इन वज़हों से हो सकती है गर्भावस्था के दौरान पीरियड्स की समस्या


अधिकांश औरतों के लिए महीने के वो दिन किसी बुरे सपने से कम नहीं होते। पीरियड्स के उन 5-6 दिनों में महिलाओं की पूरी लाइफस्टाइल बहुत डिस्टर्ब हो जाती है। कई बार तो उन दिनों का दर्द, बैचेनी और चिड़चिड़ापन इतना बढ़ जाता है कि बर्दाश्त के बाहर हो जाता है।

लेकिन यही पीरियड्स अगर गर्भावस्था के दौरान आ जाए तो महिलाओं का घबराना लाजमी है। कारण कि हम सभी जानते हैं कि गर्भधारण करने के 9 माह तक महिलाओं में पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं। इस परेशानी से जूझ रही महिलाओं के लिए यह जानना बहुत जरूरी होता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? तो आइये हम आपको बताते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली ब्लीडिंग आखिर किस वजह से होती है? क्या इसके पीछे कोई महत्वपूर्ण वजह होती है? आइए जानते हैं पूरा मामला।

गर्भपात का डर

गर्भधारण के दौरान होने वाली समस्याओं में महिलाओं को हर दम एक ही बात का डर बना रहता है कि कहीं किसी वजह से उनका गर्भपात ना हो जाए। ऐसे में यदि ब्लीडिंग होने लगे तो यह महिलाओं के लिए घबराने की खास वजह होती है।

ब्लड रिलीजिंग

सामान्यतः प्रेग्नेंसी के दौरान हल्की ब्लीडिंग होना आम बात है। लेकिन यदि ये पीरियड्स का रूप ले ले तो गर्भवती को संभलने की जरूरत है।

एक तिहाई को है समस्या

रिसर्च और डॉक्टर्स के मुताबिक, प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में एक तिहाई महिलाओं को इस समस्या से जूझना पड़ता है।

पीरियड्स के लक्षण

प्रेंग्नेंसी के दौरान होने वाली ब्लीडिंग में निम्न लक्षण होते हैं। जैसे उसका कलर सामान्य पीरियड्स की ब्लीडिंग से कुछ अलग होता है। इसकी वजह से पेट में खासतौर पर पेड़ू वाले हिस्से में बहुत तेज दर्द होता है। थक्के से खून का आना आदि।

किन बातों पर दें ध्यान

प्रेग्नेंसी के दौरान योनि से निकलने वाले ब्लड के रंग और महक पर ध्यान देना जरूरी होता है। साथ ही इस बात पर भी ध्यान दें कि वह कितनी तेजी से बहता है। गाढ़ा है या पतला है। इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

प्रेग्नेंसी के दौरान पीरियड्स होने की वजह

डॉक्टर्स द्वारा इसे इस तरह समझाया गया कि "फर्टिलाइज्ड अंडा फैलोपियन ट्यूब से होकर गर्भाशय में पहुँचता है। जहां ये गर्भाशय की लाइन से जुड़ जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान अंडे के गर्भवती की रक्त की धमनियों से टकराने के कारण योनि से रक्त का प्रवाह होने लगता है।"

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग

सामान्यतः जब वाम अंडे का इम्प्लांटेशन गर्भाशय में होता है तो उस दौरान इस तरह की ब्लीडिंग होती है, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है।

हल्के पीरियड्स

सामान्यतः इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग गर्भावस्था की बिल्कुल शुरुआत में होती है। अतः इसे हल्के पीरियड के तौर पर लिया जाता है। लेकिन पीरियड की तरह ये अधिक दिनों तक नहीं चलती।

पीरियड या स्पॉटिंग

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग को सीधी भाषा में पीरियड्स नहीं कहा जा सकता क्योंकि ये पीरियड्स की प्रक्रियाओं से भिन्न होते हैं। लेकिन पीरियड्स के लक्षण होने की वजह से इसे स्पॉटिंग या हल्के पीरियड्स कहा जाता है।

नुकसानदायक नहीं

गर्भावस्था के दौरान स्पॉटिंग या हल्की ब्लीडिंग होना नुकसानदायक नहीं होता। पर्याप्त आराम और दवाओं की मदद से ब्लीडिंग की समस्याओं के बावजूद गर्भवती महिलाएं स्वस्थ शिशुओं को जन्म दे सकती हैं।
इसके अलावा अधिक परेशानी होने पर आप डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया हो तो अपनी फीमेल फ्रैंड्स के साथ भी शेयर करें

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