दोस्तों चाहे आप हों या मैं जब लगातार काम करते हैं तो कुछ समय में अपनी उंगलियां जरूर चटका लेते हैं. लेकिन ऐसा ना करने के लिए अक्सर हमारे बड़े-बुजुर्ग हमें मना करते रहतें हैं. हमारे बड़े-बुजुर्गों की इसको लेकर बहुत सारी मान्यताएं हैं, लेकिन मैं आज आपको इसका वैज्ञानिक कारण बताने जा रहा हूं कि क्यों हमें उंगलियां नहीं चटकानी चाहिए.
जब भी हम अपने हाथ-पैर या फिर उंगलियां चलाते हैं तो वे आपस में रगड़ ना खाए, या फिर घर्षण से बचाने का काम इस ‘सिनोवाइल’ नामक पदार्थ का होता है. अब बात करें हड्डियों के चटकने की तो ये तब चटकती हैं जब इन हड्डियों के बीच कार्बन डाई ऑक्साइड आ जाती है. तो जब ‘सिनोवाइल’ में कार्बन डाई ऑक्साइड मिलती है तो वहां पर बुलबुले बन जाते हैं. तो जब हम अपनी हड्डियां मोड़ते हैं तो इन बुलबुलों के फूटने से आवाज आती है और हम समझ जाते हैं कि हमारी हड्डियां चटक गयी हैं.
आप और हम जब उंगलियां चटकाते हैं तो एक बार चटकने के बाद फिर आवाज नहीं आती है. उसका कारण यह है कि जब एक बार उंगलियां चटक जाती हैं तो दोबारा ‘सिनोवाइल’ पदार्थ में कार्बन डाई ऑक्साइड को मिलकर बुलबुले बनाने में लगभग 15-30 मिनट लग जाते हैं. यही कारण है कि एक बार उंगलियां चटकाने के बाद फिर तुरन्त दोबारा चटकाने पर आवाज नहीं आती है
अब बात करें कि इसका नुकसान क्या है और क्यों हमें उंगलियां नहीं चटकानी चाहिए तो उसका कारण यह है कि जब बार-बार हम उंगलियां चटकाते हैं तो उनके बीच में जो ‘सिनोवाइल’ पदार्थ होता है वह कम होने लगता है. सबसे खतरनाक बात यह है कि अगर यह ‘सिनोवाइल’ नामक पदार्थ खत्म हो जाए तो हमें ‘गठिया’ जैसी बीमारी भी हो सकती है. इसके साथ-साथ हड्डियों की आपस में पकड़ भी कमजोर हो जाती है.
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ने इस पर रिसर्च करके बताया है कि इस तरह से उंगलियों को चटकाने से हड्डियां कमजोर होती हैं. इसके अलावा भी तमाम रिसर्च में यह बात स्पष्ट करी गई है कि हड्डियां और उंगलियां चटकाना हड्डियों के लिए सही नहीं होता है.