आयुर्वेद में खारक को शीतल, मधुर, रूचिकारक, हृदय को प्रिय, तृप्तिदायक, वीर्यवर्धक और बलदायक माना गया है। वहीं इसे कफ, बुखार, अतिसार, खांसी, दमा और रक्त पित्त जैसे रोगों के निदान के लिए भी उपयोगी बताया गया है। हम आपको बता रहे हैं छह गंभीर बीमारियों में छुहारे के घरेलू नुस्खों में उपयोग और प्रामाणिक रूप से रोगों का निदान।
एक मोटे गूदेदार छुहारे को चाकू से बीच से चीरा लगाकर गुठली निकाल दें। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि छुहारा दो टुकड़े न हो जाए। अब गुठली निकालने से रिक्त हुए स्थान पर असली केसर की चार-पांच पंखुड़ियां डालकर पुनः छुहारे को बंद कर दें और ऊपर से धागा बांध दें ताकि केसर बाहर न निकल जाए। एक गिलास दूध में इस छुहारे को डालकर खूब उबालें। जब दूध आधा गिलास बचे तब आंच पर से उतार लें और ठंडा कर लें। इसके बाद इस छुहारे को खूब चबा-चबाकर खाएं और बीच-बीच में घूंट-घूंट कर दूध पीते रहें। यह प्रयोग रात को सोते समय करें। सावधानी यह रखें कि इसके बाद पानी न पिएं। सिर्फ कुल्ला करके मुंह साफ कर लें। यह प्रयोग पति-पत्नी दोनों के लिए गुणकारी और शक्तिवर्धक होता है। इससे पुरूषों की नपुंसकता, अंगों की शिथिलता और यौनांगों की दुर्बलता दूर होती है।
शीघ्रपतन
सुबह खाली पेट दो छुहारे, टोपी सहित गुठली हटाकर खूब चबा-चबाकर दो सप्ताह तक खाएं। तीसरे सप्ताह में तीन अथवा चार छुहारे खाएं तथा अगले आठ सप्ताह तक प्रतिदिन चार-चार छुहारे ही खाएं। कुल तीन माह तक यह प्रयोग बिना नागा करें। साथ ही रात को सोते समय दो छुहारे दूध में उबालकर ठंडाकर खाएं तथा साथ में घूंट-घूंट भरकर दूध भी पिएं। तीसरे सप्ताह में तीन और चौथे सप्ताह में चार छुहारों के साथ यही प्रक्रिया दोहराएं। अगले आठ सप्ताह चार छुहारे उबालकर उनका दूध सहित उनका सेवन करें। तीन मास तक यह प्रयोग करने से शरीर पुष्ट, बलवान, और सुडौल बन जाता है। इससे शीघ्रपतन रोग से भी छुटकारा मिलता है।
दुर्बलता
शरीर के दुबलेपन और कमजोरी के लिए शीतकाल और वसंत ऋतु , में एक गिलास दूध में बिना गुठली के चार छुहारे डालकर उबालें। बाद में इसे ठंडा कर छुहारे चबा-चबाकर खाएं, और दूध घूंट घूंट कर पीते जाएं। यह प्रयोग रात को सोते समय करना चाहिए। इससे बच्चे, जवान, बूढे़, महिला व पुरूष सभी लाभांवित होते हैं तथा शरीर पुष्ट और सुडौल बनता है।
गुहेरी
आंख की पलक पर होने वाली फुंसी को गुहेरी कहते है। उस पर छुहारे की गुठली पानी के साथ पत्थर पर घिसकर लेप करने से फुंसी का इलाज हो जाता है।
सर्दी-खांसी
शीत ऋतु में सर्दी, खांसी और कफ का प्रकोप बढ़ जाता है। इससे कई बार हल्का सा बुखार आ जाता है और बदन दर्द भी होता है। इसके लिए तीन-चार छुहारे दूध में उबाले और उसमें पिसा हुआ जायफल आधा चम्मच डाल लें। इस दूध को रात के समय कुनकुना रखें और छुहारे चबाते हुए पीएं और फिर कुल्ला करके सो जाएं। इससे कफ और सर्दी का प्रकोप नष्ट होता है तथा हाथ-पैरों के दर्द से राहत मिलती है।
दमा
दमा के रोगी को प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो छुहारे टुकड़े-टुकड़े करके तथा खूब चबा-चबाकर खाने से आराम मिलता है।