यहाँ जानिए डाइबिटीज़ को नियंत्रित करने के 15 बेहद आसान घरेलू उपाय !


आपको जान कर हैरानी होगी. कि डाइबिटीज़ के इलाज के नाम पर आज कल बड़ा गोरख धंधा चलाया जा रहा है. कोई कहता है, कि कलौजी और काला जीरा सात दिन में खाने से डाइबिटीज़ ठीक हो जाती है . इसके इलावा कोई अपनी चमत्कारी दवाओं से डाइबिटीज़ ठीक होने का दावा करता है . इतना ही नहीं कुछ संस्थाए तो यहाँ तक कहती है, कि उनके द्वारा दी गयी दवाएं लेने से बहुत से लोगों की डाइबिटीज़ तो जड़ से ही खत्म हो गयी . इसलिए भूल कर भी इन फ़र्ज़ी बातों और दवाओं पर कभी यकीन न करे. दरअसल सच तो ये है, कि संसार में ऐसी कोई जड़ी बूटी नहीं जो व्यक्ति की दिनचर्या में बदलाव किये बिना और कोई आहारशैली लिए बिना डाइबिटीज़ को ठीक कर सके . वैसे आपको बता दे कि इस दुनिया में डाइबिटीज़ के कारण हर वर्ष करीब 10 लाख लोगों की मृत्यु तक हो जाती है . इसलिए आज हम आपको डाइबिटीज़ से सम्बन्धित कुछ ऐसी बातें बताना चाहते है, जिससे आप अपनी जीवन सीमा को बढ़ा सकेंगे और अपनी डाइबिटीज़ को खुद कण्ट्रोल भी कर सकेंगे .


गौरतलब है, कि एक स्वस्थ व्यक्ति की फास्टिंग शुगर खाने के कम से कम 8 घंटे बाद 100 एमजी होती है और वही खाने के दो घंटे बाद की रक्त शुगर 140 एमजी के नीचे ही पायी जाती है . ऐसे में डाइबिटीज़ तब मानी जाती है, जब दो अलग अलग दिनों पर शरीर में रक्तशुगर की मात्रा खाली पेट 126 से अधिक और भोजन के बाद इसकी मात्रा 200 से अधिक हो . अब डाइबिटीज़ होने की स्थिति में आप कई आधुनिक दवाईयों का इस्तेमाल करते है . जिनमे से एक इन्सुलिन भी है . जी हां दरअसल इन्सुलिन और अन्य दवाईयों का उद्देश्य केवल आपकी रक्त शर्करा को एक नियमित लक्ष्य तक कण्ट्रोल करने का ही होता है . वैसे इन्सुलिन के इलावा और कई आधुनिक दवाईयों के बुरे परिणाम भी किसी से छुपे नहीं है . इन्ही की वजह से लिवर में कमजोरी और हृदय सम्बन्धी कई रोग भी होते है . इसलिए ऐसी आधुनिक दवाईयों से आप जितना दूर रहेगे आपके स्वास्थ्य के लिए उतना ही अच्छा होगा .

आपको बता दे कि इन दोनों स्त्रोतो के इलावा हमारे शरीर को प्रोटीन की भी आवश्यकता होती है . जो हमारी कोशिकाओं, हार्मोन्स और अन्य जैविक रसायनों के निर्माण में भी उपयोगी होता है . अगर साफ़ शब्दों में कहे तो प्रोटीन हमारे शरीर की मूलभूत रचना का कारक ही होता है . वैसे यदि आपको डाइबिटीज़ हो तो आप आधुनिक दवाईयों की बजाय घरेलू नुस्खों और आहारों के जरिये भी अपनी डाइबिटीज़ को कण्ट्रोल कर सकते है. इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे आहारों के बारे में बतायेगे जो आपकी डाइबिटीज़ को नियंत्रण करने में बहुत फायदेमंद सिद्ध होंगे .

1. तेजपत्ता.. वैसे तो आप कई व्यंजनों में इसका इस्तेमाल करते होंगे, पर हम आपको बता दे कि यह आपकी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है. जी हां आप इसका चूर्ण बना कर घर में रखे और हर रोज तीन बार नियमित रूप से एक या दो चम्मच ले . इससे आपकी डाइबिटीज़ हमेशा नियंत्रण में रहेगी .

2. दालचीनी.. गौरतलब है , कि दालचीनी भी डाइबिटीज़ के मरीजो के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होती है . दरअसल ये कोशकीय स्तर पर इन्सुलिन का प्रतिरोध घटा कर इन्सुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ा देती है . इसके इलावा यह कार्बोहाइड्रेट के विघटन को भी धीमा कर देती है, जिससे खाना खाने के बाद शुगर का लेवल एकदम से नहीं बढ़ता . यहाँ तक कि लोगों का कहना है, कि दालचीनी से उनके शुगर लेवल में 29 प्रतिशत तक का सुधार हुआ है . आपको बता दे कि यह काफी सीमा तक इन्सुलिन की तरह ही कार्य करती है . वैसे आप दालचीनी आधा से दो चम्मच तक ले सकते है .

3. रसौंत..
loading...
यह ऐसा तत्व है, जो दारु और हल्दी से तैयार किया जाता है . गौरतलब है, कि यह तत्व बिलकुल वैसे ही काम करता है, जैसे बाकी दवाईया करती है . इसलिए आप इसे एक दवाई की तरह भी इस्तेमाल कर सकते है .

