सावधान! इन कारणों से होता है लंग्स कैंसर, भूलकर भी न करें इग्नोर


कैंसर एक ऐसी बीमारी है। जिससे पूरी दुनिया परेशान है। दवाओं कीमोथेरपी से इसे कई हद तक रोका जा सकता है। कई लोगों को निजात भी मिल जाती है। एक शोध के अनुसार ये बात सामने आई था कि कैंसर बदकिस्मती नहीं बल्कि खराब लाइफस्टाइल के कारण भी होती है। कैंसर का एक भाग है लंग्स कैंसर यानी कि फेफड़ों का कैंसर।

लंग्स कैंसर मुख्यतौर पर स्मोकिंग, तंबाकू, गुटखा खाने आदि के कारण होता है। इसका लक्षण बहुत ही मुश्किल में समझ आते है। इतना ही नहीं लंग्स कैंसर धुंआ, फैक्ट्री से निकलने वाले केमिकल और ज्यादा प्रदूषण के कारण भी होता है।

लंग्स कैंसर मुख्यता 55 से 80 साल की उम्र में होता है। इसके अलावा जो 15-16 साल से लगातार स्मोकिंग कर रहा है, तो उसे भी लंग्स कैंसर होने के चांसेस ज्यादा होते है। जानिए इसका और कारण साथ ही जानें लक्षण।

लक्षण


  • लगातार भूख में कमी आना।
  • लगातार वजन कम होना।
  • हाथ, गर्दन, चेहरे और उंगुलियों में सूजन रहना। शरीर के अंगो में कमजोरी आना।
  • बार-बार निमोनिया की शिकायत।
  • शरीर के अंग जैसे कि पीठ, पैर, कंघे में लगातार दर्द बना रहना।
  • लंबे समय तक लगातार खांसी आना और खांसने की आवाज में परिवर्तन होना
  • खांसते-खांसते मुंह से खून निकलना या फिर भूरे रंग का थूक आना।
  • बार-बार सांस की नली में सूजन होना।
  • संक्रामक रोगों की गिरफ्त में जल्दी-जल्दी आना।

लंग्स कैंसर होने का कारण

एस्बेस्टोस फाइबर
यह फाइबर मुख्यता हमारे घरों या फिर दुकानों में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें ऐसे केमिकल इस्तेमाल किए जाते है। जो कि हमारे सांस लेने में अंदर जाते है। जिसके कारण लंग्स कैंसर हो सकता है।

क्रॉनिक ब्रांकाइटिस
इन लोगों को यह समस्या होती है। उन लोगों को भी लंग्स कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।

अनुवांशिक
जिन लोगों के घर में पेरेंट्स को लंग्स कैंसर हो चुका हो। उन लोगों के बच्चों को भी लंग्स कैंसर हो सकता है।  

कारखानों में काम करने से
ऐसे कारखाने जिसमें कोयला, आर्सेनिक या पेपर प्रिंटिंग का काम होता है। वहां के लोगों को यह बीमारी हो सकती है।

लंग फाइब्रोसिस
जिन व्यक्तियों को लंग फाइब्रोसिस की समस्या है। इन्हें लंग्स कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।

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