थायरॉइड में इलाज कराना तो जरूरी है ही, लेकिन साथ ही खाने-पीने की सावधानी बरतना और भी जरूरी है. थायरॉइड में इलाज कराना तो जरूरी है ही, लेकिन साथ ही खाने-पीने की सावधानी बरतना और भी जरूरी है. आपको अपने भोजन में से ऐसी चीजों को बिलकुल आउट कर देना चाहिए, जो थायरॉइड बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
सोया या इससे बनी चीज़ें : थायरॉइड में सोया की बनी चीज़ों से बिलकुल परहेज करना चाहिए. न बाहर का जंक फ़ूड खाएं और न ही तली हुई चीज़ें. ये आपकी बीमारी को और बढ़ा सकते हैं.
निकोटिन : चाय, सिगरेट, तंबाकू जैसी चीजों से बचें, जो आपको अस्थाई खुशी तो देती हैं, लेकिन साथ ही शरीर में निकोटिन भी पहुंचाती है. निकोटिन थायरॉइड ग्रंथि और उससे निकलने वाले हॉर्मोन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.
कैफीन : अगर आपको थायरॉइड है तो कॉफी का सेवन कम कर दीजिए. इससे थाइरॉक्सिन ज्यादा पैदा होता है, जो बीमारी को बढ़ा देता है और नुकसान पहुंचाता है.
एल्कोहल : शराब या बियर हमारे शरीर में एनर्जी लेवल को बढ़ा देता है. अगर थायरॉइड का रोगी एल्कोहल का सेवन करता है तो उसे नींद आने में मुश्किल होती है. इसकी वजह से रोगी को ओस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
डालडा या वनस्पति घी : ये घी शरीर से अच्छे कॉलेस्ट्रॉल को खत्म करता है और बुरे कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है. थायरॉइड से होने वाली परेशानियों को ये घी और बढ़ा देता है. इसलिए इसके सेवन से बचें.
शुगर या चीनी कम करें : अधिक शुगर वाली चीज़ों को नज़रअंदाज़ करें. जैसे मिठाई, पैन केक, कुकीज, पेस्ट्रीज, गन्ना या फिर जैली जैसी मीठी चीजें न खाएं. इनको खाने से ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है. ये सब चीज़ें हाई ब्लड प्रेशर और थायरॉइड के रोगियों के लिए नुकसानदायक साबित होती हैं.
ज्यादा नामक न खाएं : नमक खाने से थायरॉइड ग्रंथि पर बहुत प्रभाव पड़ता है. इसलिए हाइपरथायरॉइड वाले लोगों को ज्यादा नमक खाने से बचना चाहिए. कोई भी ऐसा खाना न खाएं, जिसमें आयोडीन ज्यादा हो.
होल व्हीट (पास्ता, ब्रेड और स्नैक्स) : पास्ता, ब्रेड और स्नैक्स जैसी चीज़ों में होल व्हीट होता है. पूर्ण अनाज की बजाय इसे पचाना ज्यादा मुश्किल होता है. इसमें हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो हमारे खून में शुगर और हॉर्मोन का स्तर बिगाड़ सकते हैं. इसलिए ऐसी चीज़ों के सेवन से बचें.
रेड मीट : रेड मीट में कोलेस्ट्रॉल और फैट प्रचुर मात्रा में होता है. इससे दिल की बीमारियों और टाइप-2 डायबिटीज होने का भी खतरा रहता है. इसलिए हाइपरथायरॉइड वालों को रेड मीट कम खाना चाहिए.
आइए हम आपको थायरॉइड हॉर्मोन से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं.
1. थायरॉइड एक तितली के आकार की ग्रंथि है, जो गर्दन के निचले हिस्से में पाई जाती है. इस ग्रंथि का काम थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाकर उसे रक्त तक पहुंचाना है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहता है.
2. थायरॉयड ग्रंथि में टी3 और टी4 दो प्रकार के हॉर्मोन बनते हैं और इन्हीं हार्मोन्स के असंतुलित होने की वजह से थायरॉइड होता है.
3. थायरॉइड हॉर्मोन की मात्रा कम होने के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और आलस आने लगता है, लेकिन मात्रा अगर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो शरीर ज्यादा सक्रिय हो जाता है.
4. थायरॉइड ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्रंथि से होता है और इस पिट्यूटरी ग्रंथि को हाइपोथेलमस नियंत्रित करता है.थायरॉइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है.
5. कुछ लोगों की थायरॉइड ग्रंथि में कोई रोग नहीं होता है, लेकिन पिट्यूटरी ग्रंथि के ठीक तरह से काम न करने की वजह से थायरॉइड ग्रंथि में बनने वाले हॉर्मोन्स प्रभावित होते हैं और थायरॉइड की बीमारी घेर लेती है.
6. हाइपरथायरॉइड में टीएसएच का स्तर घटता है और टी3 व टी4 की मात्रा बढ़ने लगती है. थायरॉइड की वजह से वजन अचानक घटने या बढ़ने लगते है.
7. थायरॉइड ग्रंथि में बनने वाले थायरॉक्सिन हार्मोन की मात्रा अधिक होने की वजह से शरीर का तापमान बढ़ जाता है और अचानक बेचैनी, घबराहट और शरीर का वजन तेजी से घटना जैसी समस्या होने लगती है.
8. थायरॉइड हार्मोन के असंतुलित होने की वजह से बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के विकास में बाधा उत्पन्न हो जाती है.
9. थायरॉइड जेनेटिक भी होता है. रक्त संबंधों में किसी को थायरॉइड हो तो यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है.