4. मेथीदाना.. वैसे मेथीदाने को भी एक सुरक्षित जड़ी बूटी का दर्ज़ा प्राप्त है . जी हां ये केवल शुगर को नियंत्रित करता है, बल्कि इससे शुगर सहने की क्षमता भी बढ़ती है . इसमें शामिल घुलनशील फाइबर शुगर को अचानक बढ़ने रोकते है . ऐसे में यदि आप मेथीदाने का प्रयोग अंकुरित दाल और चने की तरह करेगे तो इससे आपको ज्यादा लाभ होगा . साथ ही आपको बता दे कि यह आपके लिए नुकसानदायक नहीं होगा . वैसे भी महाराष्ट्र में तो इस की दाल बना कर प्रयोग में लाया जाता है .

5. फाइबर युक्त आहार.. आहार में मौजूद फाइबर ख़ास कर घुलनशील फाइबर कार्बोहाइड्रेट के विघटन को धीमा करते है. इसलिए जितना हो सके उतना अपने आहार में इन फाइबर्स का इस्तेमाल करे . ऐसे में चोकर युक्त आटा, सभी प्रकार के सलाद, साथ ही फलों में पपीता, आडूं, नाशपाती, खरबूजा आदि कम शुगर वाले फाइबर के उत्तम स्त्रोत है .

6. सेव का सिरका.. इसके इलावा एप्पल साइडर विनेगर को भी शुगर कण्ट्रोल के लिए एक महत्वपूर्ण रसायन माना गया है . जी हां यह इन्सुलिन की संवेदना को तो बढ़ाता ही है, पर साथ ही शुगर विघटन की शारीरिक प्रक्रियाओ में भी सहायक है . इसलिए आप इसके एक या दो चम्मच आधा गिलास पानी में मिला कर ले सकते है . इसके इलावा सलाद में भी इसे डाल सकते है . साथ ही इस बात का ध्यान रखे कि कभी भी फ़िल्टर किया हुआ एप्पल साइडर विनेगर न ले, बल्कि हमेशा मदर के साथ ही ले .

7. कच्चे और कसैले आहार.. गौरतलब है, कि स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद में सभी छ रसों का सेवन अनिवार्य बताया गया है . ऐसे में कसैले फल और कड़वी सब्जियां भी शुगर कण्ट्रोल करने में बहुत उपयोगी होती है . इसलिए यह जरुरी है, कि कुछ फलों का सेवन आप छिलके के साथ ही करे . यह आपके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा .

8. केटोजेनिक आहार.. आज कल कुछ लोगों का मानना है, कि घी और मक्खन खाने से उनका शरीर खराब हो जायेगा और अधिक मोटा हो जायेगा. जब कि ये सच नहीं है, क्योंकि यदि व्यक्ति एक बार घी, तेल से बना खाना खा लेता है, तो उसे लंबे समय तक भूख नहीं लगती . साथ ही इससे मिली ऊर्जा से उसका शुगर लेवल भी संयम में रहता है .

9. ओमेगा 3 का प्रयोग.. गौरतलब है, कि ओमेगा 3 आहारों में आप अखरोट, अलसी या नॉन वेज में मछली का इस्तेमाल भी शुगर को कण्ट्रोल करने के लिए कर सकते है .

10. भरपूर पानी पीये.. यदि आप अधिक मात्रा में पानी का प्रयोग करेगे तो इससे आपकी किडनियां अतिरिक्त शुगर को आपके यूरिन में भेज देती है . इसलिए हमेशा पानी पीते रहे और कभी भी यूरिन को कण्ट्रोल करने की गलती न करे. वरना ये आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है.

11. कार्बोहाइड्रेट्स का प्रयोग कम करे.. यदि आप अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का प्रयोग करते है, तो इससे आपकी कोशिकाओं को भी नुकसान हो सकता है और इस वजह से आपकी प्रणाली भी बिगड़ सकती है . इससे रक्त शुगर में बढावा भी होने लगता है . इसलिए अधिक कार्बोहाइड्रेट्स वाले आहार जैसे कि चीनी, मिठाईया और अनाज जैसे चावल, आलू आदि से जितना हो सके उतना बचना चाहिए.

12. व्यायाम.. इसके इलावा हल्का व्यायाम करना और सैर करना शुगर मेटाबोलिज्म को उत्प्रेरित करने में सहायक होता है . साथ ही इससे पेट की क्रियाशीलता भी बढ़ती है . इसलिए हमेशा व्यायाम करते रहना चाहिए .

13. योगासन.. साथ ही हलासन और ताड़ासन भी पेट की क्रियाशीलता को नियमित रखने में सहायक होते है .

14. प्राणायम.. इसके इलावा अनुलोम, विलोम और कपालभाती क्रियाएं पेट में यदि संकुचन और कम्पन हो तो उस की दक्षता बढ़ाने में सहायक होते है .

15. ध्यान ग्रहण करना.. कई बार इस स्थिति में तनाव भी होने लगता है . ऐसे में यदि आप ध्यान ग्रहण करेगे तो आपको तनाव से छुटकारा मिलेगा . फिर भी यदि आप ध्यान ग्रहण नहीं कर सकते तो सुबह उठने के तुरंत बाद 10 मिनट के लिए सुखासन में बैठे और अपने हर तनाव से मुक्त हो जाईये . दरअसल कुछ समय तक मौन रहने से भी तनाव से छुटकारा मिलता है. इसलिए ध्यान की स्थिति में बैठना आपके लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगी .

एक टिप्पणी भेजें

यहाँ पर आपको मिलती है हेल्थ न्यूज, डेली हेल्थ टिप्स और ताजा स्वास्थ्य जानकारियां। इसके साथ ही जीवनशैली और चिकित्सा जगत में होने वाली नयी खोजों से अवगत भी कराते हैं हम।