कपालभाती प्राणायाम (Kapalbhati Pranayam) विधि, लाभ और सावधानियाँ –

कपालभाती प्राणायाम / Kapalbhati Pranayam

मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है। कपालभाती प्राणायाम को हठयोग के षट्कर्म क्रियाओं के अंतर्गत लिया गया है। ये क्रियाएं हैं:-1.त्राटक 2.नेती. 3.कपालभाती 4.धौती 5.बस्ती 6.नौली। आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाती और ध्यान में ‍साक्षी ध्यान का महत्वपूर्ण स्थान है।
कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। प्राणायामों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली रेचक प्रक्रिया है। कपालभाती और भस्त्रिका प्राणायाम में अधिक अंतर नहीं है। भस्त्रिका में श्वांस लेना और छोड़ना तेजी से जारी रहता है जबकि कपालभाती में सिर्फ श्वास को छोड़ने पर ही जोर रहता है।
आप सामान्य रूप से सांस ले और सांस छोड़ने पर ज्यादा ध्यान दे. और सांस छोड़ते समय आप अपने पेट की आतडीयो को सिकोड़े.सभी योग अभ्यास सिखाने वाले विश्वास दिलाते है की गहरी सांसे और मेडिटेशन (Meditation) तकनीक यह सिखने वालो की मध्य की क्रिया है. कपालभाती प्राणायाम / Kapalbhati Pranayama पुरे विश्व के योगशिबिरो में सिखाया जाता है.
कपालभाती प्राणायाम / Kapalbhati Pranayam एक शारीरिक और सांस लेने की प्रक्रिया है जो दिमाग के लिए फायदेमंद है. इससे शरीर के सभी नकारात्मक तत्व निकल जाते है, और शरीर और मन सकारात्मकता से भर जाता है. योगा / Yoga से पूरी दिनचर्या अच्छे से गुजरती है. सिर्फ कपालभाती ही ऐसा प्राणायाम / Pranayam है जो शरीर और मन दोनों को शुद्ध कर सकता है. रोग नाशक औजार के रूप में इसके अदभूत नतीजे है. इसे दूनिया भर में प्रसिध्द करने के लिए कुछ प्रमुख गुरूओ ने बहूत परिश्रम किया है |

कपालभाती प्राणायाम के लाभ / Benefits Of Kapalbhati –

कुछ लोग इसे शरीर को आराम देने के लिए करते है. तो कुछ लोग इसके अन्य लाभ के लिए इसे करते है. कुछ लोग कपालभाती / Kapalbhati वजन कम करने के लिए करते है क्योंकि इसे करते समय श्वसन प्रणाली और पेट की अतडिया हरकत में आती है. जिससे पेट की चर्बि कम होती है.
कपालभाती / Kapalbhati से श्वसन प्रणाली शुद्ध होती है. किसी भी तरह की एलर्जी (Allergy) व संक्रमण दूर होता है. क्योंकि कपालभाती में जोर से सांस बाहर छोड़ते है. जिससे फेफड़ो के संक्रमण व एलर्जिक तत्व बाहर हो जाते है.
इस प्राणायाम / Pranayam को करने से डायाफ्राम लचीला बनता है. इस प्राणायाम से डायाफ्राम भी ताकतवर और लचीला होता है. जिससे हर्निया होने की संभावना कम हो जाती है.
कपालभाती खून का प्रवाह शरीर के निचले अंगो में बढ़ाता है. जिससे शरीर के निचले अंग सही तरीके से काम करते है. इस प्राणायाम से फेफड़ों की कार्य करने की क्षमता बढती है. जिस कारण श्वसन प्रणाली अच्छी तरह से काम करती है. जिससे शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन (Oxygen) मिलती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से कार्यक्षमता भी बढती है. इस प्राणायाम से एकाग्रता बढ़ती है. और कुडलीयाँ जागृत होती है.

कपालभाती के प्रभाव / Effect Of Kapalbhati –

कपालभाती शरीर और दिमाग दोंनो को बढ़ाता है पर यह सभी के साथ नही होता है. सभी रोगों में कपालभाती नही किया जा सकता है इसलिए किसी तरह की बीमारी हो तो चिकित्सक की सलाह ले कर ही करे जैसे की रीड, हरनिया, दिल से संबधीत बीमारी वालों ने इस प्राणायाम को नही करना चाहिए. श्वसन प्रणाली और सर्दी व नाक से संबधीत रोगों में भी इसे न करें.
जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) व डायबिटीज(Diabetes)वालों को डॉक्टर सलाह देता है कि वे कपालभाती / Kapalbhati का त्याग करे. जिन्हें पेट में अलसर है वे इसे ना करे. इसलिए इसे डॉक्टर सलाह अथवा किसी योग गुरु की सलाह से ही करे.
1. इस प्राणायाम को ज्यादा करने से हाईपर टेंशन (Hyper Tension), दिल की बीमारियाँ और हर्निया जैसी बीमारियाँ हो सकती है.
2. इस प्राणायाम  से तेज़ी से सांस छोड़ने के कारण सिरदर्द व चक्कर आना महसूस हो सकता है.

कपालभाती प्राणायाम कैसे करे / How To Do Kapalbhati Pranayam –

कपालभाती प्राणायाम / Kapalbhati Pranayama को करना सिधा-सिधा है. इसे सही तरीको से करे ताकि इससे आपको कोई हानी ना हो. आपको इसे करते समय कई सावधानिय भी रखनी होंगी. इसे करने की विधि निचे दी गयी है –
1. रीढ़ की हड्डी को सीधे रखके पैरो को अपने सामने मोड़ कर बैठे.
2. एक लंबी सांस ले और एकदम से सांस छोडिये. सांस लेने पर नही सांस छोड़ने पर ज्यादा ध्यान दे.
3. आप जब सांस छोड़ते हो तो आपके पेट की अतडियाँ निचे चली जानी चाहिए और सांस लेते समय वे ऊपर आजानी चाहिये.
4. इसे एक बार में 10 बार ही करे फिर थोडा आराम करे और इसे ऐसे ही 2 बार और करे.

कृपया इन बातों का भी ध्यान रखे – Keep These Things In Mind

1. इस प्राणायाम को किसी विशेषज्ञ की देख रेख में ही करें ताकि आप इस प्राणायाम को गलत ना करे.
2. हाई बी.पी. वाले मरीजों ने भी इसे नही करना चाहिए.
3. इस प्राणायाम को खाली पेट करना चाहिए और श्याम को न करे.
4. कपालभाती / Kapalbhati करते समय यदि थकान व चक्कर आना महसूस हो तो थोड़े समय के लिए रुक जाए.
5. इस प्राणायाम को ज्यादा गति से नही करना चाहिये इसे धीरे-धीरे करे और इसे करना धीरे धीरे बढ़ाये.

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