मोतियाबिंद को कहें बाय बाय, आयुर्वेद के जरिये

कमज़ोर और अँधेरी आँखों से ये खूबसूरत संसार देखना बड़ा ही दुखद और बुरा अनुभव लगता है। कमज़ोर आँखों की बिमारी जिसे हम मोतियाबिंद भी कहते है, बहुत ही दुखदाई और अँधेरी होती है। मोतियाबिंद से ग्रसित व्यक्ति की आँखों की रौशनी धीरे- धीरे कम होनें लगती है और फ़िर रौशनी इतनी कम हो जाती है की आँखों से कुछ भी नज़र नहीं आता और आँखों के सामनें अँधेरा छा जाता है और व्यक्ति अँधा हो जाता है।
अगर मोतियाबिंद का इलाज़ समय रहते नहीं किया जाए तो धीरे-धीरे आँखों की रौशनी पुरे तरीके से ख़त्म हो जाती है, चली जाती है और मोतियाबिंद से ग्रसित व्यक्ति अंत में अँधा हो जाता है। अगर आपको मोतियाबिंद की शिकायत है तो ये post आपकी आँखों की रौशनी को जानें से रोक सकती है।

हम मोतियाबिंद से ग्रसित रोगियों के लिए लेकर आयें है, प्राकृतिक, पूर्ण रूप से सुरक्षित और हर तरह से आयुर्वेदिक, मोतियाबिंद का इलाज़ और उपाय।

मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक उपचार और तरीका –

प्याज़ (सफ़ेद) का रस दस ग्राम, असली शहद (छोटी मक्खियों का पतला शहद) दस ग्राम, भीमसेनी कपूर दो ग्राम – इन   तीनों को अच्छी तरह मिलाकर शीशी में रख लें। रात को सोनें से पहले काँच की सलाई द्वारा आँखों में लगानें से उतरता हुआ (आरंभिक) मोतियाबिंद शीघ्र ही रुक जाता है। यदि उतरा हुआ भी हो तो साफ़ हो जाता है। 

यदि भीमसेनी कपूर न मिल सके तो केवल शहद और प्याज़ के रस से ही काम चलाया जा सकता है।

विशेष – 
मोतियाबिंद की प्रारंभिक अवस्था में केवल शुद्ध मधु (छोटी मक्खियों का पतला शहद या कमल का शहद) प्रतिदिन प्रातः एक बूँद (या काँच की सलाई से लगाते रहने से) नेत्रों में तीन-चार सप्ताह तक डालने से निश्चित रूप से लाभ होगा। काले मोतियाबिंद से बचाव होगा क्योंकि शहद से आँखों की पुतली की पारदर्शिता बढ़ती है और नेत्रों का तनाव कम होता है।

शुद्ध मधु के नियमित रूप से प्रातः काँच की सलाई से आँखों में लगाते रहने से दृष्टिक्षीणता दूर होकर नेत्र-ज्योति बढ़ती है तथा अन्य नेत्र सम्बन्धी विकार दूर हो जाते हैं। शहद से नेत्रों व उनके तनाव की अनेक बीमारियाँ दूर हो जाती है।

दृष्टि कभी कम न होगी – स्वस्थ आँखों में शुद्ध मधु की एक सलाई सप्ताह में एक-दो बार डालने से दृष्टि कभी कम नहीं होगी, बल्कि उम्र के साथ तेज़ होगी। साथ ही खाने के लिए चार बादाम रात में पानी में भिगोएँ और सवेरे चार काली मिर्च के साथ पीसकर मिश्री के साथ चाटें अथवा वैसे ही चबाएँ और ऊपर से दूध पी लें तो कहना ही क्या! l

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