क्या करें, अगर कोई बाहरी वस्तु आँख, कान, नाक, गले में प्रवेश कर जाये


क्या करें, अगर कोई बाहरी वस्तु आँख, कान, नाक, गले में प्रवेश कर जाये कान, नाक, आँख और गला शरीर के नाजुक अंग माने जाते हैं. ये अंग जितने महत्तवपूर्ण होते हैं उतने ही संवेदनशील. इसलिये इनमें किसी बाहरी वस्तुओं के प्रवेश कर जाने पर कई सावधानियों का ख्याल रखना पड़ता है. इन सावधानी से संबंधित जानकारियों के अभाव में अक्सर लोग नुकसानदायक गलतियाँ कर जाते हैं. जानिये, इन सावधानियों के बारे में..

आँखों में धूल, कीड़े आदि के घुसने पर ये करें, ये न करें-

पीड़ित व्यक्तियों को अपनी आँखें नहीं मलनी चाहिये. आँखों को शीतल पानी में रख बार-बार खोलें और बंद करें. अक्सर इससे अवांछित और हानिकारक कण बाहर आ जाते हैं. साफ रूमाल के कोने को तेल या ग्लिस्रिन में भिगोकर आँखों में डालें. आँखों में शीशों के कण घुसने पर अरंडी या जैतून का तेल इस्तेमाल किया जा सकता है.

उपचार :

पीड़ित व्यक्ति की सहायता करने से पहले हाथ धो लें, पीड़ित व्यक्ति को रोशनी वाले स्थान पर बिठाएं, आंखों की आराम से जांच करें, निचली पलक को हल्के से पकड़ कर नीचें खींचें, पीड़ित व्यक्ति को ऊपर की ओर देखने के लिए कहें, उसके बाद पीड़ित व्यक्ति के नीचे देखते समय ऊपर की पलक को पकड़ें , यदि वहां कोई वस्तु तैर रही हैं उसे पानी से धोकर बाहर निकाल दें, अन्यथा, रूई के फाये के साथ वस्तु को छूये, वस्तु रूई के फाये से चिपक जानी चाहिए, यदि वस्तु को बाहर निकाल दिया गया हैं तो, उसके बाद आंखों को खारे या गर्म पानी धोकर साफ कर दें, यदि वस्तु को हटाया नहीं जा सकता, तब आप एक चिकित्सक की सहायता प्राप्त करें, यदि वस्तु आंखों के भीतर चिपकी हुई हैं, उसे स्पर्श मत करें, आंखों को कागज़ के कप से ढककर टेप लगा दें , तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें।

कानों में बाहरी वस्तुओं के प्रवेश करने पर

बाहरी वस्तुओं के प्रवेश कर जाने पर कान में जैतून, तिल या सरसों का तेल डालें. इससे बाहरी वस्तु ऊपर तैरकर कान के सतह तक पहुँच जाती है. यदि ऐसा न हो तो फौरन चिकित्सीय सलाह लें.

नाक में बाहरी वस्तुओं के प्रवेश करने पर

यह स्थिति अक्सर बच्चों के साथ होती है. खेलते-खेलते बच्चे कब छोटी-छोटी चीजों को नाक में डाल लेते हैं उन्हें उनका पता ही नहीं चलता. ऐसी स्थिति में फौरन इन अवांछित चीजों को बाहर निकालने का यत्न करें. बाहर से दिखने वाली चीजें तो आसानी से निकाली जा सकती है. अगर वस्तु बाहर से नहीं दिख रही हो तो पीड़ित को साँस लेने से रोकें और तम्बाकू सूँघा दें. इससे छींक आती है और वस्तु बाहर आ जाती है. यह युक्ति भी सफल न हो तो फौरन चिकित्सक से सम्पर्क करें.

बाहरी वस्तुओं के गले में प्रवेश करने पर

गले में सिक्के,गोलियाँ या कभी-कभार लोहे की वस्तु फँस सकती है. यदि बच्चे के गले में ऐसी वस्तु फँसे जो नुकीली न हो तो बच्चे को उल्टा लटका कर पीठ पर थपकियाँ देनी चाहिये. युवाओं को ऐसी स्थिति में सिर को नीचे की ओर झुका कर जोर-जोर से थपकियाँ लगानी चाहिये. अक्सर यह तरकीब काम आ जाती है. नुकीली वस्तुओं के गले में फँसने पर चावल, केला, सब्जी अथवा डबल रोटी खाने को दी जानी चाहिये. इससे वह पेट में पहुँच कर मल के साथ बाहर आ सकती है. इसमें फौरन चिकिस्तीय सलाह लें.

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