क्या आप भी पेप्‍सी या कोक की खाली बोतल में पानी भरकर रखते है तो हो जाएँ सावधान



हमारे भारत आपको कई ऐसे लोग देखने को मिल जायंगे जो किसी भी चीज़ को बेकार नही समझते और किसी भी चीज़ का अंत तक इस्तेमाल करते है | और उनकी कबाड़ से जुगाड़ करने की यह आदत अब उनके लिए उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन जाती है | जब तक भी किसी वस्तु का इस्तेमाल किया जा सकता है तब तक लोग उसका इस्तेमाल करते है | हमारे यहां एक नई टीशर्ट को कुछ सालो बाद फर्श साफ़ करने के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता है |

हम सभी अक्सर देखते है कि लोग पेप्सी,कोका-कोला, या फिर कोई और कोल्ड ड्रिंक और पानी की पुरानी प्लास्टिक बॉटल्स का तबइस्तेमाल होता है जब तक वो बॉटल लीक नहीं होती |पानी से भरी प्लास्टिक की यह बॉटल फ्रिज में भी रखी जाती है | और फिर वही कार की बैक सीट पर रख दी जाती है | लेकिन ऐसा करते समय आपको क्या पता है की इस टेम्परेचर चेंज का उस बोतल के पानी पर क्या असर होता है ?

कार में रखना खतरनाक
हमारे रोज़ इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की बॉटल चाहें वो कोल्डड्रिंक की हो या फिर मिनरल वॉटर की इसे एक बार खोलने के बाद दोबारा इस्तेमाल करना सही नहीं होता है | आपकी जानकारी के लिए बता दे की ये सभी पॉलिथिलीन टेरेफथालेट (PET) नाम के एक कैमिकल से बनी होती हैं | टेम्प्रेचर काफी ज्यादा होने पर जैसा की कार की बैक सीट पर या बैग में रखने से होता है ऐसा होने पर ये कैमिकल्स डिफ्यूज होकर पानी को अशुद्ध बना देते हैं |

लगभग सभी कोल्ड ड्रिंक या मिनरल वाटर की बॉटल्स एक बार के इस्तेमाल के लिए ही बनी होती हैं और उनमें ये चेतावनी भी दी गई होती है| इनमें BPA यानि Bisphenol A नाम का एक कम्पाउंड होता है जो बार-बार इस्तेमाल करने पर कई बीमारियों का कारण बन सकता है| साथ ही रोजाना इस्तेमाल से प्लास्टिक की बॉटल में थोड़े-थोड़े क्रेक्स आ जाते हैं जिनसे आसानी से बैक्टीरिया और कई मिक्रूर्गानिस्म्स बॉटल में घुस सकते है|

कैंसर का है कारक
ग्लिनविल न्यूट्रीशन क्लीनिक की जानी मानी डॉक्टर मेरिलिन ग्लिनविल (Marilyn Glenville) ने भी इनके बारे में बताया था जिसके अनुसार प्लास्टिक की बॉटल्स का बार-बार इस्तेमाल करना कई तरह की महिला संबंधित समस्याओं का कारक हो सकती है| जैसे PCOS, हार्मोन में समस्या, ब्रेस्ट कैंसर और कई अन्य चीजें|

ट्रांसपेरेंट बॉटल के आलावा हम कई कलर को भी दोबारा इस्तेमाल करते है जैसे माउंटेन ड्यू ये मिरिंडा, तो इन्हें बिलकुल भी दोबारा से इस्तेमाल नहीं करना चाहिए| कलर करने के प्रोसेस में प्लास्टिक में और भी कई कैमिकल्स मिलाए जाते हैं जो यकीनन स्वास्थ्य के लिए और भी ज्यादा खतरनाक होते हैं|

Treadmill Reviews.net की रिसर्च, रिव्युस और टेस्ट लैब के अनुसार ऐसा माना गया  कि अगर प्लास्टिक की बॉटल को ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा तो उसमें E|coli नाम का एक कीटाणु आ जाता है जो की माइक्रोस्कोपिक होता है | स्टेनलेस स्टील और एल्युमीनियम की बॉटल सुरक्षित समझी जाती है, लेकिन ये एक समय के बाद जंग खाने लगती हैं| ऐसे में आप शीशे की बॉटल्स को विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर सकते है |

पानी की बॉटल को लगातार साफ नहीं किया गया तो उसमें कई तरह के कीटाणु आ सकते है इसीलिए अगर पानी की बॉटल लगातार नहीं धोते और ये समझते हैं कि पानी ही तो है तो ये भी एक बड़ी गलती है |भारत जैसे देश में जहां अधिकतर बीमारियां गंदा पानी पीने के कारण होती हैं अगर वहां थोड़ी सावधानी हमें खुद बरतनी होगी|

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