बेवजह नहीं मारा जाता जलती हुई लाश के सर पर डंडा, इसके पीछे है ये बड़ी वजह !


फैशन और टेक्नोलॉजी के इस युग में अब पीछे की तरफ जाना नामुमकिन है. लेकिन इस नए दौर में अब भी हिंदू धर्म से जुड़ी कुछ बातें ऐसी हैं जिनको वैज्ञानिक भी मानने से इंकार नहीं कर सकते. हिंदू  धर्म में यूं तो कई रिवाज़ हैं जिसमें बदलते वक़्त के साथ बदलाव आया है. लेकिन कुछ रिवाज़ ऐसे भी हैं जो सदियों से चले आ रहे हैं और आगे भी ऐसे ही चलने की उम्मीद है. आज हम हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण रीती के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे अंतिम क्रिया के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में लोगों के मरने के बाद उनकी अंतिम क्रिया की जाती है और इस अंतिम क्रिया का अपना एक अलग ही महत्व होता है.

हिंदू धर्म के अनुसार व्यक्ति के मरने के बाद महिलाएं शमशान घाट नहीं जाती. मृत इंसान के साथ गहरा रिश्ता होने के बावजूद महिलाओं को शमशान घाट नहीं जाने दिया जाता. लेकिन जैसे-जैसे वक़्त बदला है सोसाइटी में भी बदलाव आया है. मॉडर्न सोसाइटी के कुछ लोग महिलाओं को अपने साथ शमशान घाट ले जाते हैं. उन्हें इस बात में कोई आपत्ति नज़र नहीं आती.
ये भी पढ़िए : जाने क्या है नजर लगने के लक्षण और उन्हें उतारने के अचूक उपाय

आखिर क्यों महिलाओं को शमशान घाट नहीं जाने दिया जाता :
पर आखिर क्यों महिलाओं को शमशान घाट नहीं जाने दिया जाता? क्या वजह होती है इसके पीछे? दरअसल, कहते हैं कि महिलाओं का दिल पुरुषों के मुकाबले बेहद नाज़ुक होता है. यदि शमशान घाट पर कोई महिला अंतिम संस्कार के वक़्त रोने या डरने लग जाए तो मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलती. कहते हैं कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है और महिलाओं का कोमल दिल यह सब देख नहीं पाता. एक मान्यता की मानें तो शमशान घाट पर आत्माओं का आना-जाना लगा रहता है और ये आत्माएं महिलाओं को अपना शिकार पहले बनाती हैं.

जलती हुई लाश के सर पर डंडा :
इसके अलावा महिलाएं घर पर इसलिए रहती हैं ताकि शमशान घाट से वापस आने पर वह पुरुषों का हाथ पैर धो कर उन्हें पवित्र कर सकें. अंतिम संस्कार की एक प्रथा के दौरान मरने वाले के बेटे को शव के सर पर डंडे से मारने के लिए कहा जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मरने वाले के पास यदि कोई तंत्र विद्या है तो कोई दूसरा तांत्रिक उसकी विद्या को चुराकर उसकी आत्मा को अपने वश में ना कर सके. आत्मा को वश में कर लेने पर वह उससे कोई भी बुरा काम करवा सकता है.
इतना ही नहीं, हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के बाद लोग अपना सिर भी मुंडवा देते हैं. सिर मुंडवाने की प्रथा घर के सभी पुरुषों के लिए अनिवार्य है. इसके विपरीत महिलाओं के लिए ऐसा कोई नियम-कानून  नहीं है इसलिए उन्हें अंतिम क्रिया की प्रक्रिया से दूर रखा जाता है.

शव को शमशान ले जाते समय क्यों लिया जाता है ये नाम :
हिंदू धर्म में भगवान राम की भी बहुत मान्यता है. कहते हैं कि अगर किसी ने भगवान राम के नाम का 3 बार जप कर लिया तो यह अन्य किसी भगवान के 1000 बार नाम जपने के बराबर है. इसलिए अक्सर आपने देखा होगा कि शव ले जाते वक़्त लोग ‘राम नाम सत्य है’ कहते हुए जाते हैं. इस वाक्य का अर्थ है कि ‘सत्य भगवान राम का नाम है. यहां राम ब्रम्हात्म यानी की सर्वोच्च शक्ति की अभिव्यक्ति करने के लिए निकलता है. इस दौरान मृतक के शरीर का कोई अस्तित्व नहीं रहता. आत्मा अपना सब कुछ त्याग कर भगवान के शरण में चली जाती है और यही अंतिम सत्य है!

एक टिप्पणी भेजें

यहाँ पर आपको मिलती है हेल्थ न्यूज, डेली हेल्थ टिप्स और ताजा स्वास्थ्य जानकारियां। इसके साथ ही जीवनशैली और चिकित्सा जगत में होने वाली नयी खोजों से अवगत भी कराते हैं हम।