जलजमनी के स्वास्थ्यवर्धक लाभ

जलजमनी एक बेल है जो घर व खेतों के आसपास स्वत: उगती है। इस तरह के बहुत से पौधे और बेल हैं जिनके औषधीय गुणों के बारे में हम नहीं जानते हैं और उन्हें उखाड़कर फेंक देते हैं। जलजमनी भी इसी तरह की एक बेल है जिसे में उखाड़कर फेंक देते हैं। लेकिन इसका औषधि की तरह इस्तेमाल हमें जीवन प्रदान करता है। अनेक रोगों से मुक्ति दिलाता है। यह बेल पानी को जमा देती है, इसीलिए इसे जलजमनी कहा जाता है। इसके पत्ते चिकने व शीतल होते हैं। इसे पीसकर रात को पानी में डाल दिया जाए तो सुबह पानी जमा हुआ मिलता है। अनेक जगहों पर इसे पातालगरुड़ी के नाम से भी पुकारते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम कोक्युलस हिरसुटस _ Cocculus hirsutus है। यह विभिन्न प्रकार के रोगों की रामबाण औषधि है।

➡ जीवनदायनी जलजमनी के चमत्कारिक फायदे :

श्वेत प्रदर दूर करे : श्वेत प्रदर या रक्त प्रदर में इसकी पत्तियों को को पीसकर 5-7 ग्राम रस निकाल लें और एक कप पानी में मिला लें, उसमें थोड़ी मिश्री व काली मिर्च डालकर दिन में दो बार सेवन करें। दो-तीन दिन में ही यह औषधि अपना रंग दिखाने लगती है। इसका प्रयोग मेने स्वयं कई मरीजो के ऊपर किया हैं। किसी भी उम्र की महिला पर यह 100% प्रभावी रामबाण औषिधि है। इससे अच्छी औषिधि श्वेत प्रदर के लिए दूसरी और कोई नही हो सकती है। क्योंकि इस औषिधि का प्रयोग सर्वप्रथम 45 वर्ष की ऐसी महिला पर किया गया जिसको इस रोग ने ऐसा जकड़ा की बिस्तर से उठा भी नही जा रहा था। इस जलजमनी का परिणाम भी स्थाई मिलता है।  जिन माता बहनो को श्वेत प्रदर होता है उनको डॉ. द्वारा दी गयी अंग्रेजी दवाईयों से तब तक लाभ रहता है जब तक दवाई खाते है उसके पश्चात् पुनः वही समस्या हो जाती है। यह बीमारी इतनी भयावह है कि बिस्तर से उठा भी नही जाता है, और कभी कभी यह नौबत आ जाती है कि ऑपरेशन ही एक मात्र विकल्प बन जाता है। मेने इसको अपने घर और खेतों की मेढ़ो पर लगा रखा है क्यों की इसकी इतनी आवश्यकता है इस बीमारी से हर 10वी महिला ग्रसित है।
यौन समस्याओं का हल : यदि महिलाओं को माहवारी जल्दी-जल्दी आ रही है, ज़्यादा ब्लीडिंग हो रही है, पेशाब में जलन हो रही है या पुरुषों में स्वप्नदोष, शीघ्रपतन या धातुक्षीणता की समस्या है तो जलजमनी के रस का 15 दिन तक सेवन करना चाहिए। ताज़ा रस ज़्यादा लाभकारी है। यदि यह रोज़ संभव न हो तो इसकी टहनियों सहित इसे सुखा लें और कूटकर पाउडर बना लें। दो-दो ग्राम पाउडर मिश्री व दूध के साथ सेवन करें।
शक्ति वर्धक : जलमनी कमज़ोरी भी दूर करती है। जलजमनी, शतावर, मूसली, अश्वगंधा समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और एक-एक चम्मच सुबह-शाम लेने से कमज़ोरी दूर हो जाती है।
 नक़सीर का इलाज : नाक से ख़ून गिरता हो या जलन होती हो तो इसकी पत्तियों का रस या सूखा पाउडर एक-एक चम्म्च पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है। यदि रोगी शीत प्रकृति का है तो इसका ज़्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।
विषनाशक : सांप काटने पर जलजमनी की 10 ग्राम जड़, 8 ग्राम काली मिर्च मिलाकर पानी में पीसकर 15-15 मिनट के अंतराल पर पिलाते रहें। इससे उल्टी होने लगती है और ज़हर का असर धीरे-धीरे कम हो जाता है।
फोड़े-फुंसी हटाए : किसी भी प्रकार के फोड़े व फुंसियों पर इसकी पत्तियों या जड़ को कूचकर लगाने से लाभ होता है।
दाद, खाज और खुजली मिटाए : इसकी पत्तियों या जड़ को कूचकर लगाने से दाद, खाज, खुजली जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।
 दर्द निवारक : जोड़ों के दर्द में जल-जमनी की पत्तियों व जड़ों को पीसकर लगाने से आराम मिलता है।
स्वस्थ शुक्राणु वर्धक : जलजमनी की काढ़ा पीने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है। वैज्ञानिक शोधों ने साबित किया है कि इसकी पत्तियों में स्पर्मेटोसिस (शुक्राणुओं के बनने की प्रक्रिया) के गुण होते हैं।
मधुमेह में लाभकारी : शुगर के मरीज़ यदि जलजमनी की चार पत्तियों का रोज़ सुबह-शाम नियमित सेवन करें तो उनका शुगर नियंत्रित हो जाता है।
जोश वर्धक : सेक्स पावर बढ़ाने के लिए जलजमनी की पत्तियों को कुचलकर रात को पानी में मिला दें। सुबह वह पानी जम जाएगा। उसका प्रतिदिन सेवन करें। यह औषधि गोनोरिया रोग में भी काफ़ी लाभप्रद है।

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