जायफल है कई बीमारियों का रामबाण इलाज


भारत में आयात कर के पूर्ति किया जाने वाला जायफल जावा, सुमात्रा, मलेशिया और श्रीलंका में अधिक उत्पन्न होता है। इसके लम्बे-लम्बे वृक्ष दक्षिण भारत में कहीं-कहीं देखे जा सकते हैं। इसकी टहनियां कोमल और पत्ते नीचे की ओर झुके हुए होते हैं।

देखने में अति सुन्दर दिखने वाले इस वृक्ष की पत्तियां मसलने पर सुगंध फैलाती है, वहीं इसका फल सूखने पर छिलका छोड़ देता है। इसका छिलका जावित्री कहलाता है जो अनेक दवाओं और घरेलू नुस्खों में उपयोगी है ।

जितना बड़ा, उतना बेहतर

जायफल फल छिलका रहित होने पर चिकना, अंडाकार और पीले रंग का होता है। यह जितना बड़ा होता है, उतना ही अच्छा माना जाता है। रोचक तथ्य यह है कि भारत में नाममात्र के लिए पैदा होने वाला जायफल भारत के हर शहर और गांव में पंसारी की दुकान में अवश्य मिल जाता है। क्योंकि इसकी मांग घर-घर में होती है और इसका उपयोग घरेलू नुस्खों में किया जाता है।

उपयोग

जायफल कड़वा, तीक्ष्ण, चिरपिरा, अग्नि दीपक, मुख का फीकापन दूर करने वाला, मल की दुर्गंध और कालिमा, क्रमि, खांसी, वमन, श्वास, और हृदय रोग को दूर करने वाला है। यूनानी विशेषज्ञों के अनुसार यह गर्म और खुश्क होता है, इसलिए सर्दी की बीमारियों को दूर करने वाला है। यूनानी चिकित्सक यौन शक्ति की क्षमता और स्तम्भन शक्ति बढ़ाने वाले नुस्खों में इसका उपयोग करते है। इसी प्रकार यह दुर्गंध नाशक वेदना दूर करने वाला, वात शामक और कीट नाशक होने के कारण जायफज नाड़ी संस्थान अर्थात नर्वस सिस्टम के लिए उपयोगी है। अग्नि दीपक और पाचक होने के कारण यकृत को सक्रिय करने वाल क्रमि नाशक होने से उदर एवं पाचन संस्थान के लिए उपयोग है। 

आठ रोगों के लिए यह रामबाण का काम करता है।

सिरदर्द
सर्दी-जुकाम से होने वाले सिरदर्द को दूर करने के लिए दूध में जायफल घिसकर कपाल पर लेप करने से आराम मिलता है।

जी मचलाना
जायफल को पानी में घिसकर लेप को आधा गिलास पानी में घोल कर पीने से जी मचलाना बंद हो जाता है।

शिशु के दस्त
छोटे शिशु को पतले दस्त लगने पर जायफल को चिकने पत्थर पर पानी के साथ 20-25 बार घिसकर लेप को एकत्र कर लें। इस लेप को एक चम्मच पानी में घोल कर शिशु का पिला दें। यह प्रयोग रामबाण सिद्ध होता है। इसकी खुराक सुबह-शाम दी जाए।

अनिद्रा
निद्रा नाश की समस्या से निजात पाने के लिए जायफल को शुद्ध घी में घिसकर आंखों की पलकों पर लेप करें और आंखे बंद करके लेट जाए, तुरन्त नींद आ जाती है।

त्वचा की निर्जीवता
दो चम्मच नारियल तेल में दो बूंद जायफल का तेल डालकर मिला लें। इसे त्वचा के शून्यता अथवा सुन्न स्थान पर लगाकर मालिश करने से त्वचा की निर्जीवता दूर हो जाती है।

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मंदाग्नि
पाचन शक्ति और जठराग्नि मंद होने पर इसका एक ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से लाभ होता है और यह प्रयोग हृदय को भी बलवान करता है।

मुंह के छाले
पानी में जायफल को इतनी देर घिसें कि आधा चम्मच लेप तैयार हो जाए। इस लेप को एक गिलास पानी में घोलकर गरारे और कुल्ले करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते है और बैठा हुआ गला भी साफ हो जाता है।

अतिसार
बड़ी आयु के स्त्री, पुरूषों को जायफल का एक ग्राम चूर्ण आधा कप पानी के साथ सुबह-शाम फांकने से बार-बार पतले दस्त होना, पेट फूलना और पेट दर्द में आराम मिलता है।

सावधानी

तेज प्रभावकारी होने के कारण जायफल के चूर्ण की आधे से एक ग्राम मात्रा ही सेवन के योग्य होती है। अधिक मात्रा में लेना हानिकारक और नशा करने वाला होता है। इसलिए इसका सेवन बहुत सावधानीपूर्वक किया जाता है।

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