अनेक जटिल समस्याओं का उपचार योग विज्ञान के द्वारा सम्भव है। इसी कारण योग विज्ञान में अनेक योगासन एवं मुद्राएँ बताई गई हैं। जो की अनेक प्रकार के रोगो को भी दूर करने में सहायक है और शरीर को निरोगी बनाये रखता है। इन मुद्राओं में एक मुद्रा है शंख मुद्रा। इस मुद्रा द्वारा कई वाणी दोष जैसे की हकलाने, बच्चों के तुतलाने और गला बैठने जैसे दोष का इलाज संभव है।
शंख मुद्रा जानिए इसकी विधि तथा अन्य लाभ
शंख मुद्रा करने का तरीका
- सबसे पहले योगा मेट पर पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाए।
- फिर इसे करने के लिए बाएं हाथ के अंगूठे को दोनों हाथ की मुट्ठी बनाकर उसमें बंद कर लें।
- इसके बाद बाएं हाथ की तर्जनी उंगली को दाएं हाथ के अंगूठे से मिलाएं।
- इस तरह से शंख के समान मुद्रा बन जाती है।
- इस मुद्रा में बाएं हाथ की बाकी तीन उंगलियों के पास में सटाकर दाएं हाथ की बंद उंगलियों पर हल्का-सा दबाव दिया जाता है।
- इसी तरह हाथ को बदलकर अर्थात् दाएं हाथ के अंगूठे को बाएं हाथ की मुट्ठी में बंद करके शंख मुद्रा बनाई जाती है।
शंख मुद्रा के फायदे
- शंख मुद्रा का सम्बन्ध नाभि चक्र से होता है, इस कारण शरीर के स्नायुतंत्र पर खासा प्रभाव होता है।
- शंख मुद्रा करने से आवाज की मधुरता और गुणवत्ता बढती है।
- जो लोग संगीत साधना करते है उन लोगो की वाणी मधुर होती है।
- साथ ही यह गले की समस्याओं को भी दूर करता है।
- इसे नियमित रूप से करने पर स्नायुओं और पाचन संस्थान का कार्य सुचारु रूप से होने लगता है ।
- विशेष रूप से शंख मुद्रा पित्त (एलर्जी विकारों) को नियंत्रित करती है।
- इस मुद्रा द्वारा नर्वस सिस्टम और पाचन तंत्र को मजबूत बनता है।
- शंख मुद्रा को नियमित रूप से करने से भूख बढाने में मदद मिलती है।
सावधानियां:-
- शंख मुद्रा को किसी भी समय किया जा सकता है।
- शंख मुद्रा का अभ्यास प्रतिदिन 10 से 15 मिनट दिन में तीन बार किया जा सकता है।
- जिन लोगों को कफ और वात आदि की समस्या हो उन्हें यह मुद्रा ज्यादा समय तक नहीं करनी चाहिए।
- अगर किसी व्यक्ति को एलर्जी या पुराने बुखार की समस्या हो तो शंख मुद्रा का अभ्यास 30 मिनट से अधिक समय तक किया जा सकता है।