जानलेवा है हैजा, जानें लक्षण, कारण और उपचार

हैजा, आंतों में इंफेक्शन होने वाली गंभीर बिमारी है। यह विब्रिओ कॉलेरी नामक बैक्टीरिया से फैलता है। आमतौर पर इस बिमारी की शुरुआत उल्टी या दस्त से होती है, लेकिन सही समय पर अगर इसका इलाज नहीं किया जाए तो जानलेवा भी हो सकता है।

अक्सर लोग शुरुआत में हैजा के लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं जिसकी वजह यह समस्या गंभीर हो जाती है। हैजा के शुरुआती अवस्था में उल्टी व दस्त की समस्या होती है। अगर आपको एक-दो बार से ज्यादा ऐसी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपंर्क करना चाहिए। इस बीमारी से बचने के लिए इसके लक्षणों, कारण और उपचार के बारें में जानें।

कैसे फैलता है हैजा :

संक्रमित आहार या पानी पीने से हैजा के बैक्टेरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसक बाद यह बैक्टेरिया तेजी से आंतो पर हमला करते हैं जिससे पतले दस्त व उल्टी की समस्या शुरु हो जाती है। शेलफिश द्वारा खाए जाने वाले कच्चे पदार्थ भी हैजा के स्रोत हो सकते हैं। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे नहीं फैलती है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बीमार होने का कोई खतरा नहीं होता। हैजा का इंफेक्शन होने पर 3 से 6 घंटे में रोगी को बार-बार उल्टियां व दस्त लगने लगते हैं। कोई इलाज ना लेने पर धीरे-धीरे यह समस्या घातक रूप ले लेती है और रोगी का ब्लड प्रेशर कम होन लगता है।

लक्षण :

हैजे के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और जब पर्याप्त संख्या में हो जाते हैं तो वहां विष पैदा करते हैं, यह विष रक्त द्वारा शरीर के अन्य भागों में जाता है और रोग बढ़ता है।इस रोग में जबरदस्त उलटियां व दस्त होते हैं। कई बार उलटी नहीं भी होती है और जी मिचलाता है व उलटी होने जैसा प्रतीत होता है।उलटी में पानी बहुत अधिक होता है, यह उलटी सफेद रंग की होती है। कुछ भी खाया नहीं कि उलटी में निकल जाता है।उलटी के साथ ही पतले दस्त लग जाते हैं और ये होते ही रहते हैं, शरीर का सारा पानी इन दस्तों में निकल जाता है। इस बीमारी में बुखार नहीं आता, बस रोगी निढाल, थका-थका सा कमजोर व शक्तिहीन हो जाता है।इस रोग में प्यास ज्यादा लगती है, पल्स मंद पड़ जाती है, यूरिन कम आता है व बेहोशी तारी होने लगती है।हैजा होने पर रोगी के हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं।हैजे की शुरुआत होने पर रोगी की सांस टूटने लगती है.यूरीन में समस्या होती है और पीले रंग का होता है.रोगी की नाडी तेज चलने लगती है और कमजोर रहती है.हैजा में ज्यादा बुखार नहीं होता, जैसा कि दूसरे इन्फेक्शन में होता है ।हैजा में रोगी की हृदय गति बढ़ जाती है।

उपचार का तरीका :

हैजे की समस्या से बचने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं जो रोग की अवधि कम करती हैं और इसे फैलने से रोकती है। हैजा का एक वैक्सीन भी है, जो कि छह माह तक ही क्रियाशील रहता है। रोग की संभावना होते ही तुरंत डॉक्टर से संपंर्क करें। डॉक्टर सलाइन चढ़ाकर, एंटीबायोटिक दवाएं देकर रोग को बढ़ने से रोक सकता है। इसके अलावा नमक-शकर-पानी का घोल पिलाया जाता है या बना बनाया इलेक्ट्रोलाइट पिलाकर रोगी को लवणों की पूर्ति की जाती है। रोगी की हालत गंभीर हो तो रक्त शिरा में इंजेक्शन देकर तुरंत आराम पहुंचाने की कोशिश की जाती है।

हैजा का कारण :

विब्रिओ कॉलेरी नामक बैक्टेरिया से फैलने वाले रोग इस रोग में खुला खाना या पानी नहीं पीना चाहिए। यह समस्या खास तौर पर गंदगी के कारण फैलती है। इसलिए अपने आसपास वाली जगह को साफ सुथरा रखें। जानें क्या है हैजा के कारण
  • म्यूनसिपल सप्लाई का पानीम्यूनसिपल पानी से बना बर्फगलियों में मिलने वाला खुला खानामानव मल से उगाए गई सब्जियांकच्चा व अधपका मांसाहारी भोजन
  • हैजा जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए उसकी पूरी जानकारी होना जरूरी है। हैजा की समस्या होने पर बिना देर किए डॉक्टर से संपंर्क करें और रोगी की जान बचाएं।

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