गलसुआ - कारण, लक्षण और उपचार

गलसुआ एक वायरल संक्रमण है जो आसानी से फैलता है और शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है लेकिन, मुख्य रूप से लार ग्रंथियों को प्रभावित करता है जो कान और जबड़े के बीच में प्रत्येक गाल के पीछे स्थित होती हैं। गलसुआ लार ग्रंथियों की सूजन और दर्द का करण बनता है।
गलसुआ के कारण 
इसका मुख्य कारण मम्प्स वायरल है और यह संक्रमित लार, छींकने या खंसने तथा संक्रमित व्यक्ति के साथ बर्तन साझा करने के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर वायरस से संपर्क के बाद 14-18 दिनों में होती है।

गलसुआ के लक्षण
 बहुत ही हल्के लक्षण देखने को मिलते हैं और इनमें बुखार, सिरदर्द, भूख न लगना, कमज़ोरी, चबाने और निगलने में दर्द होना और गालों में सूजन दिखाई देने वाले कुछ लक्षणों हैं।

गलसुआ के निदान 
एक साधारण से परीक्षण से गलसुआ की पुष्टि हो सकती है क्योंकि कानों के एकदम सामने जबड़े में सूजन दिखाई देती है। कल्चर या रक्त परीक्षण किया जाएगा और इससे भी निदान की पुष्टि होगी। रक्त में एंटीबॉडी की उपस्थिति आसानी से वायरल संक्रमण की पुष्टि करेगा।

गलसुआ के उपचार 
चूंकि, गलसुआ एक वायरल संक्रमण है, एंटीबायोटिक दवाओं से इसका इलाज संभव नहीं है और दो हफ्तों में यह अपनेआप ही समाप्त हो जाता है। दर्द निवारक दवा जैसे इबूप्रोफेन या पेरासिटामोल का उपयोग किया जा सकता है और सूजे हुए भाग पर ठंडा पैक लगाने से भी मदद मिलती है। दर्द निवारक देना, पूरा आराम कराना, सूजे हुए भाग पर बर्फ /ठंडी पट्टियाँ रखना, नरम आहार देना जिसमें अधिक चबाना न पड़े, तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाना, खट्टे फलों से बचना और रोग को फैलने से रोकने के लिए रोगी को अलग रखना घरेलू उपचार में शामिल है।

गलसुआ की रोकथाम 
एमएमआर (मीज़ल्स-मम्प्स-रुबैला) टीकाकरण गलसुआ को रोकने के लिए सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी प्रक्रिया है। एमएमआर की दो खुराक आमतौर पर 12-15 महीने की उम्र में दी जाती है और दूसरी 4-6 साल की आयु होने पर या 11-12 साल की आयु होने पर यदि पहली खुराक न दी गई हो।

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