किवदंती के अनुसार कहा जाता है कि नील के पौधे की उत्पत्ति श्मशान में हुई थी, नील का पौधा मनुष्य के जीवन के सत्य के बारे में बताता है.यह संबोधित करता है कि जीवन के बाद मृत्यु है और मृत्यु के पुनः जीवन है।जीवन मरण ही इस धरती का सबसे बड़ा सच है. तंत्र शास्त्र के अनुसार नील माता सरस्वती का प्रतीक भी माना जाता है, इसीलिए विघा की देवी को तारा देवी भी कहते है.
लोगो के अनुसार तो नील का इस्तेमाल सफेद कपड़ो की चमक वापस लाने के लिए लिया जाता है परंतु नील की सबसे अच्छाई यह भी है कि इसे मिटटी को उपजाऊ बनाने के लिए अपयोग करते है. इसकी पत्तियों के प्रसंस्करण से नील रंजक प्राप्त होता है,परंतु आप इस बात को नहीं जानते होगे कि यदि नील को इस तरह से उपयोग किया जाए तो यह हमारी किस्मत भी बदल सकता है. आइये जानते हैं इसके उपाय
जो भी व्यक्ति नील मिले सरसों के तेल का दीपक सरस्वती के आगे जलाता है उससे दुर्भाग्य दूर होता है.
सफ़ेद कपड़ो पर नील लगाने से चंद्रमा शुभ होकर मानसिक विकार दूर करता है।
आपने घर का वास्तुदोष दूर करना हो तो घर में नील व नमक का पौचा लगाये.
दरिद्रता को दूर करने के लिए ही चूना व नील मिलाकर दीवाली पर घर की पुताई करते है.
घर के बहार नील से उल्टा स्वस्तिक बनाये इससे दुर्भाग्य से मुक्ति मिलेगी
राहू ग्रह के अशुभ प्रभाव हो तो नील से टॉयलेट साफ करें.
नील, समुद्री नमक, तंबाकू और रांगा मरघट में दबाने से आयु में वृद्धि होती है।