पेट की सभी समस्याओं के अचूक आयुर्वेदिक नुस्खे

यदि आपका पेट अच्छी तरह साफ़ नहीं हो रहा हैं और आपको भोजन के बाद पेट दर्द या गैस या दस्त हो जाते हैं, भोजन पचता नहीं, गैस के कारण हृदय पर बोझ अनुभव होता हैं, पेट फूल जाता हैं, पुराना कब्ज हो, कोलाइटिस हो, भोजन में अरुचि हो तो इन नुस्खों को ज़रूर आज़माये। ये आसान से घरेलु उपाय बहुत कामयाब हैं।

निम्बू :

यदि आपके पाचन अंग कार्य नहीं करते, भोजन नहीं पचता, पेट में गैस के कारण हृदय पर बोझ अनुभव होता हैं, पेट फूल जाता हैं, रात को नींद नहीं आती, भोजन भली प्रकार नहीं पचता तो एक गिलास गर्म पानी में एक निम्बू का रस मिलाकर बार बार पीते रहने से पाचन अंगो की धुलाई हो जाती हैं। रक्त और शरीर के समस्त विषैले पदार्थ मूत्र द्वारा निकल जाते हैं। कुछ ही दिनों में शरीर में नई स्फूर्ति और नई शक्ति अनुभव होने लगती है।
अगर अपच हो तो निम्बू की फांक पर नमक डालकर गर्म करके चूसने से खाना सरलता से पच जाता है। यकृत (लिवर) के समस्त रोगों में निम्बू लाभदायक होता हैं।

नारंगी :

अगर आपकी पाचन शक्ति कमज़ोर हैं तो नारंगी का रस तीन गुना पानी में मिलाकर पीना चाहिए।

पुदीना :

पुदीना पेट की ढेरों बीमारियो का शमन करने में समर्थ होता है। इसके लिए पुदीने का किसी न किसी रूप में प्रतिदिन सेवन अवश्य करना चाहिए।

पालक :

कच्चे पालक का रस प्रात: पीते रहने से कुछ ही दिनों में कब्ज ठीक हो जाता है। आँतों के रोगों में इसकी सब्जी लाभदायक है। पालक और बथुए की सब्जी खाने से भी कब्ज दूर होता है। कुछ दिन लगातार पालक अधिक मात्रा में खाने से पेट के रोगों में लाभ होता है।

बेल – बिल्व :

बेल का शरबत, या मुरब्बा या चूर्ण, किसी भी प्रकार से बेल का सेवन आंतो की पूर्ण सफाई करता हैं। पेट के रोगो से ग्रसित रोगो को बेल का नियमित सेवन करना चाहिए। ये कोलाइटिस के रोगियों के लिए भी अमृत के समान हैं।

मूली :

अग्निमांध, अरुचि, पुराना कब्ज, गैस होने पर भोजन के साथ मूली पर नमक, काली मिर्च डालकर दो माह तक नित्य खाएं। इससे लाभ होगा। पेट के रोग में मूली की चटनी, आचार सभी भी उपयोगी हैं। ध्यान रहे मूली सेवन का सही समय दोपहर ही है। रात को मूली नहीं खानी चाहिए।

बथुआ :

जब तक मौसम में बथुआ मिलता रहे नित्य इसकी सब्जी खावें। इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत(लिवर), तिल्ली(स्प्लीन), गैस, अजीर्ण, कृमि, अर्श (बवासीर) ठीक हो जाती हैं।

अदरक :

अदरक को बारीक काटकर थोड़ा सा काला नमक लगाकर 6 ग्राम की मात्रा में दिन में एक बार, 10 दिन तक भोजन से पहले खाएं। इससे हाज़मा ठीक होगा, भूख लगेगी, पेट की गैस, कब्ज दूर होगी, मुंह का स्वाद ठीक होगा, भोजन की और रूचि बढ़ेगी। जीभ और कंठ में चिपटा बलगम साफ़ होगा।
सौंठ (सूखी अदरक) और सौंठ की पांच गुनी अजवायन पीसकर निम्बू के रस में तर कर लें। इसे छाया में सुखाकर नमक मिला लें। सुबह शाम पानी से एक चम्मच लें। इससे पाचन विकार, वायु पीड़ा, खट्टी डकारे ठीक होती हैं।सौंठ, हींग और काला नमक इन तीनो को बराबर मिला कर चूर्ण बना लीजिये, ये चूर्ण गैस को बाहर निकालता है।
पेट फूलता हो, बदहज़मी हो, अदरक के टुकड़े देशी घी में सेंककर स्वादानुसार नमक डालकर दो बार नित्य खाएं। इससे पेट के सामान्य रोग ठीक हो जायेंगे।

एक चम्मच अदरक का रस चौथाई कप पानी में मिलाकर पियें। यह पाचन संस्थान के हरेक रोगों में लाभदायक है। जब कभी पेट खराब हो, अदरक का सेवन करें।
अदरक के बारीक टुकड़े कर लें, इन्हें नागरबेल के पान (खाने का पान) में सुपारी की तरह डालकर पान को लपेट लें तथा एक लौंग ऊपर से चुबा दें। इस प्रकार पान में अदरक के टुकड़े भरकर बीड़ा बाँध लें, इनको निम्बू के रस में डुबो दें और दस दिन तक पड़ा रहने दें। निम्बू के रस में स्वादानुसार नमक डाल दें। इसके बाद एक पान नित्य भोजन के साथ खाएं। इससे भोजन सरलता से पचेगा तथा पाचन सम्बन्धी रोग ठीक हो जायेंगे।

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