तो इस वज़ह से हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के समय नहीं जलाते हैं अर्थी


कहते हैं की इंसान को एक दिन भगवान के घर जाना ही हैं। आज हम बात करेंगे की मृत्यु के बाद क्या किया जाता हैं। सनातन धर्म में व्यक्ति का अंतिम सफर जिस अर्थी पर होता हैं, उसे मुखाग्नि से पहले हटा दिया जाता हैं। जिस अर्थी पर व्यक्ति को ले जाया जाता हैं, उसे चीता की लकड़ियो के साथ जलाया नहीं जाता हैं| इसके ना जलाने के कई वजह हैं। अगर आप जानना चाहते हैं की आखिर इसकी वजह क्या हैं, तो आज हम आपको बताएँगे? मान्यता हैं की बांस जलाने से वंश जलता हैं। सनातन धर्म में या बैंबू को जलाना वर्जित माना गया हैं। इसको वंश बढ़ाने वाला माना जाता हैं। कहावत भी हैं की "बांस को जलाने से वंश जलता हैं|

अर्थी में होता है इसका प्रयोग

हिन्दू धर्म में शव यात्रा के दौरान अर्थी का प्रयोग किया जाता हैं जिसमें की बांस का उपयोग किया जाता हैं।अर्थी को जलाया नहीं जाता हैं। बल्कि शव को इससे उतारकर स्नानदि क्रिया के बाद शव को अन्य किसी लकड़ी के द्वारा बनाए गए चीता पर रख कर जलाया जाता हैं।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसलिए हानिकारक है बांस जलाना

हमारे भारत में किए गए हर धार्मिक कार्य में कोई ना कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता ही हैं। विज्ञान की माने तो बांस में हैवी मेटल काफी मात्रा में होता हैं। जिसके जलाने से लेड आक्साइड बनाता हैं। यह खतरनाक नीरो टॉक्सिक होता हैं। जिससे की वायु प्रदूषण होता हैं।

पीपल की तरह लाभकारी है बांस

बांस के ऊपर ज्यादा गर्मी और वर्षा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता हैं । अन्य पेड़ो की अपेक्षा 30% ज्यादा आक्सीजन छोड़ता हैं और कार्बनडाईआक्साइड खींचता हैं। यह पीपल की तरह दिन में कार्बनडाई आक्साइड खींचता हैं और रात में आक्सीजन छोड़ता हैं।

फेंगशुई में भी महत्वपूर्ण है बैंबू

चाइना में चाइनीज वास्तुकारों का मानना हैं की फेंगशुई में भी बांस को समृद्धि का प्रतीक हैं इसलिए इसको ऑफिस या कार्यक्षेत्र में रखा जाता हैं। माना जाता हैं की जैसे-जैसे यह पौधा बढ़ेगा, आपका बीजनेश भी उतनी तेजी से बढ़ेगा।

ये हैं बांस की खूबियां

बांस का पौधा सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा हैं। फेंगशुई इसे लंबी आयु के साथ जोड़ता हैं| और हमारा भारतीय शास्त्र वंश से जोड़ता हैं। इसकी एक खासियत बात यह हैं की यह विपरीत परिस्थितियो में भी बढ़ता हैं इसलिए इसको हिम्मत और साहस का प्रतीक माना जाता हैं। इसलिए विवाह में बांस का प्रयोग किया जाता हैं।

इसलिए हिंदू धर्म में नहीं जलाते अगरबत्ती

बांस का प्रयोग अगरबत्ती के स्टिक के रूप में किया जाता हैं इसलिए हिन्दू धर्म में पुजा के दौरान अगरबत्ती नहीं जलाया जाता हैं। इसके साथ अगरबत्ती जलाने से वातावरण में फैलकर वायुप्रदूषण करते हैं, जो सांस संबंधी बीमारी के कारण बनते हैं।

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