यूरीन टैक्ट इंफेक्शन एक तरह का मूत्र संक्रमण होता है, जिसके नतीजे गंभीर होते है। कुछ लोगो में ये परेशानी बार बार हो जाती है। ऐसे लोगो के बारे में विस्तार से जानें।
1.सेक्सुअली एक्टिव
यूरीन इंफएक्शन का मुख्य कारण ज्यादा सेक्सुअली एक्टिव होना भी होता है। जो लोग बहुत ज्यादा सेक्स करते है कई बार असावधानी के कारण बैक्टीरिया उनके शरीर में पहुंच जाते है। जो यूरीन टैक्ट को बढ़ाता है। इससे बचने के लिए सेक्स के तुंरत बाद पेशाब जाना चाहिए। जिससे बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश ना कर सके।
2. 50 से ज्यादा आयु
बुजुर्गों में खासतौर से जिनकी उम्र 50 से ऊपर हो जाती है, उनमें मूत्र संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। उम्र बढ़ने के साथ पुरूषों की प्रोस्टेट ग्लैंड भी बढ़ जाती है। जिससे पेशाब करने में तकलीफ होती है। पेशाब को ठीक तरह से ना निकल पाना बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है। जिसके कारण यूरीन टैक्ट इंफेक्शन की शिकायत होती है।
3.रजोनिवृत्ति
एक शोध के मुताबिक जिन महिलाओं की रजोनिवृत्ति हो जाती है उन्हे भी मूत्र संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। इसकी प्रमुख वजह एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर का कम होना होता है। जिसके कारण यूटीआई की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में महिलाओं को मेनोपाॉज के बाद ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।
4.प्रसव के बाद
महिलाओ में प्रसव के बाद 79 फीसदी मामलों में पेशाब पर नियंत्रण खत्म हो जाता है। जिसकी वजह पेलविक (बच्चेदानी के नीचे का हिस्सा) की मांसपेशियों का ढीला होना होता है, ऐसे अधिकांश मामलों में महिलाओं को छींक के साथ पेशाब रिसने की समस्या होती है। जिससे भी मूत्र संक्रमण की शिकायत हो जाती है।
5.मधुमेह के रोगी
मधुमेह के रोगियों को यूरीन टैक्ट इंफेक्शन की समस्या आम बात है। मधुमेह के रोगियों को बार बार पेशाब जाने की शिकायत होती है, क्योंकि उनका ब्लैडर ठीक तरह से काम नहीं करता है। ये समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होती है। उनके मू्त्रमार्ग में बैक्टीरिया पंहुचना ज्यादा आसान होता है।
1.सेक्सुअली एक्टिव
यूरीन इंफएक्शन का मुख्य कारण ज्यादा सेक्सुअली एक्टिव होना भी होता है। जो लोग बहुत ज्यादा सेक्स करते है कई बार असावधानी के कारण बैक्टीरिया उनके शरीर में पहुंच जाते है। जो यूरीन टैक्ट को बढ़ाता है। इससे बचने के लिए सेक्स के तुंरत बाद पेशाब जाना चाहिए। जिससे बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश ना कर सके।
2. 50 से ज्यादा आयु
बुजुर्गों में खासतौर से जिनकी उम्र 50 से ऊपर हो जाती है, उनमें मूत्र संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। उम्र बढ़ने के साथ पुरूषों की प्रोस्टेट ग्लैंड भी बढ़ जाती है। जिससे पेशाब करने में तकलीफ होती है। पेशाब को ठीक तरह से ना निकल पाना बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है। जिसके कारण यूरीन टैक्ट इंफेक्शन की शिकायत होती है।
3.रजोनिवृत्ति
एक शोध के मुताबिक जिन महिलाओं की रजोनिवृत्ति हो जाती है उन्हे भी मूत्र संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। इसकी प्रमुख वजह एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर का कम होना होता है। जिसके कारण यूटीआई की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में महिलाओं को मेनोपाॉज के बाद ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।
4.प्रसव के बाद
महिलाओ में प्रसव के बाद 79 फीसदी मामलों में पेशाब पर नियंत्रण खत्म हो जाता है। जिसकी वजह पेलविक (बच्चेदानी के नीचे का हिस्सा) की मांसपेशियों का ढीला होना होता है, ऐसे अधिकांश मामलों में महिलाओं को छींक के साथ पेशाब रिसने की समस्या होती है। जिससे भी मूत्र संक्रमण की शिकायत हो जाती है।
5.मधुमेह के रोगी
मधुमेह के रोगियों को यूरीन टैक्ट इंफेक्शन की समस्या आम बात है। मधुमेह के रोगियों को बार बार पेशाब जाने की शिकायत होती है, क्योंकि उनका ब्लैडर ठीक तरह से काम नहीं करता है। ये समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होती है। उनके मू्त्रमार्ग में बैक्टीरिया पंहुचना ज्यादा आसान होता है।