छींक का आना कब होता है शुभ और कब अशुभ, जरुर जानिए


छींक को प्राय: अशुभ माना जाता है, लेकिन ज्योतिष तथा पौराणिक शास्त्रों के अनुसार छींक बहुत शुभ मानी जाती है। शुभ कार्य के लिए गमन के समय यदि कोई छींक मार दे तो अपशकुन होता है, ऐसा कहा जाता है।जनमानस में यह भी विश्वास है कि एक से अधिक छींक आने पर अपशकुन नहीं होता। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार छींक आना एक सामान्य मानवीय प्रक्रिया है। सर्दी, जुकाम के कारण छींक आए या रोगी मनुष्य यदि बार-बार छींकता है तो भी इस पर अपशकुन नहीं होता। लेकिन कई ऐसी बातें है जो इस बा‍त को ‍सिद्ध करती है कि छींक सिर्फ अ‍शुभ ही नहीं, अपितु शुभ भी होती है... 

जानिए कैसे :- 

* रसोई में दूध उबलते समय यदि गृहिणी छींक दे तो आपत्तिजनक है।

* यदि शुभ कार्य के लिए जाते समय गाय या उसका बछड़ा छींक दे तो निश्चित कार्य सिद्धि होती है। यह शकुन धन वृद्धि का भी सूचक है।
* रास्ते में अथवा घर के बाहर यदि कुत्ता छींक दे तो विघ्न/विपत्ति की सूचना देता है, लेकिन यदि कुत्ता एक से अधिक बार छींक दे तो विपत्ति के टल जाने की संभावना है।

* दवाई का सेवन करते समय यदि छींक आए और औषधि गिर जाए तो रोग का निवारण शीघ्र होता है तथा बीमार व्यक्ति शीघ्र ही अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता है। 

* यदि आपके मार्ग में गजराज छींक दे तो राज्य लाभ होता है।
* श्मशान, दु:स्थान तथा किसी दुर्घटना स्थल पर कोई व्यक्ति छींक मार देता है तो इसे वैदिक साहित्य में शुभ माना जाता है।

* सामने की छींक लड़ाई-झगड़े को बतलाती है। 

* पीछे की छींक से सुख से सुख मिलता है। 
* दाईं तरफ की छींक धन को नष्ट करती है। 

* बाईं तरफ की छींक से सुख मिलता है। 

* ऊंची छींक बड़ी ही उत्तम होती है। 

* नीची छींक बड़ी दुखदायिनी होती है। 

* चलते समय अपनी छींक बड़ा दुख देने वाली होती है।

* महामारी, दुर्भिक्ष या भूकम्प की सूचना पर यदि जीव-जंतु तथा मनुष्य छींक दे तो अनिष्ट के दूर होने की संभावना रहती है।

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