बदलते मौसम में आई फ्लू के बढ़े प्रकोप, बरतें सतर्कता


  • बैक्टीरिया व वायरस दोनों से होता है आई फ्लू
  • हवा से भी फैलते हैं इसके वायरस
  • संक्रमित व्यक्ति से आंख मिलाने पर भी हो जाता है:

बारिश, उमस और तपती गर्मी में कंजक्टिवाइटिस का प्रकोप शुरू हो गया है। जिसके कारण आई फ्लू के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। सरकारी अस्पताल से लेकर निजी आई हॉस्पिटल्स में आई फ्लू से ग्रसित मरीज पहुंचने लगे हैं। आपको बता दें कि जून से लेकर अक्टूबर माह तक कंजक्टिवाइटिस वायरस ज्यादा सक्रिय होते हैं।

क्या है कंजक्टिवाइटिस?

कंजक्टिवाइटिस आंखों में होने वाली मौसमी बीमारी है। यह बीमारी बैक्टीरिया एवं वायरस दोनों के कारण होता है। इस बीमारी को आई फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की आंखे लाल हो जाती है। जिसके कारण पढऩे में परेशानी के अलावा आंखों में जलन होती है। अक्सर लोग इसे सामान्य बीमारी मानते हैं लेकिन ज्यादा लापरवाही बरतने से कार्निया क्षतिग्रस्त हो जाती है और मरीज अंधेपन का शिकार हो जाता है।

क्या है आई फ्लू के लक्षण

आई फ्लू के चपेट में आने वाले व्यक्ति के आंखों में काफी तकलीफ होती है। तेज धूप या रौशनी में देखने में काफी परेशानी होती है। आंखों में किचड़ इतना ज्यादा होता है कि सुबह उठने पर आंखों की पलकें एक दूसरे से चिपक सी जाती है।

कैसे होता है आई फ्लू?

आंखों के बाहरी पर्दे यानी सफेद भाग पर वायरस का संक्रमण होता है। जिसके कारण आंखों में लालीपन एवं अन्य परेशानी शुरू हो जाती है। यह आई फ्लू 35 फीसदी वायरस एवं 65 फीसदी बैक्टीरिया एवं अन्य कारणों से होती है। लेकिन वायरस के कारण होने वाले आई फ्लू का प्रसार तेजी से होता है।

कैसे एक से दूसरे में फैलता है आई फ्लू?

आई फ्लू के बैक्टीरिया गंदे उंगलियां, धूल-धुंआ, तलाब एवं गंदे पानी में नहाने से एवं वायरस, मक्खियों के माध्यम से फैलते हैं। इसके अलावा इसके वायरस हवा के माध्यम से भी फैलते हैं। यह संक्रमण इतना तेज होता है कि पीडि़त व्यक्ति के पास से आंखों में देखने पर भी दूसरा व्यक्ति इससे ग्रसित हो जाता है। पीडि़त व्यक्ति के तौलिए, कपड़े, रुमाल, चश्मा आदि के उपयोग से भी यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है। घर के किसी एक सदस्य के होने पर दूसरे सदस्य को आई फ्लू होने की संभावना ज्यादा होती है।

आई फ्लू होने पर क्या लें इलाज?

  • सबसे पहले तो इस रोग के होने पर बिना डाक्टर के सलाह लिए मेडिकल स्टोर से कोई दवा न लें। 
  • साफ रुई को उबाले गए ठंडे पानी से भिगो कर आंख के किचड़ को साफ करें। 
  • आंख पर ज्यादा से ज्यादा ठंडे पानी के छींटे लें। 
  • आंख में गुलाबजल डालने से भी फायदा पहुंचता है। 
  • चश्मा पहन कर रखे। इसके साथ-साथ डाक्टर के सलाह पर कोई दवा आंखों में डाले। ताकि संवदनशील आंख पर किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव न हो।

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