुद्रा, वज्रासन।
  17. जुकाम- सर्वांगासन, हलासन, शीर्षासन।
  18. मानसिक शांति के लिए- सिद्धासन, योगासन, शतुरमुर्गासन, खगासन योगमुद्रासन।
  19. रीढ़ की हड्डी के लिए- सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, शतुरमुर्गासन करें।
  20. गठिया के लिए- पवनमुक्तासन, साइकिल संचालन, ताड़ासन किया करें।
  21. गुर्दे की बीमारी में- सर्वांगासन, हलासन, वज्रासन, पवनमुक्तासन करें।
  22. गले के लिए- सर्पासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रा करें।
  23. हृदय रोग के लिए- शवासन, साइकिल संचालन, सिद्धासन किया करें।
  24. दमा के लिए- सुप्तवज्रासन, सर्पासन, सर्वांगासन, पवनतुक्तासन, उष्ट्रासन करें।
  25. रक्तचाप के लिए- योगमुद्रासन, सिद्धासन, शवासन, शक्तिसंचालन क्रिया करें।
  26. सिर दर्द के लिए- सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, शतुरमुर्गासन करें।
  27. पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए- यानासन, नाभि आसन, सर्वांगासन, वज्रासन करें।
  28. मधुमेह के लिए- मत्स्यासन, सुप्तवज्रासन, योगमुद्रासन, हलासन, सर्वांगासन, उत्तानपादासन करें।
  29. मोटापा घटाने के लिए- पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, नाभि आसन करें।
  30. आंखों के लिए- सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, चक्रासन करें।
  31. बालों के लिए- सर्वांगासन, सर्पासन, शतुरमुर्गासन, वज्रासन करें।
  32. प्लीहा के लिए- सर्वांगासन, हलासन, नाभि आसन, यानासन करें।
  33. कमर के लिए- सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, वज्रासन, योगमुद्रासन करें।
  34. कद बड़ा करने के लिए- ताड़ासन, शक्ति संचालन, धनुरासन, चक्रासन, नाभि आसन करें।
  35. कानों के लिए- सर्वांगासन, सर्पासन, धनुरासन, चक्रासन करें।
  36. नींद के लिए- सर्वांगासन, सर्पासन, सुप्तवज्रासन, योगमुद्रासन, नाभि आसन करें।

 विशेष- प्रत्येक आसन खुली हवा में सुन्दर और सुहावने स्थान पर नियमित किया करें।

योग कहां और कैसे करें?

यह तथ्य तो हजारों वर्षों से प्रमाणित होता आ रहा है कि योग हमें स्वस्थ तन और सुंदर मन देता है। योगासन इसी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज तो सारा विश्व की योगमय होता जा रहा है। योग हो या भोग- रोग दोनों में ही बाधक होता है। इन दोनों क्रियाओं को करने के लिए हमारे शरीर का रोगमुक्त होना परम आवश्यक है। रोग मुक्त होना है, तो हमें योग की शरण में जाना ही होगा। योग का मतलब है योगासन। इसलिए बच्चों से अनुरोध है कि वे आसन करें, निरोग रहें और खुश रहें। खुली एवं ताजी हवा में योगासन करना सबसे अच्छा माना जाता है। अगर ऐसा न हो, तो किसी भी खाली जगह पर आसन किए जा सकते हैं। जहां योगासन करें, वहां का माहौल शांत होना चाहिए। वहां शोर-शराबा न हो। उस स्थान पर मन को शांत करने वाला संगीत भी हल्की आवाज में चलाया जा सकता है। सीधे फर्श पर बैठकर योगासन न करें। योगा मैट, दरी या कालीन जमीन पर बिछाकर योगासन कर सकते हैं। योगासन करते समय सूती के या थोड़े ढीले कपड़े पहनना बेहतर रहता है। टी-शर्ट या ट्रैक पैंट पहनकर भी योगासन कर सकते हैं। आसन धीरे या फिर तेजी से दोनों तरह से करना फायदेमंद होता है। जल्दी करें तो वह दिल के लिए अच्छा रहता है। और धीरे करेंगे तो वह मांसपेशियों के लिए बेहतर रहता है। तथा इससे शरीर को भी काफी मजबूती मिलती है। ध्यान आंखें बंद करके करें। ध्यान शरीर के उस हिस्से पर लगाएं जहां आसन का असर हो रहा है।, जहां दबाव पड़ रहा है। पूरे भाव से करेंगे, तो उसका अच्छा प्रभाव आपके शरीर पर पड़ेगा। योग में सांस लेने एवं छोड़ने की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका सीधा-सा मतलब यही होता है। कि जब शरीर फैलाए या पीछे की तरफ जाएं, सांस लें और जब भी शरीर सिकुड़े या फिर आगे की तरफ झुकें तो सांस छोड़ते हुए ही झुकें। 

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